राजनीतिलेखक की कलम

लोकसभा चुनाव का जवाब देंगे योगी

 

लोकसभा चुनाव मंे भाजपा को उत्तर प्रदेश मंे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पायी। इससे सरकार और संगठन- दोनों स्तर पर आरोप भी लगाये गये और प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चैधरी ने विस्तृत रिपोर्ट केन्द्र को भेजी है। इस बीच नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहें भी उड़ीं लेकिन अब लगभग तय है कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव तक योगी आदित्यनाथ अपनी कुर्सी पर जमे रहेंगे। इस बीच प्रदेश मंे 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों का जवाब उपचुनाव के माध्यम से देना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनावों के लिए मंत्रियों की टास्क फोर्स भी बना दी है और पार्टी कार्यकर्ताओं की शिकायत दूर करने का निर्देश प्रभारी मंत्रियों को दिया गया है। मंत्रियों की टास्क फोर्स को सुपर स्पेशल-30 कहा जा रहा है क्योंकि इस टीम में योगी सरकार के 30 मंत्री शामिल हंै। उल्लेखनीय यह है कि स्पेशल टीम मंे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक शामिल नहीं हैं। हालांकि सीएम योगी ने मौर्य को उपचुनाव में सहयोग के लिए कहा और वह तैयार भी हो गये हैं। उधर, इन उपचुनावों में भी सपा और कांग्रेस साथ मिलकर भाजपा को चुनौती देंगे। समझौते के तहत सपा 7 सीटों पर और कांग्रेस 3 सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी।
उपचुनावों मंे सबसे दिलचस्प लड़ाई मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाली है। लोकसभा चुनाव मंे भाजपा अयोध्या की सीट हार गयी थी। इस पराजय के पीछे कई कहानियां बतायी जाती हैं लेकिन अयोध्या में योगी आदित्यनाथ ने इतने विकास कार्य कराए, वहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का भव्य-नव्य मंदिर बन गया। ठीक चुनाव से पहले मंदिर में रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह पीएम मोदी की यजमानी में सम्पन्न कराया गया। वहां भाजपा की पराजय से विपक्ष ने जमकर ढिंढोरा पीटा। अब फैजाबाद की ही मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। भाजपा इस सीट पर निश्चित रूप से भगवा फहराना चाहती है। यह सीट अवधेश प्रसाद के लोकसभा पहुंच जाने के कारण ही खाली हुई है। मिल्कीपुर मंे भाजपा की विजय अयोध्या मंे पराजय की भरपाई करेगी।
यूपी में जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमंे फूलपुर, मंझवां और गाजियाबाद भाजपा के ही हिस्से की हैं। चार सीटें समाजवादी पार्टी के विधायकों के सांसद बन जाने से खाली हुई हैं और पांच सीटों पर एनडीए का कब्जा है। मैनपुरी की करहल सीट अखिलेश यादव के सांसद बन जाने से रिक्त हुई हैं, जिस पर सपा हर हालत में कब्जा करना चाहेगी। भाजपा और जयंत चैधरी का आरएलडी गठबंधन भी उपचुनाव मंे भाजपा का पलड़ा भारी करने मंे मदद कर सकता है। इस प्रकार योगी आदित्यनाथ उपचुनावों के माध्यम से न सिर्फ सपा-कांग्रेस गठबंधन को जवाब देंगे बल्कि भाजपा के अंदर अपने अप्रत्यक्ष आलोचकों का भी मुंह बंद कर देंगे।
योगी आदित्यनाथ ने यूपी के उपचुनाव के लिए मंत्रियों की एक टास्क फोर्स बनाई है। इसमें राज्य के 20 मंत्रियों को शामिल किया गया है। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के मंत्रियों को भी इस टास्क फोर्स में रखा गया है। सबको विधानसभा का उप चुनाव हर हाल में जीतने की जिम्मेदारी दी गई है। एक विधानसभा सीट के लिए दो मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है। इन मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक की। इस मीटिंग में तय हुआ कि लोकसभा चुनाव में जो हुआ सो हुआ पर ये चुनाव जीत कर दिखाना है। यूपी में विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव की चुनाव आयोग ने अभी तारीखें तय नहीं की हैं लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। आम तौर पर उप चुनावों से दूर रहने वाली मायावती की पार्टी बीएसपी ने भी किस्मत आजमाने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी में भी टिकट को लेकर भाग दौड़ शुरू हो गई है। विधायक से सांसद बनने वाले नेता अपने परिवार के लिए टिकट मांग रहे हैं।
यूपी में बीजेपी खराब प्रदर्शन के बाद इसकी समीक्षा में जुटी हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी तैयारी में कूद पड़े हैं। उनके करीबी नेताओं का दावा है कि सीएम योगी उपचुनाव को लेकर बहुत सीरियस हैं। वे चुनाव जीत कर अपने नेतृत्व की ताकत दिखाना चाहते हैं। टीम योगी लोकसभा चुनाव में हुई हार की परछाई उप चुनाव पर नहीं पड़ने देना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने घर पर कई मंत्रियों को चुनावी चर्चा के लिए बुलाया। इस बैठक में अपना दल और निषाद पार्टी जैसे सहयोगी दलों के मंत्री भी शामिल हुए। सीएम योगी ने एक एक विधानसभा के लिए दो मंत्रियों की टीम बना दी है। इन्हें अभी से अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुनावी तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को मिल्कीपुर विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है। उनके साथ एक और मंत्री मयंकेश्वर सिंह को भी लगाया गया है।
फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए अवधेश प्रसाद इसी सीट से विधायक थे। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में अयोध्या है। यहां से बीजेपी की हार से पार्टी की आलोचना हुई है क्योंकि अयोध्या का राम मंदिर के बहाने बीजेपी देश भर में चुनाव प्रचार कर रही थी। योगी सरकार अब किसी भी कीमत पर मिल्कीपुर विधानसभा का उप चुनाव जीतना चाहती है।
करहल से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव विधायक थे। अब वे सांसद चुन लिये गए हैं। इसलिए इस सीट पर उपचुनाव होना है। मैनपुरी से डिंपल यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव हार चुके जयवीर सिंह को करहल का प्रभारी बनाया गया है। वे योगी सरकार में पर्यटन मंत्री हैं। सहयोगी पार्टी अपना दल कोटे से मंत्री आशीष पटेल को कटेहरी विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है। सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को भी कटेहरी विधानसभा में ही काम करने को कहा गया है। आशीष पटेल और स्वतंत्रदेव सिंह कुर्मी बिरादरी के हैं। इस सीट पर इसी जाति के वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। अंबेडकरनगर से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए लालजी वर्मा कटेहरी से विधायक थे। इस बार के लोकसभा चुनाव में कुर्मी बिरादरी का एक बड़ा वोट बैंक समाजवादी पार्टी में शिफ्ट हो गया। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को फूलपुर विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को सीसामऊ विधानसभा के लिए तैनात किया गया है। यहां से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को अदालत से सजा हो गई है।
यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होने हैं। नौ विधायक इस बार सांसद बने है। इनमें से 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी, 3 सीटें बीजेपी के पास थीं जबकि मीरापुर सीट आरएलडी के पास था। आरएलडी कोटे से मंत्री बने अनिल कुमार को ही इस सीट की जिम्मेदारी दी गई है। उनके साथ राज्य मंत्री सोमेन्द्र तोमर को लगाया गया है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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