लेखक की कलमसम-सामयिक

जाह्नवी को मरणोपरांत डिग्री नहीं न्याय मिले

 

भविष्य के सपने लेकर अमेरिका में पढ़ने गई होनहार भारतीय छात्रा जाह्नवी कंडुला को एक नशे में धुत्त अमेरिकी पुलिस अधिकारी ने तेज रफ्तार पुलिस गश्ती कार से कुचल दिया था जिससे उनकी मौत हो गई थी। शर्मनाक व दिल दहला देने वाली बात यह है कि एक पुलिस वाला छात्रा की मौत पर हंस रहा था और अनर्गल बयानबाजी कर रहा था। यह सब उसकी वर्दी पर लगे बाडी कैमरे में दर्ज हो गया। अब नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के चांसलर ने घोषणा की है कि भारतीय छात्रा जाह्नवी कंडुला को मरणोपरांत मास्टर डिग्री से सम्मानित किया जाएगा। सवाल उठता है कि लोकतंत्र और मानवाधिकार का सबसे बड़ा हिमायती होने का दावा करने वाले अमेरिका में भारतीय छात्रा की मौत का अभी तक न्याय नहीं मिला है फिर मरणोपरांत यह डिग्री किस काम की है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक अब कडुला को मरणोपरांत मास्टर डिग्री प्रदान की जाएगी। नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के चांसलर ने यह घोषणा की। इस साल 23 जनवरी को तेज गति से आ रही पुलिस की एक कार ने कंडुला को टक्कर मार दी थी, जिसके कारण उसकी मौत हो गई थी। चांसलर ने उम्मीद जताई कि कंडुला की मौत के मामले की जांच न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। कंडुला को नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के सिएटल परिसर से सूचना प्रणाली में इस साल दिसंबर में मास्टर की डिग्री प्राप्त होनी थी। छात्रा के परिवार ने कहा कि वह भारत में रह रही अपनी मां की मदद करने के लिए काम कर रही थीं। कंडुला जब 23 जनवरी 2023 को सड़क पार कर रही थी, तब पुलिस पार्टी के एक वाहन ने उसे टक्कर मार दी थी। इस वाहन को केविन डेव नाम का अधिकारी चला रहा था।

आपको बता दें कि अमेरिका में भारतीय छात्रा जाह्नवी कंडुला को तेज रफ्तार पुलिस गश्ती कार ने कुचल दिया था। जिससे उनकी मौत हो गई थी। हाल ही में एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें एक पुलिस वाला उनकी मौत पर हंस रहा है। वह जाह्नवी की मौत का मजाक बना रहा है। उसे कहते हुए सुना जा सकता है कि वह सिर्फ 26 साल की थी। उसका मूल्य सीमित था। उसके लिए बस एक 11,000 अमेरिकी डॉलर का चेक लिख दो। वीडियो पुलिस के बॉडी कैमरे में रिकॉर्ड हो गया था। जिसके सामने आने के बाद लोगों के मन में मृतका का मजाक बनाने वाले पुलिस वाले के प्रति गुस्सा फैल गया।

अब जाह्नवी कंडुला के लिए न्याय की मांग को लेकर लोग सड़क पर उतर आए हैं। लोग सिएटल में तैनात दो पुलिस अधिकारियों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इसके लिए विभिन्न समुदायों के 200 से अधिक लोगों ने उस स्थान पर एक रैली आयोजित की जहां जाह्नवी की मौत हो गई थी। आरोपी पुलिस अधिकारी ने अमेरिकी मूल्यों को, बल्कि उनके साथ मानवता को भी शर्मसार कर दिया है। यह अधिकारी जाह्नवी की मौत के बारे में फोन पर चर्चा करते हुए जिस तरह हंस रहा था, वह किसी दरिंदगी से कम नहीं है। आखिर कोई व्यक्ति, वह भी पुलिस विभाग से जुड़ा हुआ वरिष्ठ अधिकारी, किसी निर्दोष छात्रा की मौत पर क्रूरता भरी हंसी कर सकता है? क्या यह वही अमेरिका है, जो अपने लोकतंत्र मानवाधिकार और उदारवाद का दम्भ भरता है?

अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति समेत अन्य सांसदों और समुदाय के सदस्यों ने सिएटल पुलिस से भारतीय छात्रा जाह्नवी कंडुला की दुखद मौत की जांच को गंभीरता से आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। सिएटल टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, 200 से अधिक लोग सिएटल चैराहे पर पहुंचे। इसी जगह पर एक अधिकारी के वाहन ने कंडुला को बुरी तरह कुचल दिया था। उन्होंने छात्रा की जान लेने वाले अधिकारी और दुर्घटना के बारे में हास्यास्पद बयान देने वाले एक पुलिस यूनियन के नेता की जवाबदेही तय करने की मांग की।

साउथ लेक यूनियन की रैली में प्रतिभागियों ने ऑडरर के साथ ही कंडुला को रौंदने वाले अधिकारी डेव के इस्तीफे की मांग की। रिपोर्ट में कहा गया है कि रैली में वक्ताओं ने पुलिस प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि यह श्वेत लोगों के वर्चस्व पर आधारित है और वह अश्वेत तथा अन्य रंग के लोगों के जीवन का अपराधीकरण करने के साथ उनका कम मूल्यांकन करती है।

लोगों के हाथ में तख्तियों पर ‘जेल में हत्यारे पुलिसकर्मी’, ‘जाह्नवी के लिए न्याय’, ‘पुलिस आतंक खत्म करो’ जैसे वाक्य लिखे थे। आसपास के अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी रैली में शामिल होने के लिए पहुंचे। सांसद कृष्णमूर्ति ने सिएटल पुलिस अधिकारी की जाह्नवी कंडुला की मौत पर पुलिस अधिकारी के हंसने से संबंधित रिकॉर्डिंग पर कहा है कि जाह्नवी कंडुला की मौत एक भयानक त्रासदी थी और किसी को उसकी मौत का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। कृष्णमूर्ति ने कहा है कि एक सिएटल पुलिस अधिकारी की उसकी मौत को हल्का बताने और उसके जीवन के मूल्य पर सवाल उठाने की रिकॉर्डिंग घृणित और अस्वीकार्य है। मैं सिएटल पुलिस विभाग से आग्रह करता हूं कि वह इस मामले में अपनी जांच को उस गंभीरता के साथ आगे बढ़ाए जिसकी यह मांग करती है।

यहां उल्लेखनीय है कि भारत के दूर-दराज के इलाकों से अमेरिका आकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी प्रतिभा और परिश्रम के धनी हैं। वे अभावों में पले-बढ़े हैं, इसलिए न तो परिश्रम से कतराते हैं और न कामकाज से जी चुराते हैं। इसका नतीजा है कि आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट समेत तमाम बड़ी कंपनियों के बड़े ओहदों पर भारतीय बैठे हैं। और तो और, जिस अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा ने बड़े- बड़े कारनामों को अंजाम दिया है, उनके पीछे भी भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों ने बड़ा बौद्धिक योगदान दिया है।लेकिन इस तरह की वारदात बताती है कि अमेरिका में नस्लभेदी मानसिकता आज भी कायम है। शायद यही कारण है कि डेनियल ऑडरर क्रूरतापूर्ण हंसी करते हुए कह रहा था, छब्बीस साल की लड़की थी। अमेरिकी नागरिक नहीं थी। भारत से आई थी उसका जीवन अमेरिकी जितना मूल्यवान नहीं है। डेनियल का यह कहना बताता है कि अमेरिका के श्वेतो का जीवन ही मूल्यवान है, बाकी सब बेकार हैं? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डेनियल ऑडरर कोई पहला अधिकारी नहीं है, जो अपने नस्लभेदी रवैए के कारण सवालों के घेरे में आया है। इससे पहले जॉर्ज फ्लॉयड नामक अफ्रीकी अमेरिकी शख्स के साथ पुलिस अधिकारियों ने बेरहमी का बर्ताव किया था। उस हत्याकांड के बाद अमेरिका में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। कहा जाता है कि अमेरिकी पुलिस में ऐसे कई अधिकारी हैं, जो अश्वेतों के साथ नस्लभेद वाला घृणित व्यवहार करते हैं।

जब तक जाह्नवी को न्याय नहीं मिलता तब तक उसे डिग्री से अवार्ड करने से अमेरिका पर लगा दाग धुलने वाला नहीं है। भारत सरकार को इस मामले में मृतक छात्रा को न्याय दिलाने की अपील करनी चाहिए। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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