धामी का मास्टर स्ट्रोक

उत्तराखंड में भी लगभग 2 साल के बाद चुनाव होने हैं। इस बार वहां बादल फटने और भू स्खलन (लैण्ड स्लाइड) से जन-धन की काफी क्षति हुई है। इसके चलते बीच-बीच में चारधाम यात्रा भी रोकनी पड़ी है। राज्य मंे अवसादपूर्ण माहौल था। इसलिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक चुनावी वादे को पूरा करके मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। इस राज्य मंे लगभग हर परिवार से एक व्यक्ति सेना मंे भर्ती होता है। केन्द्र सरकार ने अग्निवीर योजना शुरू की तो उसमंे भर्ती होने वालों मंे भी उत्तराखंड के युवा ज्यादा हैं। इस योजना मंे नौकरी की सीमित अवधि के चलते विपक्षी दलों को आलोचना करने का मौका मिल गया। हालंाकि केन्द्रीय पुलिस बल और अन्य भर्तियों मंे सेवामुक्त अग्निवीरों को भर्ती करने का प्रावधान किया गया है लेकिन आलोचना बदस्तूर जारी है। अब भाजपा शासित राज्यों मंे अग्निवीरों को राज्य की नौकरियों मंे आरक्षण देने का प्रावधान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अग्निवीरो को लेकर किये गये वादे को 1 सितम्बर को निभाया है। उत्तराखंड मंे सेवामुक्त अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों मंे 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं मंे समूह ग की सीधी भर्ती के वर्दीधारी पदों पर सेवायोजन क्षैतिज आरक्षण नियमावली-2025 जारी कर दी है। इस प्रकार अब सेवामुक्त अग्निवीरों को बंदी रक्षक, वन दरोगा और प्रवर्तन सिपाही जैसे पदों पर आरक्षण के साथ नियुक्ति मिलेगी। सैन्यबहुल प्रदेश होने के नाते मुख्यमंत्री के इस फैसले को राजनीतिक शस्त्र के रूप मंे देखा जा रहा है। देहरादून मंे पांचवां शौर्य धाम भी इसी मास्टर स्ट्रोक की एक कड़ी बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने एक और बड़े वायदे को पूरा करते हुए सेवामुक्त अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण प्रदान करने की घोषणा कर दी है। कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने विधिवत “उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में समूह ग की सीधी भर्ती के वर्दीधारी पदों पर सेवायोजन हेतु क्षैतिज आरक्षण नियमावली-2025” जारी कर दी। इस नियमावली के तहत अब सेवामुक्त अग्निवीरों को पुलिस आरक्षी (नागरिक/पीएसी), उप निरीक्षक, प्लाटून कमांडर पीएसी, अग्निशामक, अग्निशमन द्वितीय अधिकारी, बंदी रक्षक, उप कारापाल, वन आरक्षी, वन दरोगा, आबकारी सिपाही, प्रवर्तन सिपाही और सचिवालय रक्षक जैसे महत्वपूर्ण वर्दीधारी पदों पर 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण मिलेगा। साथ ही, उन्हें टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में भी सेवायोजित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है।
सैन्य बहुल प्रदेश होने के नाते उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को “मास्टर स्ट्रोक” माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल अग्निवीरों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि युवाओं में सेना से जुड़ने की प्रेरणा भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “देश की सेवा कर लौटे पूर्व अग्निवीर प्रदेश का गौरव हैं। उन्हें सम्मान और रोजगार का अवसर देना हमारी जिम्मेदारी है। यह निर्णय सेवामुक्त हुए अग्निवीरों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। हमारी सरकार पूर्व सैनिकों और अग्निवीरों को हर तरह से सेवायोजन का प्रयास कर रही है।”अग्निवीरों को आरक्षण देने के साथ ही राज्य सरकार ने शहीद सैनिकों और वीर बलिदानियों के परिवारों के लिए भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। अब शहीद सैनिकों के परिजनों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई है। वहीं, परमवीर चक्र विजेताओं की अनुग्रह राशि 50 लाख से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये कर दी गई है। साथ ही, वीर बलिदानी परिवारों में से एक परिजन को सरकारी नौकरी भी प्रदान की जा रही है।
