योगी की अखण्ड दहाड़

भारत का एक बड़ा भू-भाग पाकिस्तान के रूप में चला गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधी समाज ने उस दर्द को सबसे ज्यादा सहा है, उन्हें अपने मातृभूमि को छोड़ना पड़ा. उन्होंने कहा, आज भी आतंकवाद के रूप में हमें विभाजन की त्रासदी के दंश को झेलना पड़ता है।
अपनी जमीन के टुकड़ों पर अत्याचारी कार्यकलाप हृदय को विदीर्ण करते हैं। आर्यावर्ते भरत खंडे से लेकर भगवान झूललाल और गुरुनानक देव की पवित्र भूमि पर देव मंदिरों को तोड़ा जा रहा है और देवियों से दुराचार कर मजहब बदलने के लिए विवश किया जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों सिंधी समाज के एक कार्यक्रम में अखण्ड भारत की दहाड़ लगायी। योगी ने कहा कि जब पांच सौ वर्षों तक संधर्ष करने के बाद राम जन्म भूमि पर भव्य और नव्य मंदिर का निर्माण हो सकता है तो सिंधु, जिसके चलते ही हम हिन्दू कहलाए, उस प्रांत को पाकिस्तान से वापस क्यों नहीं लिया जा सकता? इसमें कोई संदेह नहीं कि देश के बंटवारे का सबसे ज्यादा दर्द सिंधी समाज ने ही सहा है और पाकिस्तान में रह रहे सिंधी अब भी वही पीड़ा सहन कर रहे हैं। समाज की दुष्प्रवृत्तियों को समाप्त करना हमारा सनातन धर्म है। गोस्वामी तुलसी दास ने लिखा है कि –
जब-जब होइ धर्म कै ग्लानी,
बाढ़हिं अधम, असुर अभिमानी।
तब-तब धरि प्रभु विविध सरीरा,
हरहि कृपा निधि सज्जन पीरा।
संभवतः इन्हीं सबसे प्रेरित यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने अखंड भारत की पुनस्र्थापना के लिए गर्जना की है। दस राज्यों के 225 से अधिक सिंधी प्रतिनिधि आज एक नया आह्वान लेकर निकले हैं तो पूरे देश को उनके इस अखंडता के यज्ञ में आहुति डालने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गतदिनों कहा कि अगर पांच सौ वर्षों के बाद राम जन्मभूमि वापस ली जा सकती है, तो कोई कारण नहीं कि हम सिंधु (सिंध प्रांत) वापस न ले पाएं। लखनऊ के एक होटल में सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया (यूथ विंग) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सिंधी अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 500 वर्षों के बाद अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। जनवरी में प्रधानमंत्री द्वारा रामलला अपने मंदिर में फिर से विराजमान किये जाएंगे उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा, अगर राम जन्मभूमि के लिए कुछ किया जा सकता है। पांच सौ वर्षों के बाद राम जन्मभूमि वापस ली जा सकती है, तो कोई कारण नहीं कि हम सिंधु (सिंध प्रांत, जो अब पाकिस्तान में है) वापस न ले पाएं। योगी ने जब यह उद्गार व्यक्त किया, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और काफी देर तक तालियां बजती रहीं बंटवारे की टीस बयां करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 1947 जैसी त्रासदी (भारत-पाकिस्तान बंटवारा) फिर नहीं होनी चाहिए। भारत का एक बड़ा भू-भाग पाकिस्तान के रूप में चला गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधी समाज ने उस दर्द को सबसे ज्यादा सहा है, उन्हें अपने मातृभूमि को छोड़ना पड़ा. उन्होंने कहा, आज भी आतंकवाद के रूप में हमें विभाजन की त्रासदी के दंश को झेलना पड़ता है। कोई भी सभ्य समाज आतंकवाद, उग्रवाद या किसी भी प्रकार की अराजकता को कभी मान्यता नहीं दे सकता। अगर मानवता के कल्याण के मार्ग पर हमें आगे बढ़ना है, तो समाज की दुष्प्रवृत्तियों को समाप्त करना होगा। हमारे धर्मग्रंथ भी हमें यही प्रेरणा देते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूज्य झूलेलाल जी (सिंधी समाज के आराध्य) हों या भगवान श्रीकृष्ण, सबने मानव कल्याण के लिए सज्जन के संरक्षण और दुर्जन को समाप्त करने की बात कही है। योगी ने कहा कि देश है तो धर्म है, धर्म है तो समाज है और समाज है, तो हम सभी का अस्तित्व है. हमारी प्राथमिकता इसी अनुरूप होनी चाहिए।
