हेमंत सोरेन ने फिर संभाली कमान

इसी साल अर्थात् 2024 मंे झारखंड विधानसभा के चुनाव होने हैं। जमीन घोटाले मंे हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा और उनकी जगह चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हेमंत सोरेन भी पहले अपनी पत्नी को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाना चाहते थे लेकिन पार्टी के अंदर विरोध के स्वर देखकर चम्पई को सीएम बनाया गया था। अब 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत मिल गयी हैं इतना ही नहीं जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया हेमंत सोरेन दोषी नहीं हैं। इसी के बाद सियासी समीकरण बदले। चंपई सोरेन ने इस्तीफा दिया और हेमंत सोरेन फिर मुख्यमंत्री बन गये हैं। पिछली बार हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने गठबंधन करके भाजपा को सत्ता से बाहर किया था। वहीं गठबंधन इस बार भी साथ है और लोकसभा चुनाव मंे अच्छी सफलता भी मिली है। पिछली बार 23 दिसम्बर 2019 को जब विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे तो 82 सदस्यीय विधानसभा में झामुमो को 30 विधायक मिले थे। मोर्चे के साथी दल कांग्रेस को 16 और राजद को 1 विधायक मिला था। चुनाव सिर्फ 81 सीटों पर हुए थे। इस प्रकार हेमंत सोरेन का गठबंधन 47 विधायकों के साथ सरकार बनाने मंे सफल हुआ था। उस समय सत्तारूढ़ भाजपा को सिर्फ 25 विधायक मिल पाये थे जबकि पहले उसके पास 37 विधायक थे। भाजपा की सहयोगी झारखण्ड विकास मोर्चा (झाविमो) को 3 और आजसू को दो सीटें मिली थीं। भाजपा के साथ भी वही पार्टियां हैं।
जेल से बाहर आने के बाद से ही हेमंत सोरेन के फिर मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा तेज हो गई थी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कुछ नेताओं ने भी इसको लेकर बयान दिए थे। झारखंड में इसी साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। झामुमो सोरेन को मुख्यमंत्री बनाकर जनता में यह संदेश देने की कोशिश में है कि पार्टी किसी दबाव में आकर झुकने या डरने वाली नहीं है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से पार्टी उत्साहित है। वह अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को विधानसभा चुनाव तक बनाए रखना चाहती है। उसे उम्मीद है कि अगर यही उत्साह बना रहा तो इंडिया गठबंधन झारखंड में अपनी सरकार को दोहरा सकता है।
झामुमो ने लोकसभा चुनाव हेमंत सोरेन की गैरमौजूदगी में ही लड़ा था। उनकी गैर मौजदूगी में प्रचार की कमान हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन ने संभाली थी। इस चुनाव में पार्टी ने अपना प्रदर्शन भी सुधारा है। चार जून को आए चुनाव नतीजों में झामुमो ने प्रदेश की 14 में से तीन सीटों पर कब्जा जमाया। वहीं उसकी सहयोगी कांग्रेस प्रदेश में दो सीटें जीतने में कामयाब रही है। झामुमो ने प्रदेश में 14.60 फीसदी वोट हासिल किए हैं। वहीं कांग्रेस के हिस्से में 19.19 फीसदी वोट आए हैं। इससे पहले 2019 के चुनाव में केवल एक सीट ही जीत पाई थी। वहीं कांग्रेस को केवल एक ही सीट मिली थी। जमानत पर जेल से बाहर आए हेमंत सोरेन फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बन गये हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। उन पर एक जमीन पर कथित तौर पर कब्जा करने के आरोप लगाए गए थे। अपनी गिरफ्तारी से पहले सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। झारखंड हाई कोर्ट ने उनको 28 जून को जमानत दे दी थी। जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रथमदृष्टया सोरेन इस मामले में दोषी नजर नहीं आते हैं।
हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद से ही फिर उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने की व्यवस्था हुई। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि बहुमत हेमंत सोरेन के पक्ष में है। जेल से बाहर आकर हेमंत सोरेन ने कहा था, आज मैं फिर अपने राज्य की जनता के बीच हूं। जो संकल्प हमने लिया है उसे हम मुकाम तक ले जाने का काम करेंगे। आज मुझे लगता है कि ये पूरे देश के लिए एक संदेश है, किस तरह से हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।कोर्ट का आदेश आपको देखने को मिलेगा। किन बातों को उजागर किया गया है, वो भी देखने को मिलेगा। जो भी न्यायालय का आदेश है, उसका आप अच्छे से आकलन करें।
झारखंड की राजधानी रांची में इंडिया गठबंधन के विधायक दल की अहम बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। इंडिया गठबंधन की इस महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड में नेतृत्व बदलाव को लेकर चर्चा हुई।
इंडिया गठबंधन के विधायक दल की बैठक में हेमंत सोरेन को एक बार फिर से झारखंड का मुख्यमंत्री बनाने की बात पर सहमति बन गयी और राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने 4 जुलाई की शाम 5 बजे शपथ ग्रहण का समय दिया। जानकारी के अनुसार विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों ने हेमंत सोरेन की नाम पर सहमति दे दी। इंडिया गठबंधन की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि सूत्रों के अनुसार चंपाई सोरेन को भी पार्टी और प्रदेश के अंदर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी सकती है। मिली जानकारी के अनुसार चंपाई सोरेन समन्वय समिति के अध्यक्ष बन सकते हैं। बता दें, हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद के चंपाई सोरेन को झारखंड का सीएम बनाया गया था। ऐसे में 28 जून को जेल से जैसे ही बाहर आए हैं उनके एक बार फिर से सीएम बनने की चर्चा तेज हो गयी थी और अब इस पर सहमति भी बन गयी है।
पिछले दिनों हूल दिवस के अवसर पर साहेबगंज के भोगनाडीह में झारखंड सरकार द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री बसंत सोरेन, विधायक कल्पना सोरेन और दीपिका पाण्डेय सिंह शामिल हुई। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज सिर्फ हूल दिवस ही नहीं बल्कि हमारे लिए प्रेरणा दिवस भी है। 5 महीने से जेल में रहने के बाद आज पहली बार इस क्षेत्र में आया हूं। यह हूल दिवस सदियों से मनाया जाते रहा है। आज प्रेरणा दिवस है। प्रेरणा केंद्र की सरकार को राज्य और देश से उखाड़ फेंकने की। पिछले 4 साल से हमने झारखंड में काम किया था तो झारखंड सरकार आपके द्वार तक पहुंच रही थी।
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले आदिवासियों की शौर्य गाथा और उनके अमर बलिदान को याद करते हुए हर साल 30 जून को हूल क्रांति दिवस मनाया जाता है। हेमंत सोरेन ने उसी दिन नेतृत्व संभालने का संकेत दिया था। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)