चिंताजनक सड़क हादसे

देश में प्रतिदिन 474 से अधिक लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं। भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी सड़क हादसे 2023 की रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं। सन् 2024 और 2025 के आंकड़े और अधिक भयावह हो सकते हैं।
भारत में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर घंटे लगभग 55 सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं जिनमें 20 लोगों की जान जाती है। 2023 में लगभग 4.80 लाख सड़क हादसे हुए जिनमें 1.72 लाख लोगों की मृत्यु हो गई। मंत्रालय ने युवाओं की मौतों पर चिंता व्यक्त की है जिनमें 18-45 वर्ष के 66.4 फीसद युवा शामिल हैं।
भारत में जैसे जैसे गाड़ियों की संख्या और गति बढ़ रही है उससे भी अधिक स्पीड से दुर्घटनाओं में अकाल मरने वालों की तादाद बढ़ी है। इससे देश में सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ में तेजी से वृद्धि हो रही है। भारत में कोई दिन ऐसा नहीं है जब देश की सड़कों पर दुर्घटनाओं में खून न बहा हो।
सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में भारत विश्व में सबसे आगे है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में सड़क हादसों में कभी नहीं आई है, बल्कि साल दर साल इसमें इजाफा हो रहा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की सड़क दुर्घटनाएं, 2023 शीर्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में हर घंटे 55 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। देश में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभागों ने वर्ष 2023 के दौरान कुल 4,80,583 सड़क दुर्घटनाओं की सूचना दी है, जिनमें 1,72,890 लोगों की जान गई और 4,62,825 लोग घायल हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 में लगातार चैथे वर्ष तक सड़क दुर्घटना के शिकार ज्यादातर युवा थे। 18-45 आयु युवा वर्ग के वयस्कों की संख्या 66.4 प्रतिशत है। राजस्थान की बात करे तो इस अवधि में 24 हजार 694 सड़क हादसों में 11 हजार 400 लोगों की मौतें हुई। भारत में सड़कों और हाईवे के साथ हादसों की रफ्तार भी थमने का नाम नहीं ले रही। सड़क पर ट्रक पार्क करना दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण हैं और लोग यातायात अनुशासन का पालन नहीं करते हैं।
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 1,72,890 मौतों में से 40 फीसद से अधिक मौतें हेलमेट और सीटबेल्ट का उपयोग न करने और नशे में वाहन चलाने के कारण हुई हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में मारे गए 54,568 दोपहिया वाहन चालकों ने हेलमेट नहीं पहना था, जिनमें 39,160 चालक और 15,408 यात्री शामिल थे। यह 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई कुल मौतों का 31.6 फीसद था। इसी तरह, सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने वाले वाहन सवारों में 16,025 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें 8,441 चालक और 7,584 यात्री शामिल थे, जो वर्ष के दौरान दर्ज कुल मौतों का 9.3 फीसद हैं।
देश में मोटर वाहन कानून 2019 लागू होने के बाद भले ही सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई हो मगर दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या में कमी नहीं आई। सख्त कानून का उन पर कोई असर नहीं हुआ है। नीति आयोग की रिपोर्ट है कि सड़क हादसों के शिकार 30 प्रतिशत लोगों की मौत जीवन रक्षक उपचार नहीं मिल पाने के कारण होती है।
2023 में सबसे ज्यादा सड़क हादसों में मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। यहां 23,652 लोगों की सड़क हादसे में जान गई है, जो 2022 (22,595) और 2021 (21, 227) से अधिक है। सबसे कम मौतें अंडमान और निकोबार में दर्ज की गईं। यहां सिर्फ 24 लोगों की जान गई है।
10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दिल्ली (1457), बेंगलुरु ( 915) और जयपुर (849) में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जबकि अमृतसर, चंडीगढ़ और श्रीनगर में सबसे कम लोगों की जान गई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में दर्ज कुल 1,72,890 लोगों की मौत में से 63,112 (36।5 प्रतिशत) राष्ट्रीय राजमागों पर, 39,439 (22.5 प्रतिशत) राज्य राजमार्गों पर और 70,339 (40.7 प्रतिशत) अन्य सड़कों पर हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं के कई कारण है। यह अक्सर मानवीय भूल, सड़क के वातावरण और वाहनों को स्थिति जैसे विभिन्न कारकों के प्रतिक्रिया का परिणाम होती है। वर्ष 2023 में, यातायात नियम उल्लंघन की श्रेणी में, तेज गति से गाड़ी चलाना एक प्रमुख दुर्घटना का कारण था, जिसमें मारे गए लोगों का 68।1 प्रतिशत हिस्सा था। सड़क दुर्घटनाओं में शामिल वाहन श्रेणियों में, लगातार तीसरे वर्ष, वर्ष 2023 के दौरान कुल दुर्घटनाओं और मौतों में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही। कार, जीप और टैक्सियों सहित हल्के वाहन दूसरे स्थान पर हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के सड़क हादसों के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे देश में लोग जान हथेली पर लेकर चलते है। देश में सड़कों और हाईवे की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। इसी के साथ हादसों की रफ्तार भी थमने का नाम नहीं ले रही। सड़क दुर्घटनाओं में पैदल चलने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं है। इन सभी दुर्घटनाओं के पीछे मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरूरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज गाड़ी चलाना और थकान आदि होना है।
ऐसी स्थिति में हादसों में घायल होने वाले पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार की ओर से बड़ा ऐलान किया गया है, जिसके तहत पूरे भारत में सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को कैशलेस इलाज करवाने की सुविधा दी जाएगी। इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना के पीड़ित के सात दिन तक इलाज पर अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक का खर्च सरकार वहन करेगी। पुलिस को हादसे के 24 घंटे के अंदर सुचित कर दिया जाता है तो केंद्र सरकार पीड़ित के इलाज का खर्च उठाएगी। इसके साथ ही सरकार ने हिट एंड रन मामलों में पीड़ित परिवार को दो लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
रिपोर्ट में आए मौतों के आंकड़े चिंतित करते हैं। भारत सरकार ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन जमीन पर वास्तविक बदलाव लाने के लिए अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। हादसे के पीछे की एक वजह नियम को सही तरीके से पालन नहीं कराना भी है। उन्घ्होंने कहा कि हमारे यहां नियमों को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है लेकिन उसको पालन कराने पर जोर नहीं दिया जा रहा। दूसरा, अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण भी कई हादसे हो रहे हैं। सड़कों पर लेन मार्किंग साफ नजर नहीं आती हैं, पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं है, कई हाईवे पर मीडियन में गैप है, शार्प टर्न्स पर बोर्ड नहीं है, कई सारे एक्सपोज्ड ऑब्जेक्ट है जिस पर टकराकर लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो जा रहे हैं। ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन, सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, हेलमेट और सीट बेल्ट का अनिवार्य इस्तेमाल और जन जागरूकता अभियान चलाने पर भविष्य में स्थिति में सुधार हो सकता है।
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)