योगी की सियासी रणनीति

योगी आदित्यनाथ प्रखर हिन्दुत्ववादी हैं और कठोर फैसले लेने में कभी हिचकते नहीं हैं। इसीलिए उनको बुलडोजर बाबा कहा जाता है लेकिन इसके साथ-साथ वह राजनीति में भी निपुण हैं। सभी को पता है कि प्रदेश में भाजपा के अंदर भी कुछ लोग हैं जो योगी की बढ़ती लोकप्रियता से खुश नहीं हैं। इसलिए योगी को घर और बाहर दोनों जगह मोर्चा संभालना पड़ता है। पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन से भाजपा कमजोर हुई थी। अब योगी ने अपनी सियासी रणनीति से सपा को करारा झटका दिया है।
इसी के साथ उत्तर प्रदेश की सियासत में गठबंधन सहयोगियों को साधने की कवायद भी योगी ने तेज कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मांग को मानते
हुए बड़ा कदम उठाया है। उधर, पूजा पाल को सपा से अलग कर दिया गया है। सपा के एक अन्य विधायक भी पूजा पाल का समर्थन कर भाजपा के नजदीक आने का संकेत दे रहे हैं।
जुलाई 2025 में अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी पार्टी के बागी नेता विजेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी मोनिका आर्य को अपर शासकीय अधिवक्ता (अधिशासी अधिवक्ता) पद से और अरविंद बौद्ध को पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य पद से हटाने की मांग की थी।अब योगी सरकार ने उनकी इस मांग को पूरा कर दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ था, जब अपना दल (एस) के बागी नेता विजेंद्र प्रताप सिंह ने जुलाई में लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी में टूट का दावा किया था। विजेंद्र ने कहा था कि उनके साथ 9 विधायक हैं और जल्द ही अपना दल (एस) टूट जाएगा। इस बगावत को मजबूती देने के लिए उन्होंने ‘अपना मोर्चा’ नाम से एक नया संगठन भी बनाया था। अनुप्रिया पटेल ने अपनी पार्टी में इस बगावत को दबाने के लिए मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर विजेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी मोनिका आर्य और अरविंद बौद्ध को उनके पदों से हटाने की मांग की थी।
इस पत्र पर जब तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो अनुप्रिया के पति और अपना दल (एस) के उपाध्यक्ष आशीष पटेल ने योगी सरकार पर निशाना साधा था। आशीष ने सरकार पर पार्टी के भीतर टूट को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार की निष्क्रियता बागियों को हौसला दे रही है। उनकी यह तल्ख टिप्पणियां गठबंधन में तनाव का कारण बनी थीं। हालांकि, अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुप्रिया की मांग को मानकर सहयोगी दल को साधने की कोशिश की है। मोनिका आर्य को अपर शासकीय अधिवक्ता के पद से हटा दिया गया है। साथ ही, पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्यों की मेंबरशिप का रिन्यूअल नहीं होने के कारण अरविंद बौद्ध की सदस्यता भी स्वतः समाप्त हो गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह फैसला 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। अपना दल (एस) उत्तर प्रदेश में खासकर पूर्वांचल के कुछ क्षेत्रों में प्रभावशाली है और इसका समर्थन भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। विजेंद्र प्रताप सिंह के बागी तेवर और उनके नए मोर्चे के दावों के बावजूद, योगी का यह कदम अनुप्रिया के प्रति समर्थन का स्पष्ट संदेश देता है। इस घटनाक्रम से गठबंधन में एकता की उम्मीद बढ़ी है, लेकिन विजेंद्र के अगले कदम पर भी सियासी हलकों की नजर बनी रहेगी। उधर, सपा की विधायक पूजा पाल ने समाजवादी पार्टी से अपने निष्कासन के बाद अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि उन्हें माफिया अतीक अहमद का नाम लेने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति की तारीफ करने की सजा मिली है। पूजा पाल ने बताया कि उनके पति राजू पाल की हत्या के बाद उन्हें