राजनीति

भावनाओं व भविष्य की योगी सियासत

 

लोकसभा चुनावों की तैयारियों और राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी संदर्भ मंे गत दिनों नयी दिल्ली मंे एक बैठक हुई थी। इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वह भावनात्मक मुद्दे उठा रही है। उनका इशारा विशेष रूप से राम मंदिर की तरफ था। इस समय पूरा देश राममय नजर आ रहा है तो इसके पीछे भावनात्मक राजनीति भी है लेकिन सिर्फ भावनाओं से जनता प्रभावित नहीं होती है। राहुल गांधी ने ही पिछली बार यात्रा मंे मोहब्बत और नफरत की दुकान का मामला उठाया था लेकिन जनता उनसे प्रभावित नहीं हुई। इसी प्रकार प्रियंका गांधी ने ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का भावनात्मक मुद्दा उठाया था लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव मंे उनको इससे कोई सफलता नहीं मिली। हां, इसमें कोई संदेह नहीं कि भावनाएं जोड़ती हैं लेकिन बाद में भविष्य भी देखा जाता है। राम मंदिर का मामला ही ले लें तो भगवान राम के प्रति आस्था के साथ ही अयोध्या का विकास भी देखा जाता है। अभी उस पीढ़ी के लोग बड़ी संख्या मंे मौजूद हैं जिन्होंने अयोध्या को एक उपेक्षित कस्बे के रूप मंे देखा है। आज उसे जो भव्य रूप दिया जा रहा है, उसे योगी आदित्यनाथ की सरकार की जनता के प्रति बड़ी सेवा के रूप मंे ही देखा जाएगा। अब वहां पर अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन गया है और रेलवे स्टेशन का भी पुनर्निर्माण करके भव्य रूप दिया गया है। इस प्रकार वहां रोजगार की असीम संभावनाएं भी बनी हैं। इस तरह के कितने ही प्रयास योगी आदित्यनाथ की सरकार ने करके भावनाओं व भविष्य की सियासत का आदर्श रूप पेश किया है।

अयोध्या उत्तर प्रदेश मंे है जहां राम जन्मभूमि पर नव्य और भव्य राम मंदिर बनाया गया। राम जन्मभूमि से जनभावनाओं को लालकृष्ण आडवाणी की रामरथ यात्रा से ही जोड़ा गया था और इससे भाजपा का जनाधार भी बढ़ा लेकिन सिर्फ जनभावनाएं ही पर्याप्त नहीं थीं। योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब पहली बार यूपी मंे मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो एक तरफ उन्हांेने कड़े फैसले लिये तो दूसरी तरफ धार्मिक नगरों का विकास कराया। इतना ही नहीं योगी ने इन्वेस्टर्स समिट बुलाकर प्रदेश मंे उद्योग-धंधों को बढ़ावा दिया। केन्द्र सरकार का सहयोग भी प्रदेश की सरकार को मिला और राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ एक्सप्रेस-वे का यहां जाल बिछ गया। डबल इंजन की सरकार का फायदा सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को ही मिला है। योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर विशेष जोर दिया। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखण्ड के विकास पर जिस तरह जोर दिया गया, उससे लगा कि प्रदेश की सरकार सिर्फ भावनाएं ही नहीं देखती, भविष्य भी देखती है। यही कारण रहा कि 2017 का विधानसभा चुनाव जहां भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा गया, वहीं 2022 का विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ के कार्यों- विशेष रूप से माफियाओं के दमन और उनकी कब्जाई गयी जमीन पर गरीबों को घर देने जैसी नीतियों- के आधार पर भाजपा ने जीता। योगी का बुलडोजर भारत ही नहीं विदेशों मंे भी चर्चा का विषय बन गया।

