लेखक की कलम

सीटों की जंग जीत गये तेजस्वी

चुनाव से पहले गठबंधन के दलों के सामने सबसे बड़ी समस्या सीटों के बंटवारे की रहती है। जरा सा तालमेल गडबडाया नहीं, मीडिया में उछलने लगता है कि चुनाव से पहले ही गठबंधन बिखरने लगा। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के महागठबंधन ने सीट बंटवारे पर सहमति बना ली है। यह बड़ी सफलता मानी जा रही है। सबसे बड़ी बात यह कि राजद और कांग्रेस ने नए साथियों के लिए त्याग करने का फैसला किया है। सहमति के तहत राजद को 135-136 सीटें मिल सकती हैं जबकि कांग्रेस को 50-52 सीटें मिलने की उम्मीद है। मुकेश सहनी की पार्टी को भी सीटें मिलेंगी। माना जा रहा है कि 15 सितंबर को सीटों की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी। हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री का पत्ता अब तक नहीं खोला है। दिल्ली में बिहार के नेताओं संग बैठक कर सीट बंटवारे और रणनीति पर चर्चा की गयी। स्क्रीनिंग कमिटी अब उम्मीदवारों पर मंथन करेगी। महागठबंधन में नए सहयोगियों को शामिल करने पर भी सहमति बनी। वहीं, चुनावी बयानबाजी तेज हो गई है। उधर, विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में सीट बंटवारे पर सहमति अभी नहीं बन पाई है। माना जा रहा है कि हफ्ता भर में एनडीए में भी यह काम हो जाएगा। बीजेपी और जेडीयू के बीच ही सीटों के बंटवारे की सबसे बड़ी समस्या होगी। भाजपा के सूत्रों के अनुसार बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय है, लेकिन चिराग पासवान सहित अन्य सहयोगी अलग-अलग तरीके से दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों तरफ से एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है।
विपक्षी दलों के महागठबंधन (आईएनडीआईए अर्थात इंडिया) ने सीट बंटवारे को लेकर बड़ी बाधा पार कर आपसी सहमति बना ली है। इस गठबंधन के दो प्रमुख और बड़े दलों राजद और कांग्रेस ने तय किया है कि विजय मार्ग पर बढने के लिए दोनों दल थोड़ा-थोड़ा त्याग करेंगे, ताकि नए साथियों को चुनाव मैदान में किस्मत आजमाइश का मौका मिल सके। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन की समन्वय समिति के अध्यक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर मैराथन बैठक में यह फैसला हुआ कि दलों को वैसी सीटें मिलेंगी जहां वे प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होंगे। महागठबंधन की बैठक में आपसी सहमति से लिये गए इस निर्णय पर राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि आपसी तालमेल और दरार की गुंजाइश को किनारे करते हुए ही महागठबंधन भाजपा और एनडीए के मजबूत नेटवर्क और वोट बैंक का मुकाबला कर सकता है।
कांग्रेस और राजद के सूत्रों के अनुसार, सीटों के बंटवारे का जो फॉर्मूला तैयार हुआ है उसके तहत रेस का सबसे बड़ा दल राजद होगा जिसे करीब 135-136 सीटें मिलने का अनुमान है। इन्हीं सीटों में करीब 10-11 सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और रालोजपा (पारस गुट) को दी जाएंगी। दूसरे पायदान पर कांग्रेस होगी जिसे 50-52 सीटें मिलने की बात कही जा रही है। कांग्रेस के हिस्से की कुछ सीटें वाम दलों को जा सकती हैं। चर्चा है कि तीन वामदलों को मिलाकर 34 सीटें मिल सकती हैं। मुकेश सहनी की पार्टी इस बार महागठबंधन का हिस्सा है। उसे भी 18-20 सीटें दिए जाने की बात सामने आ रही है।हालांकि, सहनी काफी पहले से 60 सीटों की मांग करते रहे हैं, परंतु वे महागठबंधन की जीत के लिए त्याग करने से परहेज नहीं करेंगे, ऐसा दावा हो रहा है। यहां बताएं कि महागठबंधन में सीटों के मसले पर काफी खींचतान दिखाई पड़ रही थी। कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी जैसी पार्टियां चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के पहले से सार्वजनिक मंचों से बड़ी हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे। ऐसे हालात में इन पार्टियों को एकमत करना बेहद दुष्कर रहा, परंतु प्रदेश स्तर के नेताओं ने अंततः यह मान लिया कि पार्टी का लक्ष्य केवल सीटें बढ़ाना नहीं, बल्कि महागठबंधन को सत्ता में लाना होना चाहिए।
अब 15 सितंबर को महागठबंधन में सीटों की आधिकारिक घोषणा संभव है। यदि इसके पहले महागठबंधन में आपसी द्वंद्व नहीं दिखा तो इसका सीधा संदेश जाएगा कि विपक्ष अगर एकजुट हो तो कोई भी मुश्किल साधी जा सकती है। चुनावों में किसी भी गठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीट शेयरिंग होती है। बिहार चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए एक जैसी चुनौती बन गया है। एनडीए के लिए भी और इंडिया ब्लॉक, जो बिहार में महागठबंधन के तौर पर भी जाना जाता है, उसके लिए भी। जन सुराज पार्टी के साथ प्रशांत किशोर की एंट्री, चैलेंज तो दोनों ही गठबंधनों के लिए हैं लेकिन एनडीए के सामने ऐसी एक और चुनौती है। चिराग पासवान अब भी एनडीए की सीट शेयरिंग में चुनौती बने हुए हैं। चिराग पासवान के जीजा और एलजेपी-आर के बिहार प्रभारी अरुण भारती कह रहे हैं कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की क्षमता रखती है। अपनी दलील को मजबूत करने के लिए वो 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की याद दिला रहे हैं।
इधर, 10 सितंबर को कांग्रेस स्क्रीनिंग कमिटी की अहम बैठक हुई। इसमें बिहार के संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा कर गयी। प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और अन्य बड़े नेता आवेदनों पर विचार करेंगे। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में दावेदार दिल्ली पहुंच चुके हैं और टिकट के लिए पैरवी कर रहे हैं। इसी बीच बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू का बड़ा बयान सामने आया। बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने फिर साफ कर दिया कि कांग्रेस अभी मुख्यमंत्री चेहरे का ऐलान नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि सीएम का चेहरा जनता तय करेगी। सीटों के बंटवारे पर अल्लावरू ने कहा कि महागठबंधन में सभी दलों को कुछ अच्छी सीटें मिलेंगी, लेकिन कुछ सीटों पर समझौता भी करना होगा। नए दलों के आने से सबको अपनी कुछ सीटें छोड़नी पड़ेंगी। अल्लावरू ने बताया कि कांग्रेस केवल जीतने वाली सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इस पर गंभीरता से काम चल रहा है। पार्टी की बड़ी बैठक 16 सितंबर को होगी, जबकि स्क्रीनिंग कमिटी की औपचारिक बैठक 19 सितंबर से पटना में शुरू होगी। इसी बैठक में उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा और चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

 

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