उपचुनावों में योगी की परीक्षा

लोकसभा चुनाव में भाजपा का यूपी में मिशन-80 कामयाब नहीं हो सका लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा के 10 उपचुनाव में दमखम दिखाने का अवसर है। विधान परिषद की एक सीट पर निर्विरोध जीत से योगी के लिए सगुन तो अच्छा रहा है। समाजवादी पार्टी के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 20 फरवरी को इस्तीफा दिया था। इस सीट पर भाजपा ने बहोरन लाल मौर्य को उम्मीदवार बनाया था। विधान परिषद में सपा, बसपा और कांग्रेस के पास जीतने लायक संख्या बल ही नहीं था। इसलिए इन तीनों राजनीतिक दलों ने अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा। इस सीट के लिए मतदान 12 जुलाई को होना था लेकिन दूसरे दलों ने जब प्रत्याशी ही नहीं उतारा तो भाजपा के बहोरन लाल मौर्य को निर्विरोध विजयी घोषित कर दिया गया। विधान परिषद में अब भाजपा के 79 सदस्य हो गये है। समाजवादी पार्टी के भी 10 विधान परिषद सदस्य हैं, जबकि अपना दल (सोने लाल), शिक्षक दल (गैर राजनीतिक), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और सुभासपा के भी एक-एक सदस्य हैं। विधान परिषद में अभी एक सीट जितिन प्रसाद के सांसद बनने से खाली हुई है। यह सीट मनोनीत कोटे से है, इसलिए चुनाव की जरूरत नहीं पड़ेगी। भाजपा को विधान सभा उप चुनावों में अपनी ताकत दिखानी होगी क्योंकि सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों दल भरपूर जोर लगा रहे हैं। भाजपा का वोट बैंक कहां पर कमजोर हुआ, इसकी थाह बीएल संतोष जैसे अनुभवी नेता ले रहे हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 6 सांसद मिले हैं। उपचुनाव में भी सपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगी।
लोकसभा चुनाव में विधायकों की जीत के बाद विधानसभा की कुल 10 सीटें खाली हो गई हैं। इनमें भाजपा के विधायकों ने जहां जीत हासिल की थी उनके नाम फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, व मझवां विधानसभा सीटें है। वहीं रालोद ने मीरापुर सीट से अपने विधायक चंदन चैहान को बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। साथ ही सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने के बाद सदस्यता जाने के बाद कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा। इस तरह कुल 10 सीटों में से 5 सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। जिनके नाम मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी व कुंदरकी हैपार्टी लोकसभा चुनाव के बाद से ही इसकी तैयारी में जुट गई थी। पार्टी के नेता जहां-जहां इंडिया गठबंधन सीट की जीत हुई थी वहां धन्यवाद कार्यक्रम का भी आयोजन कर रहे थे। यहीं नहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी लगातार प्रदेश में दौरा कर यूपी में संगठन को मजबूत कर रहे है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की एक सीट के लिए हुए उपचुनाव में शुक्रवार (05 जुलाई) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बहोरन लाल मौर्य निर्विरोध निर्वाचित हुए। स्वामी प्रसाद मौर्य के समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद से एमएलसी की सीट खाली थी जिस पर बीजेपी ने बहोरन लाल मौर्य को उम्मीदवार बनाया था। स्वामी प्रसाद मौर्य के समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद से एमएलसी की सीट खाली थी जिस पर बीजेपी ने बहोरन लाल मौर्य को उम्मीदवार बनाया था। लोकसभा चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों के होने वाले उपचुनाव में सभी राजनीतिक दलों की बड़ी परीक्षा होगी। पहली बार इतनी अधिक सीटों पर एक साथ उपचुनाव होने जा रहे हैं। सभी राजनीतिक दल अपना दमखम दिखाने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं।