लेखक की कलम

जीवन के संघर्षों से लड़िए

आजकल लोग जरा सी बात पर सुसाइड कर रहे हैं। देश में विभिन्न कारणों से सभी वर्गों के लोगों में आत्महत्या करने की मनोवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ रही हैं जिससे बड़ी संख्या में परिवार उजड़ रहे हैं। अधिकांश परिवारों के इकलोते चिराग असमय बुझ रहे हैं। आपको बता दें कि आए दिन आत्महत्या के मामलों की झड़ी लगी है इसमें प्रशासनिक अधिकारी पुलिस अधिकारी से लेकर आम आदमी तक जिंदगी की जंग से हार कर सुसाइड कर रहे हैं।

पिछले दिनों एडीजीपी वाई पूरण कुमार ने गोली मार खुदकुशी कर ली। चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में घर के बेसमेंट में बने कमरे में पीएसओ की सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारी गई। आठ पेज का सुसाइड नोट, एक दिन पहले लिखी गई वसीयत भी मिली है। एक दिन पहले रिश्वत मांगने के मामले में उनका सुरक्षाकर्मी गिरफ्तार हुआ था। एडीजीपी जैसे स्तर पर तैनात अधिकारी भी यदि सुसाइड जैसा कायरता भरा कदम उठाता है तो समाज में गहरे तक टूट रहे आत्मविश्वास, धैर्य और संघर्ष की नैतिक साहस की समीक्षा की जानी चाहिए।

एडीजीपी आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद हरियाणा पुलिस महकमा में हड़कंप मचा हुआ है। आईपीएस पूरन कुमार के बाद एएसआई संदीप लाठर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। रोहतक आईजी ऑफिस की साइबर सेल में तैनात एएसआई संदीप लाठर ने छह दिन बाद अपने सिर में गोली मारकर खुदकुशी कर ली। एएसआई ने एडीजीपी पूरन सिंह पर तमाम आरोप सुसाइड नोट में लगाएं हैं लेकिन सवाल फिर ज्यों का त्यों है कि आखिर ये लोग यदि विभागीय कार्यप्रणाली से या उच्च पदस्थ अधिकारियों के व्यवहार से परेशान थे तो अदालत क्यों नहीं गए? क्या समर्थ सक्षम आईपीएस अधिकारी को भी देश की न्याय व्यवस्था या उच्चधिकारियों पर भरोसा नहीं है?

अब कुछ और वारदातों पर नजर डालिए। महाराष्ट्र के सातारा जिले में 28 वर्षीय महिला डॉक्टर की रहस्यमयी आत्महत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया है। इस मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। पुलिस ने आरोपी पुलिस उपनिरीक्षक गोपाल बदाने को गिरफ्तार कर लिया है, जिस पर पीड़िता ने यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग के गंभीर आरोप लगाए थे।
आपको बता दें सतारा (महाराष्ट्र) में फलटन तहसील के एक सरकारी अस्पताल की इस महिला डाक्टर ने आत्महत्या कर ली। अपनी हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में डाक्टर ने एक पुलिस उप निरीक्षक गोपाल बदाने पर उसके साथ कई बार बलात्कार करने और प्रशांत बांकर नामक एक अन्य पुलिस कर्मी पर उसे मानसिक रूप से परेशान करने के आरोप लगाए हैं। सरकारी सेवा में पदस्थ एक डाक्टर भी यदि किसी अप्रिय घटना का शिकार बन जाने पर देश की अदालतों पर भरोसा नहीं कर रहा है कि उसे न्याय मिलेगा तो यह बेहद चिंताजनक है। इसी तरह कुछ और वारदातों से आपको अवगत कराते है।

