विश्व-लोक

गणतंत्र दिवस पर राजभवन में तकरार

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
अभी सम्पन्न हुए 76वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जब देश के संविधान को सच्चा मार्ग दर्शक बता रही थीं, तभी पश्चिम बंगाल के राजभवन में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तकरार हो रही थी। बताया जाता है कि राजभवन के कर्मचारियों ने कोलकाता पुलिस बैण्ड को परिसर में जाने की अनुमति नहीं दी। राजभवन के कर्मचारियों ने कोलकाता पुलिस बैण्ड को अन्दर जाने से राज्यपाल सीवी आनंद बोस के निर्देश पर रोका अथवा अपना विवेकाधिकार चलाया, इसका खुलासा तो नहीं हो सका लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर जरूर चढ़ गये। वह राजभवन पहले ही पहुंच चुकी थीं और परम्परा है कि पारंपरिक जलपान समारोह में पुलिस बैंण्ड अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। राजभवन में कोलकाता पुलिस बैंण्ड को प्रवेश न मिलने से ममता बनर्जी बिफर गयीं और धमकी दी कि जब तक पुलिस बैण्ड को प्रवेश नहीं दिया जाता, तब तक वह भी राजभवन में प्रवेश नहीं करेंगी। बहरहाल, ममता बनर्जी के तेवर कामयाब हुए और कोलकाता पुलिस बैण्ड को राजभवन में प्रवेश की अनुमति मिली लेकिन गणतंत्र दिवस पर राजभवन में यह तकरार सभी को चिंतित कर देती है। दुर्भाग्य तो यह भी है कि केन्द्र और राज्य में अलग-अलग दल की सरकार होने पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तनाव बना रहता है। पश्चिम बंगाल में तो डेढ़ दशक से राजभवन से विवाद का धुआं निकलता ही रहता है। लगभग 6 महीने पहले ही राज्यपाल सीवी आनंद ने 8 बिल खारिज कर दिये थे।
पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस और और सीएम ममता बनर्जी के बीच गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान तनातनी देखने को मिली। दरअसल, कोलकाता पुलिस के बैंड को राजभवन में एंट्री नहीं मिल सकी, जिसके बाद एक बार फिर राज्य की सियासत गरमा गई। इसके बाद सीएम ममता बनर्जी ने यह तक कह दिया कि जब उनकी पुलिस को राजभवन में एंट्री नहीं मिली है तो वो भी राजभवन में प्रवेश नहीं करेंगी। ममता बनर्जी इस बात पर नाराज थीं कि कार्यक्रम के लिए कोलकाता पुलिस के बैंड को शुरुआत में राजभवन में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी। पारंपरिक जलपान समारोह के लिए शाम 4.29 बजे राजभवन पहुंची बनर्जी को बताया गया कि पुलिस बैंड बाहर इंतजार कर रहा है। पुलिस बैंड इस कार्यक्रम का नियमित हिस्सा रहा है लेकिन अब उन्हें अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
बनर्जी ने इस पर नाराजगी जताई और सवाल पूछा कि बैंड को क्यों बाहर खड़ा किया गया है। साथ ही कहा कि बैंड का प्रदर्शन इस कार्यक्रम में हमेशा होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बैंड को प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही धमकी दी कि जब तक उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाती वह राजभवन में प्रवेश नहीं करेंगी। मुख्यमंत्री राजभवन के द्वार पर पहुंची जहां बैंड खड़ा था। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बैंड को अंदर जाने देने का आग्रह किया। राज्यपाल भवन में एक वरिष्ठ अधिकारी से बात करने से पहले उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि ‘‘कोलकाता पुलिस सुरक्षा प्रदान करती है पुलिस बैंड को अंदर क्यों नहीं आने दिया जा रहा है?’’ बैंड को अंदर जाने की अनुमति मिलने के बाद बनर्जी ने उससे एक गाना बजाने का अनुरोध किया। सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव मनोज पंत इस संबंध में राजभवन को पत्र लिखेंगे। राजभवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम के लिए बैंड को पहले जो स्थान दिया जाता था। उससे हटकर कोई अन्य स्थान दिया गया। ओएसडी संदीप कुमार सिंह ने कहा, ‘‘जब इस ओर ध्यान दिलाया गया तो मैंने हस्तक्षेप किया और बैंड को अधिक उपयुक्त स्थान पर लाया गया।