एनडीए व आइएनडीआइए के प्रत्याशी एक बार फिर इस चुनाव में आमने-सामने नजर आएंगे। वहीं, आमतौर पर उपचुनाव न लड़ने वाली बसपा भी इस उपचुनाव में अपना खोया जनाधार पाने की कोशिश में मजबूती से उतरेगी। इस परीक्षा में पास-फेल होने से योगी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, किंतु दोनों ही गठबंधन एक-दूसरे को हराकर बड़ा राजनीतिक संदेश जरूर देना चाहते हैं। उपचुनाव के लिए जो सीटें रिक्त हुई हैं, उनमें पांच सपा, तीन भाजपा, एक रालोद व एक निषाद पार्टी की है। एनडीए लोकसभा चुनाव के खराब प्रदर्शन को भुलाकर पूरी ताकत से उपचुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने डेढ़ दर्जन मंत्रियों को इन सीटों का प्रभारी बना दिया है। भाजपा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर लोकसभा चुनाव में मिली हार का बदला इंडिया से लेना चाहती है। भाजपा के अच्छे प्रदर्शन से एक बार फिर उसके कार्यकर्ताओं में जोश आ जाएगा। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने भी लखनऊ में दो दिवसीय समीक्षा बैठक कर उपचुनाव में विजय का संकल्प लेकर काम करने के लिए कहा है। उन्होंने दलितों पर फोकस बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं।
इंडिया में सपा व कांग्रेस भी उपचुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतकर अपने विजय क्रम को बरकरार रखना चाहती हैं। सपा ने प्रत्याशियों पर मंथन भी शुरू कर दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश ने अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं को पूरी तैयारी के साथ उपचुनाव में उतरने के निर्देश दिए हैं। पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को इस उपचुनाव में भी सपा और मजबूत करेगी। प्रयागराज जिले की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मीरजापुर की मझवां, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अयोध्या की मिल्कीपुर, मैनपुरी की करहल, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुरादाबाद की कुंदरकी व कानपुर की सीसामऊ में उपचुनाव होना है।
लोकसभा चुनाव 2024 में बेहतर सफलता प्राप्त करने के बाद कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में अपने संगठन को मजबूत करने की तैयारी में जुटी हुई है क्योंकि 2019 के लोकसभा में पार्टी को केवल 1 सीट ही पूरे प्रदेश में हासिल हुई थी, वहीं वोटिंग प्रतिशत भी कम हुआ था। लेकिन 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने छह सीटों पर जीत हासिल की और वोटिंग प्रतिशत में इजाफा हुआ।
कांग्रेस प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव भी सपा के साथ मिलकर लड़ना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने तैयारी में शुरु कर दी है। कांग्रेस पार्टी उन सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी जिन पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।
उधर, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने लखनऊ पार्टी मुख्यालय में एससी मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक में लोकसभा चुनाव में हार के कारणों की पड़ताल की। इस दौरान टिकट वितरण में लापरवाही व संविधान बदलने को लेकर विपक्ष का प्रचार हार का बड़ा कारण बताया गया। लोकसभा चुनाव परिणाम से सीख लेते हुए पार्टी अब नई तैयारी कर रही है। लोकसभा चुनाव के परिणाम से सीख लेते हुए भाजपा ने दलितों में नए सिरे से पैठ बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार व संगठन में दलितों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने लखनऊ प्रवास के दूसरे दिन पार्टी मुख्यालय में एससी मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक में लोस चुनाव में हार के कारणों की पड़ताल की। मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि टिकट वितरण में लापरवाही व संविधान बदलने को लेकर विपक्ष का प्रचार हार का बड़ा कारण बना है।उन्होंने मोर्चा के पदाधिकारियों से स्पष्ट तौर पर हार के कारणों के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दलितों व पिछड़ों के उत्थान के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। इसके बाद भी वंचित व पिछड़े वर्ग के तमाम मतदाताओं ने पार्टी से दूरी क्यों बना ली। मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि उम्मीदवारों व कार्यकर्ताओं में समन्वय की कमी हार का बड़ा कारण रहा। मुख्यमंत्री योगी ने बैठक के निष्कर्ष पर मंथन किया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)