लेखक की कलम

योगी सरकार का गरीबी मुक्त अभियान

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
गरीब परिवार के मुखिया को प्रशिक्षण देकर 18400 रुपये की मिलेगी नौकरी।
 पहले चरण में 300 निर्धन परिवारों के मुखिया को दिया जाएगा प्रशिक्षण।
एसबीआई, मेदांता, अदाणी ग्रुप जैसी कम्पनियां देंगी नौकरी
हमारे देश को आजाद हुए 77 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी भी कई लोगों को दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। बात किसी एक राज्य की नहीं कमोवेश सभी जगह की है। एक ओर भारत दुनिया की चैथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है तो वहीं दूसरी ओर यहां ऐसे लोग भी हैं, जो पेट भरने के लिए किसी सहारे का इंतजार करते हैं। कई तो भूखे सो जाते हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार गरीबों की संख्या कम करने में सफल रही है, ऐसा विश्व बैंक की रिपोर्ट कहती है लेकिन 80 करोड़ लोगों को मुफ्त का राशन भी दिया जाता है। इसका मतलब है कि गरीबी दूर करने के लिए अभी बहुत कुछ करना है। योगी आदित्यनाथ की सरकार एक अच्छी पहल करने जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार जीरो पॉवर्टी अभियान के तहत राज्य में चिह्नित गरीब परिवारों के सदस्यों को गारंटीकृत क्षमता विकास कार्यक्रम से जोड़ने के साथ-साथ उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कम्पनियों में रोजगार भी दिलाएगी। अधिकारियों ने गत 20 जुलाई को बताया कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार जीरो पॉवर्टी अभियान के तहत चिह्नित गरीब परिवारों के सदस्यों को न केवल गारंटीकृत कौशल कार्यक्रम से जोड़ेगी, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित कंपनियों में रोजगार भी दिलाएगी। अभियान के तहत सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश में कोई भी परिवार ऐसा न हो, जिसे गरीबी के कारण दो वक्त की रोटी के लिए जूझना पड़े। यह प्रयास अनुकरणीय है और दूसरे राज्यों को भी इस पर अमल करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यह पहल न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है, बल्कि सामाजिक समरसता और समान अवसर की दिशा में भी एक सशक्त कदम साबित हो, इसीलिए सरकार ने जीरो पॉवर्टी अभियान के तहत चिह्नित परिवारों के मुखिया को गारंटीकृत कौशल कार्यक्रम से जोड़ा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रशिक्षण का स्तर गुणवत्तायुक्त और उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक हो। उनके मुताबिक, प्रशिक्षण पूरा होने के बाद होटल ताज, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एल एंड टी लिमिटेड, मेदांता और अदाणी ग्रुप जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों में नौकरी दिलायी जाएगी। यह पहली बार है जब कोई सरकार सीधे गरीबों को क्षमता विकास प्रशिक्षण देकर निजी क्षेत्र की शीर्ष कंपनियों में रोजगार उपलब्ध कराने जा रही है। सरकार की गारंटीकृत कौशल कार्यक्रम और ‘गारंटेंड प्लेसमेंट प्रोग्राम’ को देश, प्रदेश और विदेश के उद्योग जगत का भी व्यापक समर्थन मिला है। अब तक 40 बड़े उद्यमियों ने ‘जीरो पावर्टी’ अभियान से जुड़े परिवारों को नौकरी देने की प्रतिबद्धता जताई है।
मुख्य सचिव ने कहा कि परिवार के मुखिया को 360 डिग्री फार्मूले के तहत संपूर्ण प्रशिक्षण दिया जाएगा और इसमें कार्यालय का रखरखाव, शौचालय की सफाई, गेस्ट अटेंडेंट, हाउसकीपिंग और आतिथ्य इत्यादि वर्गों में सात तरह का प्रशिक्षण शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उन्हें भाषा सम्बन्धी क्षमता की भी शिक्षा दी जाएगी, ताकि वे कॉर्पोरेट क्षेत्र में आत्मविश्वास के साथ काम कर सकें। साथ ही राज्य सरकार की ओर से यह भी सुनिश्चित किया गया है कि प्रशिक्षित व्यक्ति को कम से कम 18,400 रुपये मासिक वेतन मिले, जिससे वे अपने परिवार का सम्मानजनक तरीके से भरण-पोषण कर सकें। मनोज कुमार सिंह ने बताया कि अभियान के पहले चरण के तहत चिह्नित 300 निर्धन परिवारों के मुखिया को क्षमता विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद प्रदेश भर में चिह्नित सभी परिवारों के मुखिया को यह प्रशिक्षण दिया जाएगा और यह प्रशिक्षण उत्तर प्रदेश कौशल विकास विभाग की ओर से दिया जाएगा, जिससे एक हजार ट्रेनिंग पार्टनर भी जुड़ेंगे। यह प्रशिक्षण पूरी तरह से व्यावसायिक और रोजगारोन्मुखी होगा और इसमें प्रतिभागियों को उन क्षेत्रों में दक्ष बनाया जाएगा, जहां नौकरी की संभावनाएं अधिक हैं और इसके बाद उन्हें सीधे नौकरी से जोड़ा जाएगा।