अभी हाल ही जानकारी मिली है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार शहरों और कस्बों मंे भूमाफियाओं से खाली करायी गयी जमीन पर जरूरतमंदों को घर बनाकर देगी। हमारा देश और प्रदेश निश्चित रूप से काफी तरक्की कर चुका है लेकिन समस्याएं पूरी तरह समाप्त नहीं हो पायी हैं। आदमी को दो वक्त की रोटी के साथ रहने के लिए छत भी चाहिए। अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि अब भी लाखों लोग खुले आसमान के तले रात गुजारने पर मजबूर हैं। उत्तर भारत जब कड़ाके की ठंड से गुजर रहा होता है, तब वहां के उन गरीबों की जिंदगी की कल्पना करके ही सिहरन पैदा होती है जिनके पास घर नहीं है। अभी हाल में एक वीडियो काफी चर्चित रहा था। पता नहीं उसमंे कितनी सच्चाई थी लेकिन उससे समस्या की गंभीरता का पता तो चल ही गया। वीडियो मंे दिखाया गया कि एक बुजुर्ग ठंड से परेशान था। उसके पास घर नहीं, ओढ़ने के लिए कम्बल-रजाई नहीं थी, इसलिए वह ठण्ड से बचने के लिए श्मशान घाट गया और दो चिताओं के बीच लेट गया। चिताएं ठण्डी हो गयी थीं लेकिन एक जिंदा आदमी को गर्मी देने की क्षमता उनमंे तब भी थी।

ऐसे हालात में योगी आदित्यनाथ की सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से सराहनीय है। पता चला है कि प्रदेश भर में अभियान चलाकर भूमाफियाओं के कब्जे वाली जमीनों को खाली करवाने का निर्देश दिया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के लगभग दर्जन भर शहरों मंे 3136 हेक्टेयर भूमि खाली करायी गयी है। भूमाफियाओं से सबसे ज्यादा जमीन लखनऊ और कानपुर मंे विकास प्राधिकरणों ने खाली करायी है। इस एक मामले को ही देखें तो विपक्षी दल भले ही सरकार के दावे से चिढ़ते हों लेकिन माफियाओं ने जमीन पर कैसे कब्जा किया, इसकी जिम्मेदारी तो उनको लेनी ही होगी। योगी आदित्यनाथ की सरकार उन अफसरों पर भी कार्रवाई कर रही है, जिनकी अनदेखी के चलते भूमाफिया सरकारी या गरीबों की जमीन पर कब्जा करने मंे कामयाब हो गये। लखनऊ मंे माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी तथा प्रयागराज मंे अतीक अहमद के कब्जे वाली जमीनों को खाली कराकर सरकार गरीबों के लिए घर बनाएगी। ऐसे कार्यों से लोगों की भावनाएं ही नहीं भविष्य भी संवर रहा है। उत्तर प्रदेश मंे अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने पिछले दिनों विकास प्राधिकरण वार भूमाफियाओं के कब्जे से खाली करायी गयी जमीन के बारे में जानकारी तलब की थी। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही 1114 हेक्टेयर जमीन पर भूमाफियाओं ने कब्जा पर रखा था। इसी प्रकार कानपुर मंे 1781 हेक्टेयर जमीन भूमाफियाओं के कब्जे मंे थी। राम की नगरी अयोध्या मंे भी लगभग 31 हेक्टेयर जमीन पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर रखा था। इन सभी जमीनों पर गरीबों के लिए घर बनेंगे।

विकास कार्यों से आम जनता का ही भला नहीं होता बल्कि सरकार के खजाने मंे भी वृद्धि होती है। योगी आदित्यनाथ के वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना बताते हैं कि सरकार के खजाने मंे 2 हजार करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दिसम्बर मंे 14598.19 करोड़ का राजस्व मिला था। जबकि 2023-24 के दिसम्बर में 16628.18 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। सरकार इस धन से कल्याणकारी योजनाएं चलाएगी। उत्तर प्रदेश की बेहतर ब्रांडिंग हुई है। प्रदेश मंे एक जिला एक उत्पाद की योजना से उत्पाद को न सिर्फ बेहतर बनाया गया बल्कि उसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी हुआ। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश अब करोड़ों का निर्यात करने की स्थिति मंे है। योगी सरकार निर्यातकों को प्रेरित करने के लिए पुरस्कृत भी करती हैं।

इसलिए विपक्षी दल विशेष रूप से कांग्रेस को भाजपा की कार्यशैली को देखना हेागा। कांग्रेस अब तक इसी ऊहापोह मंे है कि अयोध्या राम जन्मभूमि पर बने मंदिर मंे प्राण-प्रतिष्ठा समारोह मंे जाना चाहिए अथवा नहीं जबकि भाजपा और संघ इसी कार्यक्रम के माध्यम से करोड़ों से संवाद करने वाले हैं। सियासत की यह नयी राह है, विपक्ष को समझ ही नहीं आ रहा है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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