अंधेरे पर उजाले की जीत

प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने अंधकार से प्रकाश की तरफ बढ़ने का संदेश दिया। दीपावली के शुभ अवसर पर प्रत्येक घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। भारत देश के निवासी दिवाली के त्यौहार को किसी अन्य देश में रहने पर भी बड़े धूमधाम से मनाते है। दिवाली को भारत में पांच दिन मनाया जाता है।
दीपावली मुख्यतः हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाई जाती है। यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह पर्व देश के छोटे बड़े सभी नागरिकों के द्वारा बड़े हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार कार्तिक मास अमावस्या को मनाया जाता है। ”दीपावली” दीपों का त्यौहार है इस दिन पूरे भारत देश में विभिन्न प्रकार की कलर-फुल लाइटों और दीयों से घर को सजाया जाता है। दीपावली के त्योहार के कुछ समय पहले लोगों के द्वारा घर में साफ-सफाई का कार्य किया जाता है विभिन्न लोगों के द्वारा तो आपने घरों में विभिन्न प्रकार की सजावटें की जाती है। अन्य धर्मों के अनुयायी भी इस त्यौहार को अलग-अलग रूप में मनाते हैं। बड़ी उत्सुकता के साथ सभी नागरिकों के द्वारा इस त्यौहार का इन्तजार किया जाता है। अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ने का यही संदेश है।
भारत देश में अनेक प्रकार के त्यौहार मनाये जाते है लेकिन उन सभी त्योहारों में सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली का त्यौहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दीपावली के त्यौहार को इसलिए मनाया जाता है की 14 वर्ष के वनवास और रावण का वध करके भगवान श्री राम अपनी जन्मभूमि अयोध्या लौटे थे। इसलिए वहां के लोगों के द्वारा इस दिन घी के दिए जलाये गए थे, तब से ही दीपावली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। दिवाली में विभिन्न प्रकार के उपहारों को अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को भेंट किये जाने की परम्परा है। दिवाली के त्यौहार के समय कुछ अलग ही प्रकार की रौनक देश में दिखाई देती है यह सभी लोगों के एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक त्यौहार है। लोगों के द्वारा दीपावली को खुशी के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली पर घरों, दुकानों को भारतवर्ष में विभिन्न प्रकार की लड़ियों और लाइटों से सजाया जाता है और इनके साथ-साथ पूरे घर में दीये भी जलाये जाते है। और घरों में अनेक प्रकार के रंगो से रंगोली भी बनाई जाती है। इस त्यौहार को मिठाई और पटाखों फुलझड़ियों के द्वारा बड़े हर्षों-उल्लास के साथ मनाया जाता है। दीपावली के त्यौहार में बाजारों में कई प्रकार की मिठाइयों को बनाया जाता है और बाजारों में दीपावली के त्योहार के समय में बहुत भीड़ भरी रहती है। सभी लोगों के द्वारा यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली के शुभ अवसर में लोगों के द्वारा बड़ी मात्रा में बाजारों से खरीदारी की जाती है। इस दिन सभी लोगों के द्वारा नए-नए ़कपड़े भी पहने जाते है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। दीपावली में दुकानों को लाइटों से खूब सजाया जाता है।
दीपावली के शुभ अवसर में हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सूर्यास्त होने के पश्चात भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। यह पूजा धन की प्राप्ति और स्वस्थ जीवन के लिए की जाती है। लक्ष्मी जी के स्वागत मंे उस दिन घरों में रंगोली भी बनाई जाती है। और लक्ष्मी जी की पूजा के लिए लक्ष्मी आरती की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने के लिए गणेश आरती की जाती है। दीपावली त्यौहार देश में बच्चे और बड़े सभी लोगों का पसंदीदा त्यौहार है। दीपावली के दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन लोगों के द्वारा किसी वस्तु के रूप में खरीदारी की जाती है और लक्ष्मी जी की पूजा को धनतेरस के दिन किया जाता है। माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए लोगों के द्वारा आरती और भजन किया जाता है। इसके अगले दिन कृष्ण दीपावली के रूप में मनाई जाती है। यह दीपावली भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा करके मनाई जाती है। कहा जाता है कि श्री कृष्ण जी के द्वारा इस दिन राक्षस राजा नरक असुर को मार दिया गया था। छोटी दिवाली के बाद मुख्य दीपावली का सेलेब्रेशन किया जाता है। उसके बाद अगले दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पूजा भी श्री कृष्ण जी के रूप में की जाती है। इस दिन दरवाजे में लोगों के द्वारा गोबर की पूजा की जाती है और साथ ही पांचवां दिन भाई दूज या यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। भाई दूज के त्यौहार को बहन और भाई के द्वारा मनाया जाता है। सभी बहनों के द्वारा इस दिन भाई की पूजा के साथ-साथ भाई को नारियल दिया जाता है और भाई की लम्बी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना की जाती है।
दीपावली का अर्थ होता है ‘दीप’ और ‘प्रकाश’ इसलिए सभी लोग दिवाली के त्यौहार को बड़ी शांति और सद भावना के साथ मनाये। पटाखों के जलाने से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है और यह सबसे बड़ी गंभीर समस्या है। इस दिवाली आओ मिलकर सभी यह संकल्प लें की प्रकृति के लिए कुछ उपहार भेंट करें और यह उपहार आप पटाखों का उपयोग न करके कर सकते है। पटाखों की आवाज सुनकर बहुत से बेजबान जानवर भी डर जाते है और घर के बुजुर्ग लोग भी पटाखों की ध्वनि से परेशान हो जाते है। और इसकी आवाज से ध्वनि प्रदूषण की उत्पत्ति होती है।
देश के छोटे व्यापारियों और कुम्हारों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाकर
देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में हम उनकी मदद करने के लिए इलेक्ट्रिक लाइटों का प्रयोग न करके अधिक से अधिक दीयों का प्रयोग कर सकते है।
(पं. आर.एस. द्विवेदी-हिफी फीचर)



