पाक विदेश सचिव की बांग्लादेश में बेइज्जती

मोहम्मद यूनुस के राज में बांग्लादेश का मोह भारत से भंग हो रहा है। चालबाज पाकिस्तान इसका पूरा फायदा उठाना चाहता है। तभी तो 15 साल बाद पाकिस्तान दौड़ा-दौड़ा बांग्लादेश पहुंचा है। जी हां, 15 साल बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते पटरी पर आए हैं। शेख हसीना के शासन के बाद एक बड़ा बदलाव है। हालांकि, बांग्लादेश सालों पुराना दर्द नहीं भूला है, जिसे पाकिस्तान ने उसे दिया था। बड़ी उम्मीद लेकर पाकिस्तानी विदेश सचिव बांग्लादेश गए थे, मगर बांग्लादेश ने घर बुलाकर बेइज्जती कर दी है।
सबसे पहले लेटेस्ट मामला जानते हैं। दरअसल, बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच 15 सालों में पहली विदेश सचिव स्तर की वार्ता हुई है। इस दौरान बांग्लादेश ने पाकिस्तान से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना की ओर से बंगालियों के खिलाफ किए गए अत्याचारों के लिए औपचारिक माफी मांगने को कहा। इतना ही नहीं उसने पाकिस्तान से अपना हिस्सा मांगते हुए बांग्लादेश को बकाया 4.5 अरब डॉलर का मुआवजा अदा करने को भी कहा है। इसमें 1971 के युद्ध के दौरान बांग्लादेश छोड़ने में असमर्थ फंसे हुए पाकिस्तानियों की वापसी और 1970 के चक्रवात भोला में मिली विदेशी मदद के पैसे की बात भी शामिल थी। 4.3 अरब डॉलर के मुआवजे में इसमें अविभाजित पाकिस्तान की 1971 से पहले की परिसंपत्तियों में से उसका हिस्सा शामिल है, जिसमें सहायता राशि, भविष्य निधि और बचत साधन शामिल हैं। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की बैठक में बांग्लादेश ने ऑपरेशन सर्चलाइट का भी जिक्र किया। अब सवाल है कि आखिर यह ऑपरेशन सर्च लाइट क्या है, क्यों इसे लेकर भी बांग्लादेश पाकिस्तान से सार्वजनिक माफी मांग रहा है। सीधे लफ्जों में कहें तो ऑपरेशन सर्चलाइट पाकिस्तान और उसकी सेना का क्रूर चेहरा है। एक ऐसा जुल्म है, जिसका जख्म आज भी बांग्लादेशियों के लिए ताजा है। ऑपरेशन सर्चलाइट के तहत पाकिस्तानी सेना ने करीब 30 लाख बंगालियों को मार डाला था। दस लाख से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार किया था। यह सब तब हुआ, जब बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश की मांग कर रहा था। मगर पाकिस्तानी सेना ने आवाज को दबाने के लिए जुल्म की हद पार कर दी थी। (हिफी)