कुबैत यात्रा पर गये पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय कुवैत यात्रा पर जाएंगे। 43 साल के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार कुवैत की यात्रा पर जाएंगे। साल 2024 की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अंतिम विदेश यात्रा है। पीएम अपनी यात्रा में कुवैत के लीडर्स से द्विपक्षीय बातचीत के अलावा भारतीय समुदाय का भी हालचाल जानेंगे। पीएम मोदी कुवैत की इस यात्रा से अरब के सात देशों को साधने की भी कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अपनी कुवैत यात्रा के दौरान कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबेर अल-सबाह से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। भारत और कुवैत के बीच रिश्तों को और मजबूत करने में प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का बड़ा योगदान होगा क्योंकि कुवैत भारत के टॉप ट्रेडिग पार्टनर में से एक है। दोनों देशों के बीच साढ़े 10 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। कुवैत, भारत में क्रूड का छठा और एलपीजी का चौथा बड़ा सप्लायर है३भारतीय ऊर्जा की तीन फीसदी की आपूर्ति कुवैत ही करता है। कुवैत में रहने वाले प्रवासियों में सबसे बड़ी आबादी भारतीय समुदाय के लोगों की है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यात्रा के दौरान भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात करेंगे और लेबर कैंप का दौरा भी करेंगे ताकि कुवैत में भारतीय वर्कर्स को महत्व दिया जा सके। पीएम के भारतीय समुदाय कार्यक्रम में 4 से 5 हजार भारतीयों के हिस्सा लेने की उम्मीद है।
भारत मिडिल-ईस्ट के देशों से एनर्जी और गैस सहित कई तरह के कारोबार पर निर्भर हैं। अरब मुल्क कई कारणों से भारत को अहमियत देते हैं। यही वजह है कि कुवैत की इस यात्रा को जोड़ दें तो यह चौंदहवी बार होगा जब पीएम मोदी अरब के किसी देश का दौरा कर रहे हैं। इससे पहले वह दो बार कतर और सऊदी अरब एक बार ओमान और बहरीन जबकि सात बार संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा कर चुके हैं। मिडिल-ईस्ट के देशों में बारतीय काफी संख्या में काम करते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, कुवैत में भारतीयों की तादाद करीब दस लाख है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब में भारतीयों की तादाद पैंतीस लाख और छब्बीस लाख है। ये भारतीय बड़ी संख्या में भारी रकम देश में भेजते हैं। इसके अलावे भारत में ऊर्जा जरूरतें के लिए अरब देशों में पर निर्भर है। इसी के मद्देनजर भारत ने अरब देशों से अपने रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश की है।