लेखक की कलम

बिहारी ढपली के विविध राग

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
आमतौर पर जिन राज्यों में चुनाव होने वाले होते हैं, वहां सत्तारूढ़ दलों और विपक्षी दलों मंे सुरक्षित ठिकाने की तलाश होने लगती है। इसी तलाश के तहत बयानबाजी के मार्फत दल-बदल का संकेत दिया जाता है। झारखंड मंे चम्पई सोरेन का सबसे ताजा उदाहरण है लेकिन उसी के मूल राज्य बिहार मंे विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं लेकिन नेताओं की अलग-अलग ढपली बजने लगी है। सत्तारूढ़ दल जद(यू) के नेता और नीतीश सरकार मंे मंत्री अशोक चौधरी ने भूमिहारों को लेकर ऐसी ढपली बजायी कि सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक हड़कम्प मच गया। जद(यू) के नेता और पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार अब सफाई दे रहे हैं। राज्य के मुख्य विपक्षी दल राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जद(यू) का चाल-चरित्र ही ऐसा है। एक आग लगाता है, दूसरा पानी डालता है। कांग्रेस नेता तो एक कदम और आगे बढ़ गये। कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा कहते हैं कि अशोक चौधरी को भूमिहार समाज से माफी मांगनी चाहिए। ध्यान रहे कि जद(यू) नेता अशोक चौधरी ने गत दिनों यह कहा था कि लोकसभा चुनाव में भूमिहार समाज ने जद(यू) को वोट नहीं दिया था। उधर, नीतीश कुमार के खासम खास केसी त्यागी ने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे का कारण तो खुलकर नहीं बताया गया लेकिन उन्हांेने भी ऐसी ढपली बजायी थी जिसका राग भाजपा को अच्छा नहीं लगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस तरह रूस और यूक्रेन के बीच तटस्थता बनाये रखने का प्रयास कर रहे हैं, उसी तरह इजरायल और फिलिस्तीन के बीच भी विदेश नीति अपनायी जा रही है। कुछ दिन पहले ही फिलिस्तीन के समर्थन मंे एक पोस्टर जारी हुआ था। इस पर केसी त्यागी ने भी दस्तखत किये थे।
बिहार मंे जद(यू) नेता अशोक चौधरी अपनी ही पार्टी के भूमिहार जाति के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। इस बीच पार्टी के इसी जाति से आने वाले नेता केसी त्यागी के इस्तीफे से अशोक चौधरी के भूमिहार वाले बयान से भी जोड़ा जा रहा है। भले ही केसी त्यागी के इस्तीफे से बिहार में जदयू की इस अंदरूनी राजनीति से कोई लेना देना ना हो लेकिन अशोक चौधरी पर हमला करने वाले भूमिहार नेताओं को केसी त्यागी के इस्तीफे ने एक और बहाना दे दिया है। दरअसल, केसी त्यागी मूलरूप से यूपी से आते हैं लेकिन यूपी के त्यागी उपनाम वालों को भूमिहार की श्रेणी में ही माना जाता है। ऐसे में भूमिहारों को लेकर दिए गए बयान के बीच भूमिहार नेता का पार्टी के बड़े पद से इस्तीफा दे देना कई सवाल खड़े करता है।
हालांकि केसी त्यागी के इस्तीफे की वजह हाल ही में पार्टी लाइन से इतर उनके निजी बयानों को भी माना जा रहा है, जिन बयानों की वजह से गठबंधन के अंदर जदयू की स्थिति असहज हो गई। आरक्षण से लेकर इजराइल को हथियार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर केसी त्यागी के बयान पार्टी लाइन से अलग और जदयू के लिए असहजता पैदा करने वाले थे। इस बीच पार्टी के नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने भूमिहार जाति को लेकर बयान दे दिया। पार्टी के ही नीरज कुमार, जगदीश शर्मा, विधायक संजीव जैसे कई नेता उनके खिलाफ खड़े हो गए। अब केसी त्यागी के इस्तीफे को भी एक भूमिहार का इस्तीफा बताकर अंदरखाने अशोक चौधरी के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
इधर, जदयू में श्याम रजक की वापसी हो गयी है। इसके लिए जदयू कार्यालय में एक मिलन समारोह का आयोजन किया गया है, जिसमें अशोक चौधरी को छोड़कर पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को बुलाया गया है। मिलन समारोह के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र में संजय झा के अलावा मंत्री विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, रत्नेश सदा, सुनील कुमार तक का नाम था लेकिन अशोक चौधरी का नाम नहीं है। इसे भी अशोक चौधरी के हालिया भूमिहार वाले बयान से ही जोड़कर देखा जा रहा है। जहानाबाद में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अशोक चौधरी इलाके के दबंग भूमिहार नेता जगदीश शर्मा को निशाने पर ले रहे थे। दलित नेता अशोक चौधरी ने कहा था कि कुछ लोगों ने जेडीयू का समर्थन नहीं किया।
अशोक चौधरी ने जहानाबाद सीट पर जेडीयू उम्मीदवार चंद्रेश्वर चंद्रवंशी की हार के लिए भूमिहारों को दोषी ठहराया था। अशोक चौधरी ने कहा था, “जो सिर्फ पाने के लिए नीतीश जी के साथ रहते हैं, हमें वैसे नेता नहीं चाहिए। हम भी कोई विदेश के नहीं हैं। हम भी जहानाबाद के ही हैं। मेरी बेटी की शादी भी भूमिहार में हुई है। हम भूमिहारों को अच्छी तरह से जानते हैं।” इस साल लोकसभा चुनाव में जेडीयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सुरेंद्र यादव से हार गए थे। अशोक चौधरी ने कहा था, “आप जब अति-पिछड़ा को उम्मीदवार बनाते हैं तो भूमिहार लोग भाग जाते हैं कि हम अति पिछड़ा को वोट नहीं देंगे। राजनीति करनी है तो मुद्दों के साथ राजनीति कीजिए। हमारे नेता ने जब फैसला कर लिया तो उस निर्णय के साथ खड़े रहिए।”
ऐसा माना जाता है कि नौ बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके जेडीयू के स्थानीय नेता जगदीश शर्मा ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट नहीं मांगा था। अशोक चौधरी का निशाना मूल रूप से उन्हीं पर था।
इसके बाद केसी त्यागी ने जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया। हाल के दिनों में केसी त्यागी एनडीए का हिस्सा रहते हुए बीजेपी की नीतियों की खुलकर आलोचना कर रहे थे। माना जा
रहा है कि केसी त्यागी को इसी
वजह से जाना पड़ा। हालांकि पार्टी ने इस्तीफे की कोई ठोस वजह नहीं बताई है।
यह सब ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब बिहार के सियासी दल राज्य विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी कर रहे हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में 12 सीटें जीतकर नीतीश कुमार ने कई सियासी पंडितों को हैरान कर दिया था। लेकिन उनकी इस जीत का श्रेय बीजेपी के साथ गठबंधन को भी दिया जा रहा है। बिहार में भूमिहार नीतीश कुमार की पार्टी को वोट करते रहे हैं। ललन सिंह भूमिहार जाति से हैं और जेडीयू की कमान उनके पास भी रही है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में नीतीश कुमार ने ललन सिंह को ही मंत्री बनवाया है। ललन सिंह को नीतीश कुमार का भरोसेमंद साथी माना जाता है। केसी त्यागी ने जेडीयू के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद राजीव रंजन प्रसाद को नया प्रवक्ता नियुक्त किया गया है। (हिफी)

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