न्याय मिला और इसी वजह से उन्होंने सदन में अपनी बात रखी थी। उन्होंने विपक्ष पर अपराधियों के परिवारों के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप लगाया। उत्तर प्रदेश के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पूजा पाल ने तारीफ क्या की कि उन्हें समाजवादी पार्टी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्होंने सदन में योगी आदित्यनाथ की अतीक अहमद पर कार्रवाई की तारीफ की थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। समाजवादी पार्टी इसे अनुशासनहीनता बता रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी इसे पिछड़े वर्ग की महिला का अपमान कह रही है। पूजा पाल कहती हैं कि सच तो ये है कि मैंने सदन में जो सच था, बस वही कहा। मैं अपने क्षेत्र का विकास करती हूं और अपराध पर बोलना चाहती थी। मैंने अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ अपनी बात रखी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति और न्याय पर उनके कदम की सराहना की। शायद यही कुछ लोगों को पसंद नहीं आया, इसलिए मुझे निष्कासित किया गया मुझे ऐसा लगता है। अतीक अहमद के खिलाफ मैंने अपने अनुभव साझा किए और उनके अपराधों का जिक्र किया। मैंने अपने पति की हत्या और अन्य पीड़ित परिवारों की तकलीफों के बारे में बताया। समाजवादी पार्टी के कुछ लोगों को यह पसंद नहीं आया। मैंने केवल न्याय और अपराध पर बात की। मैंने यह दिखाया कि पिछड़े, दलित और अति पिछड़े समाज के लोगों को सुरक्षा और न्याय मिले। मैंने अपने समाज और परिवार के दर्द की आवाज उठाई। मेरे निष्कासन के बाद यह स्पष्ट हो गया। मैंने केवल सच कहा और अपराध पर बात की। इसके बावजूद मुझे दंडित किया गया। मैं किसी अन्य पार्टी में शामिल नहीं हुई हूं। मैं अपने पाल समाज और पिछड़े समाज के लोगों के साथ खड़ी हूँ और उनके हितों के लिए काम करूंगी।
पूजा पाल कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपराधियों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की। मेरे परिवार और समाज को न्याय मिला और यही वजह है कि मैं उनके नेतृत्व को समर्थन देती हूं। मेरे अनुभव और निष्कासन ने यह साफ कर दिया। मैंने वोट अपने समाज और न्याय के लिए दिया था, लेकिन पार्टी ने मेरी बात को नजरअंदाज किया है।
सवाल उठता है कि क्या पूजा पाल बीजेपी से जुड़ेंगी? इसके जवाब में वह कहती हैं कि अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। मैं अपने समाज और क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देती हूं। वह मानती हैं कि बीजेपी की सरकार का विजन 2047 तक प्रभावशाली है। यह पहली ऐसी सरकार है जो इतनी दूरदर्शिता के साथ नीतियां बनाती है। ये सरकार गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ती है। पूजा कहती हैं कि मैं दूसरों के बारे में नहीं कह सकती, लेकिन मेरा निर्णय हमेशा स्पष्ट रहा कि मैं न्याय और अपराध के पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी रहूंगी। मुझे लगता है कि महिलाओं और पीड़ितों के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए। केवल अपराधियों के
परिवार की पीड़ा को नहीं देखा जाना चाहिए।
मैं अपने पाल समाज और पिछड़े समाज के लोगों के साथ खड़ी रहूंगी। उनके दुख, तकलीफ और संघर्ष में हमेशा उनके साथ रहूंगी। मेरे पति की हत्या ने मेरे जीवन को बदल दिया था और 9 दिन की शादी के बाद यह घटना हुई और उनकी लाश तक नहीं मिली। यही पीड़ा मुझे सदन में बोलने के लिए प्रेरित करती है।
चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल ने विधानसभा के मानसून सत्र में सीएम योगी आदित्यनाथ की खुलकर तारीफ की थी। इस बयान को पार्टी विरोधी गतिविधि मानते हुए सपा ने उन पर कार्रवाई की है। इस घटना ने एक बार फिर पूजा पाल को सुर्खियों में ला दिया है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)