हिंडनवर्ग की रिपोर्ट से विदेशी निवेशकों को हुआ फायदा: ईडी

अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हुई शॉर्ट सेलिंग से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और विदेशी संस्थागत निवेशकों समेत एक दर्जन कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस साल जनवरी में बाजारों के ढह जाने की वजह बनी हिंडनबर्ग रिपोर्ट की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई जांच के हवाले से यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। शॉर्ट-सेलिंग दरअसल निवेश का वह तरीका है, जिसमें बेचने के नाम पर प्रतिभूतियों को उधार लिया जाता है और बाद में कीमतें गिर जाने पर वापस खरीद लिया जाता है। इस प्रक्रिया में दरअसल निवेशक दांव लगाते हैं, और शेयर की कीमतों में गिरावट से मुनाफा कमाते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ईडी ने जांच के दौरान तय किए गए निष्कर्ष बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ जुलाई में साझा किए थे. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि किसी भी शॉर्ट सेलर, जिनमें तीन भारत से और चार मॉरीशस से थे, ने आयकर अधिकारियों को अपने मालिकाना ढांचे की जानकारी नहीं दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कुछ कंपनियों ने 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से दो या तीन दिन पहले ही कथित तौर पर सौदे खोल दिए थे। कुछ अन्य ने पहली बार शॉर्ट सेलिंग में किस्मत आजमाई थी।
विदेशी निवेशक, जो सेबी के पास रजिस्टर्ड होते हैं, को डेरिवेटिव्स के सौदे करने की अनुमति होती है. डेरिवेटिव्स वे वित्तीय उपकरण होते हैं, जो बाजार जोखिमों को कम कर शॉर्ट-टर्म सौदों की अनुमति देते हैं। रिपोर्ट में इनमें से कुछ शॉर्ट सेलरों की अनियमित कमाई के पैटर्न की ओर भी इशारा किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, सेबी ने निवेशकों को गुमराह करने के आरोप में एक भारतीय कंपनी के प्रमोटर के खिलाफ आदेश भी पारित किया।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि उद्योगपति गौतम अदाणी ने अदाणी समूह की कंपनियों के स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करने के लिए मॉरीशस में शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया था। अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इंकार किया और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत, उसके संस्थानों और विकासगाथा पर ‘सोचा-समझा हमला’ करार दिया था।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को मामले की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।