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक ईंटभट्ठे पर चिलचिलाती गर्मी में एक किशोरी जिसकी उम्र पढ़ने की है, अपनी छोटी बहन को गोद में लिए हुए झोपड़ी के बाहर एल्युमीनियम के बर्तन में दाल उबाल रही थी। दाल तैयार होने लगती है, वह बर्तन में और पानी डाल देती है, ताकि भोजन को थोड़ा और पकाया जा सके। पानी न डालने पर उसके आठ सदस्यों वाले परिवार के लिए दाल पर्याप्त नहीं होती। इतनी कम उम्र में वह पुरखों की तरह सोचने लगी है। ऐसी किशोरियां देश के कई भागों में मिल जाएंगी।योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अब गरीबों को स्थाई रूप से आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए कदम उठाया है। बड़ी कम्पनियां सहयोग कर रही हैं यह इसका सकारात्मक पक्ष है। इससे बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं आएगी । जरूरत सभी पात्र लोगों की ईमानदारी से पहचान करने की है। ईमानपसंद पुरुष अथवा स्त्री छोटा मोटा कोई काम कर ही रहा होगा। इससे उसकी पात्रता नहीं समाप्त होनी चाहिए बल्कि ऐसे परिवारों को इस योजना की ज्यादा जरूरत है।उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गरीबी को जड़ से खत्म करने के लिए ‘जीरो पावर्टी अभियान’ चला रही है। इस योजना के तहत राज्य के चिन्हित परिवार के मुखिया को गारंटीड स्किलिंग प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें जिससे नौकरी मिल सके। यही नहीं ये नौकरियां देश-विदेश की प्रतिष्ठित कंपनियों में मिलेंगी, जहां उन्हें हर माह 18,400 रुपये वेतन मिलेगा। इस अभियान से निर्धन परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने न केवल सरकारी नौकरियों में भर्ती का रिकार्ड बनाया है, बल्कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए भी बड़े पैमाने पर प्रेरित किया है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के जरिए प्रदेश में 2.5 लाख से ज्यादा युवाओं को अपने व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिला है। ये योजना अब देश के लिए स्वरोजगार का एक सफल मॉडल बनकर उभर रही है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 2.5 लाख युवाओं को रोजगार मिला है, जबकि 758 करोड़ से ज्यादा की आर्थिक मदद की गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में साफ निर्देश दिया है कि प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाए। इसी सोच के तहत 2018 में ‘मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना’ की शुरुआत की गई थी। योजना का उद्देश्य 18 से 40 वर्ष के शिक्षित और बेरोजगार युवाओं को अपना कारोबार शुरू करने के लिए सस्ती दरों पर ऋण देना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 से अब तक 31,300 से ज्यादा युवाओं के आवेदन इस योजना के तहत स्वीकृत हो चुके हैं। इन आवेदकों को सरकार द्वारा अब तक 758.97 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। यह राशि मुख्यतः उनके व्यवसाय की शुरुआत के लिए प्लांट, मशीनरी, कच्चे माल और अन्य जरूरी चीजों के लिए दी जाती है। योजना के तहत 25 लाख रुपये तक का ऋण रियायती दरों पर दिया जाता है। इसके लिए पात्रता यह है कि आवेदन करने वाला यूपी का स्थायी निवासी हो, उसकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच हो और वह कम से कम हाईस्कूल पास हो। बैंक डिफॉल्टर को योजना से बाहर रखा गया है। सरकार इस योजना में जल्द बड़ा बदलाव करने जा रही है। प्रस्ताव है कि अब योजना में परियोजना लागत की सीमा को चार गुना तक बढ़ा दिया जाए, ताकि और भी ज्यादा युवाओं को फायदा मिल सके। सरकार इसे ‘सीएम युवा योजना’ के रूप में ब्याजमुक्त बनाकर ब्रांड करने की दिशा में भी विचार कर रही है। (हिफी)

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