लेखक की कलम

घुसपैठियों पर योगी का शिकंजा

घुसपैठिए अब ‘बेचारे’ नहीं कहे जा सकते। उन्हांेने बाकायदा पहचान पत्र बनवा लिया और देश के नागरिक की तरह मताधिकार का प्रयोग भी करते हैं। इतना ही नहीं जरायम की दुनिया मंे भी वह बहुत आगे बढ़ गये और राष्ट्रविरोधी तत्वों के हाथों में खेल रहे हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए ये घुसपैठिए, जिनमंे सबसे ज्यादा संख्या रोहिंग्या मुसलमानों की है, खतरा बन गये हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत 3 दिसम्बर को इन घुसपैठियों पर शिकंजा कसा है। सीएम योगी ने सभी जिलों के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि ऐसे बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठियों की तलाश की जाए और तत्काल उन्हंे डिटेंशन सेंटर मंे रखा जाए। योगी कहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था से किसी प्रकार समझौता नहीं किया जाएगा। अफसरों को घुसपैठियों की पहचान करनी ही होगी। इसके बाद से ही यूपी मंे बांग्लादेशी रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई प्रारम्भ हो गयी। इसके तहत प्रदेश भर मंे झुग्गी और बस्तियों की जांच होगी। हाल मंे शिकायतें मिली थीं कि कुछ बांग्लादेशी और रोहिंग्या ने देश की नागरिकता के लिए दस्तावेज बनवा लिये हैं। यह भी जानकारी मिली है कि नगर निगमों मंे तमाम रोहिंग्या अपना पहचान पत्र तैयार करने के बाद साफ-सफाई के काम में लगे हैं। कुछ रोहिंग्या घर-घर से कूड़ा उठाने का काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने भी यह मुद्दा उठाते हुए शासन को पत्र लिखकर ऐसे लोगों की जांच कराने को कहा था। अब योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह युद्ध स्तर पर घुसपैठियों की पहचान का अभियान चलाया, उससे उनका बचकर निकलना बहुत मुश्किल होगा।
प्रदेश में विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य के 17 नगर निकायों को निर्देश दिए है कि नगर निकायों में काम करने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की सूची तत्काल तैयार की जाए। यह सूची संबंधित मंडल के कमिश्नर और आईजी को सौंपी जाएगी।
प्रशासनिक अमला एक्शन मोड में है और जिलों में खाली सरकारी इमारतों, सामुदायिक केंद्रों, पुलिस लाइन और थानों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां इन घुसपैठियों को रखा जाएगा। यूपी में दिल्ली की तर्ज पर डिटेंशन सेंटर बनाए जाएंगे। डिटेंशन सेंटरों में खाने-पीने, इलाज और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे। सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और पुलिस की होगी। पकड़े गए घुसपैठियों की जानकारी रोजाना गृह विभाग को भेजनी होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजी गई मानक संचालन प्रक्रिया के तहत डिटेंशन सेंटर में रखे गए बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों का सत्यापन कराया जाएगा। इसके बाद एफआरआरओ फाॅरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन आफिस के जरिए उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। पकड़े गए घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल और असम में बीएसएफ की मदद से सीमा पार भेजा जाएगा।
देश से विदेशी घुसपैठियों को बाहर करने के लिए दिल्ली की तर्ज पर अब यूपी के जिलों में डिटेंशन सेंटर बनेंगे। वजह है कि अब प्रदेश के अंदर घुसपैठियों को नहीं बर्दाश्त किया जाएगा। इस पर सीएम ने सख्त फैसला लिया है। इसी तर्ज पर अब बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर बड़ी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। सीएम योगी ने 17 नगर निकायों को सख्त आदेश दिया है। उन्होंने कहा, नगर निकायों में काम करने वाले रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की सूची बनाएं। कमिश्नर व आईजी को सौपें। ये डिटेंशन सेंटर प्रदेश के हर मंडल में बनाए जाएंगे। इसके बाद अधिकारी एक्शन में आ गए हैं।
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस लगातार अभियान चलाकर झोपड़पट्टी, बस्तियों में रहने वाले लोगों के डॉक्यूमेंट की जांच कर रही है। साथ ही कई इलाके में टॉर्च ऑपरेशन चला कर सभी के दस्तावेज जांचे जा रहे हैं। उनको वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी होने तक डिटेंशन सेंटर में रखने के लिए जगह तलाशी जा रही हैं। शासन के निर्देश पर जिलों में खाली सरकारी इमारतों, सामुदायिक केंद्र, पुलिस लाइन, थाने आदि चिन्हित किए जा रहे हैं, जहां घुसपैठियों को कड़ी सुरक्षा में रखा जा सके।
दरअसल, दिल्ली में करीब 18 डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं, जिनमें तकरीबन 1500 विदेशी नागरिकों को कड़ी सुरक्षा बंदोबस्त में रखा गया है। इनमें अवैध रूप से सीमा पार करके आए बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अफ्रीकी मूल के देशों के नागरिक हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों द्वारा भारतीय नागरिकता के दस्तावेज बनवा लेने की वजह से उनका सत्यापन कराया जा रहा है। डिटेंशन सेंटरों पर खाने-पीने, इलाज की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है। सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम भी रहता है। तत्पश्चात एफआरआरओ (फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस) के जरिए उनको वापस भेजने की प्रक्रिया की जाती है। तमाम राज्यों में पकड़े गए घुसपैठियों को पश्चिम बंगाल और असम में बीएसएफ की मदद से वापस भेजा जाता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी मानक संचालन प्रक्रिया भी सभी राज्यों को भेजी है, जिसके बाद अब यूपी में भी अन्य राज्यों की तरह डिटेंशन सेंटर बनाए जाएंगे। इनके प्रबंधन और सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और पुलिस की होगी। इसके अलावा पकड़े गए घुसपैठियों की जानकारी गृह विभाग को रोजाना देनी होगी। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जिलों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए खासी संख्या में हैं। इसके अलावा एनसीआर के जिलों खासकर नोएडा और गाजियाबाद में अफ्रीकी मूल के देशों से अवैध तरीके से आए नागरिक मौजूद हैं। इनमें से तमाम मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर क्राइम में लिप्त हैं। इसी वजह से इस बार ऐसे घुसपैठियों की धरपकड़ कर वापस भेजा जाएगा। बता दें कि यूपी में बीते आठ साल के दौरान करीब 200 बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा जिलों की पुलिस भी कार्रवाई करती रहती है। बाद में इनको वापस भेजने की कवायद भी होती है, हालांकि न्यायिक प्रक्रिया पूरी करने में ज्यादा समय लग जाता है। अधिकतर खुद को पश्चिम बंगाल और असम का निवासी बताते हैं। घुसपैठ करने के
बाद वह भारतीय नागरिकता के दस्तावेज भी आसानी से हासिल कर लेते हैं। जिसकी वजह से पुलिस को उनके मूल पते से सत्यापन कराना पड़ता है। अब सीएम के निर्देश के बाद यह प्रक्रिया तेजी से पूरी करके उनको पश्चिम बंगाल और आसाम की सीमा से वापस भेजा जाएगा।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button