सम-सामयिक

युयुत्सव सांसदों से निवेदन

 

श्रीमद भगवत गीता का प्रथम श्लोक है- धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पांडवाश्चैव किमकुर्वत संजय। इसका भावार्थ है कि राजा धृतराष्ट्र सारथी संजय से बोले, हे संजय धर्मभूमि कुरु़क्षेत्र में एकत्रित हुए युद्ध की इच्छा करने वाले मेरे व पांडु पुत्रों ने क्या किया? इस श्लोक ने याद दिलाया कि क्या 18वीं लोकसभा के लिए चुने गये सांसद भी किसी सार्थक बहस नहीं बल्कि झगड़े (युद्ध) की इच्छा से तो नहीं गये हैं। इस बार भाजपा को सिर्फ 240 सांसद मिल पाये हैं लेकिन उसके गठबंधन के पास 293 सांसद हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को 99 सांसद ही मिल पाये लेकिन विपक्षी दलों के इंडिया के नाम से बने गठबंधन के पास 234 सांसद हैं। जाहिर है विपक्ष भी मजबूत है और नरेन्द्र मोदी के इस तीसरे कार्यकाल मंे राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष का पद मिला है। नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर सुविधाएं मिलती हैं लेकिन जिम्मेदारी भी बहुत होती है। गत 28 जून को ही लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने शोर मचा रहे विपक्षी सांसदों को शांत करने के लिए राहुल गांधी से ही निवेदन किया था। राहुल गांधी ने भी स्पीकर के चुनाव से लेकर शपथ ग्रहण और राष्ट्रपति के अभिभाषण तक पहली परीक्षा धैर्यपूर्वक दी लेकिन जब स्पीकर ने ही आपातकाल का मुद्दा उठाकर और निंदा प्रस्ताव रखकर जता दिया कि सभी की युद्ध की इच्छा है, बहस की नहीं। यही स्थिति 24 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के जवाब मंे देखने को मिली थी। कितना अच्छा होता कि संसद को सार्थक बहस का मंच बनाया जाता। नीट परीक्षा मंे धांधली जैसे विषय पर तो बहस होनी ही चाहिए और इसमें जो भी दोषी पाया जाए, उसे कड़ी से कड़ी सजा भी मिले लेकिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होनी चाहिए। यूपी समेत कई राज्यों ने इसके लिए कठोर नियम बनाने की बात भी कही है लेकिन इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़ने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों देश को विकसित देश बनाने पर ध्यान दें तो मतदाता भी अपने चयन पर गर्व महसूस करेंगे।

18 वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत से पहले एक तरफ संसद भवन में सांसद शपथ ग्रहण कर रहे थे तो दूसरी तरफ संसद भवन के बाहर विपक्ष के लोग संविधान बचाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस सब के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले सदन में शपथ ली। इससे पहले पीएम मोदी ने सत्र शुरू होने से पहले अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने कहा कि अपने तीसरे कार्यकाल में हम तीन गुना ज्यादा मेहनत के साथ तेजी से विकास के काम करेंगे। पीएम ने इस दिन को गौरवशाली बताया और कहा कि आजादी के बाद पहली बार हमारे अपने संसद यानी नई संसद में ये शपथ ग्रहण हो रहा है जबकि अबसे पहले यह प्रक्रिया पुराने सदन में हुआ करती थी। पीएम मोदी ने कहा कि देश की जनता विपक्ष से भी अच्छे कदमों की अपेक्षा रखती है। विपक्ष की तरफ से अबतक तो निराशा मिली है। शायद इस 18वीं लोकसभा में विपक्ष से देश के नागरिक अच्छी भूमिका की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने देश में आपातकाल का जिक्र करते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया और कहा कि आज 24 जून है, जब हम मिले हैं। कल 25 जून है जिसे कोई भूल नहीं सकता। पीएम मोदी की बातों पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जमकर निशाना साधा। खड़गे ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रथागत शब्द आज जरुरत से ज्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया। देश को आशा थी कि पीएम मोदी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। नीट व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धांधली व भ्रष्टाचार के बारे में कोई जिम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी पीएम मोदी मौन साधे रहे। मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर वह न वहां गए और ना ही उन्होंने आज के अपने भाषण में ताजा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है। असम व पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महंगाई हो, रुपए का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक मार्केट घोटाला हो। उन्होंने इस पर कुछ भी नहीं कहा। खड़गे ने लिखा कि अगली जनगणना लंबे समय से मोदी सरकार ने लंबित रखी है, जातिगत जनगणना पर भी वह बिल्कुल चुप थे लेकिन पीएम मोदी आप 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया।
ओम बिरला दूसरी बार लोकसभा स्पीकर चुने गए हैं। बिरला को
ध्वनिमत से 18वीं लोकसभा का नया स्पीकर चुना गया जिसके बाद पीएम मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी उन्हें कुर्सी तक लेकर पहुंचे। ओम बिरला के नाम पर विपक्ष का विरोध न करना मोदी के लिए भी सरप्राइज से कम नहीं रहा। उम्मीद यही की जा रही थी कि विपक्ष वोटिंग की मांग करेगा और फिर पूरी प्रक्रिया के तहत मतदान होगा। बिरला ने अध्यक्षीय आसन ग्रहण करने पर आपातकाल का जिक्र किया। इससे विपक्षी दलों के शुभकामना संदेश फीके पड़ गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के आपातकाल भाषण की सराहना की। ओम बिरला ने आपातकाल के दौरान अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा, जिसके बाद विपक्ष ने नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया और अंततः सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा में सदन की कार्यवाही चल रही थी तो कांग्रेस की एक सांसद अचानक से बेहोश हो गई थी। इसके बाद सांसद को अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन विपक्ष के सांसदों का आरोप है कि सदन की कार्यवाही को थोड़ी देर बाद फिर से शुरू कर दिया गया। इससे नाराज होकर विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट किया। टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा कि वे (एनडीए सरकार) कोई दया नहीं दिखा रहे हैं और सदन को चलाना जारी रखे हुए हैं। इसलिए, हमने विरोध में वॉकआउट किया है क्योंकि वह (कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम) बेहोश हो गईं, फर्श पर गिर गईं और सरकार की ओर से कोई चिंता नहीं दिखाई गई। हालांकि सभापति ने कार्यवाही को तुरंत रोक दिया। सभापति ने इस दौरान पास बैठे कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी को पीड़ित सांसद की मदद के लिए कहा। इन घटनाओं से सांसदों के मनोभाव प्रकट होते हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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