देवरिया (उत्तर प्रदेश) में अपनी 6 वर्षीय बेटी के बलात्कार से आहत उसके पिता ने आत्महत्या कर ली। बलात्कार करने वाला इसी बच्ची के पिता का मित्र था जो उनके साथ एक ही मकान में किराए पर रहता था। कोटा (राजस्थान) में सरकारी मैडीकल कालेज में एमबीबीएस की तीसरे वर्ष की छात्रा प्राची मीणा ने हाल ही में सम्पन्न परीक्षा में कम अंक पाने के कारण डिप्रैशन में आत्महत्या कर ली। मध्य मुम्बई में सोनू बराई नामक युवक ने अपनी प्रेमिका मनीषा यादव को मिलने के बहाने बुलाया। सोनू बराई को संदेह था कि मनीषा के किसी दूसरे युवक से अवैध सम्बन्ध हैं। इस कारण दोनों में झगड़ा हुआ और फिर सोनू ने चाकू से उसे मार डालने के बाद स्वयं भी अपना गला रेत कर अपने जीवन का अंत कर दिया। एर्नाकुलम (केरल) में श्भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) की स्थानीय समिति के पूर्व सचिव पंकजाक्षन ने आत्महत्या कर ली।

पुलिस के अनुसार पंकजाक्षन ने यह कदम आर्थिक कारणों से डिप्रेशन का शिकार होने के परिणामस्वरूप उठाया। लाडवा (हरियाणा) के बपदा गांव में 6 महीने की गर्भवती महिला काजल ने घर में फंदा लगा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मृतका की बहनों के अनुसार 22 अक्तूबर, 2023 को विवाह के बाद से ही काजल अपने ससुराल में दुखी थी। गनौर (हरियाणा) के गांव नया बांस में दहेज प्रताड़ना से तंग आकर रवीना नामक एक महिला ने फंदा लगा कर अपनी जान दे दी। मृतका के मायके वालों का आरोप है कि विवाह के बाद से ही उसे लगातार ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था रायपुर (छत्तीसगढ़) में 25 वर्षीय नवविवाहिता मंजूषा गोस्वामी ने अपने पति आशीष द्वारा किसी बात पर नाराज होकर उसे थप्पड़ मार देने से आहत होकर फांसी लगा ली अलवर (राजस्थान) के गांव बहला में पैसों को लेकर अपने पिता से विवाद के चलते राहुल जाटव नामक युवक ने अपनी पत्नी की साड़ी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

कोयम्बटूर (तमिलनाडु) में डिफैंस सिक्योरिटी कोर के जवान एस. सानू ने सुल्लूर एयरफोर्स स्टेशन में अपने सर्विस रिवाल्वर से स्वयं को गोली मार ली। उसकी पत्नी का कहना है कि वह तनाव में था।
ये तो मात्र कुछ दिनों में सामने आई घटनाएं हैं। इन्हीं से अनुमान लगाया जा सकता है कि एक वर्ष में कितने लोग अपनी जान गंवा लेते होंगे। ज्यादातर करियर, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, विवाह, काम सम्बन्धी तनाव, प्रेम प्रसंग, बलात्कार आदि समस्याएं आत्महत्याओं के कारण बन रही हैं। इनका एक मुख्य कारण संयुक्त परिवारों का न होना भी है। परिवार में कोई बड़ा-बुजुर्ग, माता-पिता आदि न होने के कारण अवसादग्रस्त व्यक्ति ऐसा कदम उठाने को प्रेरित हो जाता है और अपने पीछे परिवार को रोता-बिलखता छोड़ जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए बच्चों को बचपन से ही मानसिक तौर पर मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि किसी भी स्थिति में

उनका धैर्य नहीं टूटना चाहिए। दरअसल कोविड के बाद आम आदमी में जीवन के प्रति हताशा की सोच बन रही है। लोग छोटे-छोटे विवाद को लेकर जान देने पर आमादा हो जाते हैं। अधिकारी, व्यापारी, किसान, सेवारत लोगों से लेकर छात्र और नाबालिग भी जीवन से हताश होकर आत्महत्या कर रहे हैं। समाज शास्त्रियों के लिए यह शोध का विषय है कि आखिर जीवन के प्रति इतनी हताशा कहां से आ रही है? (मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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