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच विवाद लगभग 6 महीने पहले ज्यादा गहराया था। मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा की ओर से पारित विधेयकों को रोकने के विरोध में राजभवन के बाहर धरना देने की चेतावनी दी थी। इस पर 7 सितंबर 2024 को राज्यपाल ने उन्हें राजभवन के अंदर विरोध प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया। राज्यपाल ने कहा, मैं सम्मानित संवैधानिक सहयोगी, मुख्यमंत्री से अनुरोध करूंगा कि वे राजभवन के अंदर आएं और अगर वह चाहें तो विरोध प्रदर्शन करें। उन्हें बाहर क्यों रहना चाहिए। शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था, अगर (राज्य सरकारों के) अधिकार छीनकर संघवाद में हस्तक्षेप किया गया तो मैं राजभवन के बाहर धरने पर बैठने के लिए मजबूर हो जाऊंगी। हम अन्याय नहीं होने देंगे। बंगाल जानता है कि कैसे लड़ना है। इंतजार करें और देखें। हाल ही में राज्य की टीएमसी सरकार और राज्यपाल के बीच कई मुद्दों पर तनातनी देखी गई है। कुछ दिन पहले ही सीवी आनंद बोस ने राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएकेएयूटी) और बर्धमान विश्वविद्यालय सहित आठ विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम उप-कुलपतियों की नियुक्ति की थी। मुख्यमंत्री ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य-प्रशासित विश्वविद्यालयों के संचालन में हस्तक्षेप करने का प्रयास बताया था। इसी दौरान आठ अन्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों के नामों को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। सीएम बनर्जी ने आरोप लगाया कि बोस समिति के सुझावों की परवाह किए बिना अपनी इच्छा से लोगों को नियुक्त कर रहे हैं।
वहीं, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अतीत में की गईं नियुक्तियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मैंने अंतरिम कुलपतियों की नियुक्तियां कीं। राज्यपाल ने कहा कि वह राज्य के विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार और हिंसा से मुक्त रखने की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि राज्य के विश्वविद्यालय हिंसा मुक्त हों और देश में सर्वश्रेष्ठ हों। इसके अलावा बंगाल दिवस पर भी गतिरोध देखा गया था। दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने बंगाली नव वर्ष पोलिया बैसाख को राज्य दिवस के रूप में मनाने का एक प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल इस प्रस्ताव को मंजूरी दें या नहीं, इस दिन को बंगाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पश्चिम बंगाल के 294 सदस्यीय सदन में 167 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान करते हुए प्रस्ताव पारित किया। सीएम बनर्जी ने कहा, मैं रवींद्रनाथ टैगोर के बांग्लार माटी बांग्लार जॅल को बंगाल का आधिकारिक गीत बनाने के प्रस्ताव का समर्थन करती हूं। बंगाल के लोग 20 जून का समर्थन नहीं करते हैं। वह हिंसा और रक्तपात का पर्याय है और विभाजन को राज्य स्थापना दिवस के रूप में चिह्नित करता है। सीएम ने पिछले सप्ताह कहा था कि केंद्र की ओर से राज्य के स्थापना दिवस के रूप में 20 जून का दिन चुनना गलत है और इस पर फैसला विधानसभा में लिया जाएगा। पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस मामले पर सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज आप बहुमत में हैं, इसलिए इतिहास मिटाना चाहती हैं। पश्चिम बंगाल का गठन कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ। हो सकता है कि आज आप हमारे 62 वोटों के मुकाबले 167 वोटों से अपना प्रस्ताव पारित कराने में सफल रही हों, लेकिन मैं आपसे वादा करता हूं, देर-सबेर आपके अनैतिक बहुसंख्यकवादी दृष्टिकोण को वैसे ही पलट दिया जाएगा जैसे 1947 में हुआ था। (हिफी)

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