सम-सामयिक

दुश्मनों पर शिकंजे के साथ योगी का विकास

 

इसमंे कोई संदेह नहीं कि यह शताब्दी आर्थिक गतिविधियों की है। कोरोना जैसी महामारी ने कारोबार ठप्प कर दिये तो पूरी दुनिया में आर्थिक संकट पैदा हो गया था। अमेरिका जैसे विकसित देशों ने भी छंटनी प्रक्रिया का सहारा लिया था लेकिन भारत ने उस स्थिति में भी बेरोजगारी से लोहा लिया। सरकार का दृढ़ इरादा था कि किसी को भूख से प्राण न गंवाने पड़े। आज भी नरेन्द्र मोदी की सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त मंे राशन दे रही है। इसके अलावा भी कई तरह से मदद पहुंचाई गयीं। अब तो उस महामारी का प्रभाव काफी कम हो गया है और आर्थिक गतिविधियों मंे तेजी आयी है। उत्तर प्रदेश मंे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक दुश्मनों को गिरफ्त में लेते हुए प्रदेश का विकास किया है।

माफियाओं और गंुडाराज पर शिकंजा कसते हुए आर्थिक विकास को गति दी गयी है। योगी आदित्यनाथ ने 2017 में प्रदेश की सत्ता संभाली थी। पहले कार्यकाल मंे कोरोना का दुष्प्रभाव रहा लेकिन अब डबल इंजन की सरकार तेजी से काम कर रही है। पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ ने योजना भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। इस बैठक मंे बताया गया कि उत्तर प्रदेश आज देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है। योगी आदित्यनाथ की सरकार इस गति को और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। कृषि, पर्यटन और उद्योग को ढांचागत सुविधाओं के साथ गुंडों-माफियाओं के शिकंजे से मुक्त करना भी जरूरी होता है। इसके अलावा देश विरोधी गतिविधियों के घुन भी लगे रहते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने एक ऐसे ही देश विरोधी को गत दिनों गिरफ्तार किया है। इस व्यक्ति पर विदेश से एनजीओ के नाम पर 58 करोड़ रुपये प्राप्त करने और घुसपैठियों की मदद करने का आरोप है। अबू सालेह मंडल नामक यह देशद्रोही भी प्रगति को अवरुद्ध करते हैं। दूसरे देशों से आने वाले अशांति के साथ हमारे हक पर भी डाका डालते हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत 8 जनवरी को कहा कि उत्तर प्रदेश आज देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में देश के विकास का ‘इंजन’ बन रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की अद्यतन प्रगति की समीक्षा की। योगी ने कहा कि पिछले साढ़े छह साल के नियोजित प्रयासों से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था सर्वश्रेष्ठ स्थिति में है। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश की कुल जीडीपी 16.45 लाख करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 22.58 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गयी है। राष्ट्रीय आय में उत्तर प्रदेश 9.2 प्रतिशत का योगदान कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्श्वर्ष 2027 तक प्रदेश को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी विभागों को अपने प्रयास तेज करने होंगे।श्श्योगी ने कहा कि श्श्अपने कार्यों की और बेहतर योजना बनानी होंगी। हमारी नीयत साफ है, लक्ष्य स्पष्ट है और सभी को मिलकर, सही नीति और नियोजित क्रियान्वयन के लिए प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि हमारी योजना लक्ष्य के अनुरूप हो। इसके लिए आंकड़ों का संग्रहण शुद्धता के साथ होना आवश्यक है। विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति के सही आकलन के लिए विभागवार सांख्यकीय अधिकारियों के लिए कार्यशाला और प्रशिक्षण का आयोजन किया जाए। योगी ने कृषि, पर्यटन, उद्योग और अन्य क्षेत्रों की संभावनाओं और उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कई आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अगस्त 2023 के बुलेटिन के अनुसार, बैंक व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड आकर्षित करने के लिहाज से 16.2 फीसद निवेश में हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष स्थान पर है। आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के 1.1 फीसद के सापेक्ष 15 गुना बढ़कर 2022-23 में यूपी ने बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं से फंड जुटाने में 16.2 फीसद की वृद्धि दर्ज की है। यही नहीं, आयकर रिटर्न फाइल करने की संख्या के पैमाने पर भी उत्तर प्रदेश, भारत में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। जून 2014 में 1.65 लाख आयकर रिटर्न यूपी से फाइल होते थी वहीं, अब जून 2023 में बढ़कर 11.92 लाख हो गई। यह सरकार के प्रति जनता का विश्वास है।

नीति आयोग की रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: एक प्रगति समीक्षा 2023’ के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच जहां भारत में रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की सार्थक कोशिशों से 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबरने में कामयाब रहे हैं। 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे व्यापक गिरावट उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है।

कभी बीमारू कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश आज रेवेन्यू सरप्लस राज्य हो गया है। वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व लगभग 86 हजार करोड़ रुपये था जो वर्ष 2021-22 में 01 लाख 47 हजार करोड़ रुपये से अधिक (71 फीसद वृद्धि) तक पहुंच गया। वर्ष 2016-17 सेल्स टैक्सध्वैट लगभग 51,883 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2022-23 में 125 करोड़ रुपये के पार रहा। यहां महत्वपूर्ण यह भी है कि उत्तर प्रदेश में पेट्रोल, डीजल और एटीएफ वैट दर कई राज्यों से कम है और मई 2022 के बाद दरों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। योगी सरकार के वित्तीय प्रबंधन का ही परिणाम है कि वर्ष 2022-23 एफआरबीएम एक्ट में राजकोषीय घाटे की निर्धारित सीमा 4.0 फीसदी के सापेक्ष 3.96 फीसद रखने में सफलता हासिल हुई है। आंकड़े बताते हैं कि यूपी में पूर्व में बजट का लगभग 8 फीसद ऋणों के ब्याज के लिए खर्च होता था जो वर्ष 2022-23 बजट में 6.5 फीसद पर आ गया है। जाहिर है बगैर अर्थव्यवस्था मजबूत हुए ऐसा होना संभव नहीं। उत्तर प्रदेश में आर्थिक उन्नयन के नए प्रतिमान गढ़ रही योगी सरकार की नीतियों पर बीते दिनों नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी विमर्श आयोजित हुआ था। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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