सिंधु नदी के साथ सटा इलाका सिंध कहलाता है और 1947 में हुए भारत पाक बंटवारे के बाद ये जगह पाकिस्तान में चली गई। ये इलाका पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक बन गया। बंटवारे के बाद कई सारे सिंधी लोग बचकर भारत आ गए और यहां से कई मुसलमान सिंध में जाकर बस गए। पाकिस्तान के लाहौर में पंजाब प्रांत के पहले पंजाबी शासक महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा लगाने और उन्हें शेर-ए-पंजाब करार देने के बाद सिंध सूबे में राजा दाहिर को भी सरकारी तौर पर हीरो करार देने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। रणजीत सिंह की प्रतिमा की स्थापना के बाद सोशल मीडिया पर पंजाब को मुबारकबाद पेश की जा रही है कि उसने अपने असल नायक को सम्मान दिया है। राजा रणजीत सिंह बादशाही मस्जिद के दक्षिण पूर्व स्थित अपनी समाधि से निकलकर शाही किले के सामने घोड़े पर सवार अपनी पिछली सल्तनत और राजधानी में फिर से नमूदार (हाजिर) हो गए हैं।
पंजाब दशकों तक अपने असल इतिहास को झुठलाता रहा है और एक ऐसा काल्पनिक इतिहास गढ़ने की कोशिश में जुटा रहा जिसमें वो राजा पोरस और रणजीत सिंह समेत असली राष्ट्रीय नायकों और सैकड़ों किरदारों की जगह गौरी, गजनवी, सूरी और अब्दाली जैसे नए नायक बनाकर पेश करता रहा जो पंजाब समेत पूरे उपमहाद्वीप का सीना चाक करके यहां के संसाधन लूटते रहे। अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान में बसने वाली तमाम कौमों के बच्चों को स्कूलों में सच बताया जाए और उन्हें अरब और मुगल इतिहास के बजाय अपना इतिहास पढ़ाया जाए. सिंध की कला और संस्कृति को सुरक्षित रखने वाले संस्थान सिंध्यालॉजी के निदेशक डॉक्टर इसहाक समीजू भी राजा दाहिर को सिंध का नेशनल हीरो करार दिए जाने की हिमायत करते हैं। उनका कहना है कि हर कौम को ये हक हासिल है कि जिन भी किरदारों ने अपने देश की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाई, उनको श्रद्धांजलि दी जाए। उनका कहना था, इतिहास में रणजीत सिंह का किरदार तो फिर भी विवादित रहा है, राजा दाहिर ने न तो किसी मुल्क पर हमला किया और न ही जनता पर जुल्म ढाये। ये अलग बात है कि शासकों से जनता को एक नैसर्गिक तौर पर कुछ शिकायतें हो सकती हैं।
सिंधियाना इंसाइक्लोपीडिया के मुताबिक हजारों वर्ष पहले कई कश्मीरी ब्राह्मण वंश सिंध आकर आबाद हुए, ये पढ़ा-लिखा तब का था, राजनीतिक असर और रसूख हासिल करने के बाद उन्होंने राय घराने की 184 साल की हुकूमत का खात्मा किया और पहले ब्राह्मण बादशाह बने। इतिहासकारों के मुताबिक राजा दाहिर की हुकूमत पश्चिम में मकरान तक, दक्षिण में अरब सागर और गुजरात तक, पूर्व में मौजूदा मालवा के केंद्र और राजपूताने तक और उत्तर में मुल्तान से गुजरकर दक्षिणी पंजाब तक फैली हुई थी। सिंध से जमीनी और समुद्री व्यापार भी होता था। इस प्रकार ऐतिहासिक प्रमाण है कि सिंध भारत का अखंड भाग था। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)