प्रदेश की सैन्य परंपरा को सम्मान देते हुए देहरादून में पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है। यह धाम राज्य की वीरता और बलिदान की अनोखी मिसाल पेश करेगा और आने वाली पीढ़ियों को शौर्यगाथा से जोड़ेगा। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी कहा जाता है। यहां लगभग हर परिवार से कोई न कोई सदस्य सेना में सेवा कर देश की सीमाओं की रक्षा करता आया है। मुख्यमंत्री धामी के हालिया फैसले इसी गौरवशाली परंपरा को और मजबूती देने वाले हैं।राज्य की सैन्य परंपरा इतनी गहरी है कि यहां लगभग हर परिवार से कोई न कोई सदस्य देश की सीमाओं पर मातृभूमि की रक्षा में योगदान देता आया है। यही वजह है कि यहां की वीरता और देशभक्ति की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। इसी सैन्य परंपरा को सहेजने और शौर्य की धरोहर को संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार ने देहरादून में पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम का निर्माण कराया है, जो अब पूर्ण हो चुका है। यह धाम प्रदेश के लिए न केवल सैन्य श्रद्धा का केंद्र बनेगा बल्कि शहीदों की स्मृति को सदैव जीवंत रखेगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 14 जून 2022 को सशस्त्र बलों में सेवा देने हेतु भारतीय युवाओं के लिए एक आकर्षक भर्ती योजना, अग्निपथ को मंजूरी दी और इस योजना के तहत चुने गए युवाओं को अग्निवीर कहा जाता है। अग्निपथ देशभक्त और प्रेरित युवाओं को चार साल की अवधि के लिए सशस्त्र बलों में सेवा करने का अवसर प्रदान करती है। चार साल की सेवा के बाद, लगभग 25 फीसद अग्निवीरों को उनकी योग्यता और प्रदर्शन के आधार पर नियमित सैनिक के रूप में स्थायी नियुक्ति दी जा सकती है। बाकी को सेवा समाप्ति पर एकमुश्त राशि (सेवा निधि) दी जाती है, जो लगभग 11-12 लाख रुपये होती है।
भारतीय सेना में अग्निवीर के सैलरी स्ट्रक्चर में पहले वर्ष में अग्निवीर को 30000 रुपये प्रतिमाह का पैकेज मिलता है। इसमें 21000 रुपये इनहैंड सैलरी मिलती है। दूसरे वर्ष में अग्निवीर को 33000 रुपये प्रतिमाह का पैकेज मिलता है। इसमें 23100 रुपये इनहैंड सैलरी मिलती है। तीसरे वर्ष में अग्निवीर को 36500 रुपये प्रतिमाह का पैकेज मिलता है। इसमें कैंडिडेट्स को 25550 रुपये इनहैंड सैलरी मिलती है। चैथे वर्ष में अग्निवीर को 40000 रुपये प्रतिमाह का पैकेज मिलता है। इसमें कैंडिडेट्स को 28000 रुपये इनहैंड सैलरी मिलती है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी कैबिनेट बैठक में अग्निवीरों को बड़ी सौगात दी है। अग्निवीरों को पुलिस भर्ती में 20 प्रतिशत का आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई है। कैबिनेट बैठक में सरकार की ओर से कहा गया कि पूर्व अग्निवीरों को समायोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी, आरक्षी घुड़सवार एवं फायरमैन की सीधी भर्ती में 20 प्रतिशत पदों को आरक्षित रखा जाएगा। इसी प्रकार हरियाणा मंे सीएम सैनी ने कहा कि अब राज्य पुलिस की भर्ती में अग्निवीरों को 20 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाएगा। इसी तरह से वन विभाग में फोरेस्ट गार्ड, जेल वार्डर और खनन गार्ड की नौकरी में भी अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। सीएम ने कहा कि अग्निवीर के जवान सेना की सेवा अवधि के बाद हरियाणा में नौकरी पा सकेंगे। इसको लेकर उनके लिए अलग से पोर्टल बनाया जाएगा, जिस पर वे अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके बाद उन्हें शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नौकरियों में वरीयता दी जाएगी।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)