लेखक की कलम

गिरिराज सिंह की यात्रा के निहितार्थ

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार में बीजेपी का नीतीश कुमार के हिन्दुत्व को इसे जवाब कहा जाए अथवा गिरिराज सिंह का शक्ति प्रदर्शन लेकिन जनतादल यूनाइटेड (जदयू) परेशान दिख रही है। अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा से एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू असहज है। जेडीयू के नेता इस मामले पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं। विजय चौधरी ने विकास पर ध्यान देने की बात की। गिरिराज की हिंदू स्वाभिमान यात्रा इसी 18 अक्टूबर से शुरू होने वाली है और जदयू को लगता है कि इससे साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है। कुछ दिनों पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेज कर खास मांग रखी थी। उन्होंने सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम के लिए सड़क और ट्रेन कनेक्टिविटी की डिमांड की है। दरअसल यह स्थान माता सीता के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। नीतीश कुमार की इस डिमांड से बिहार के साथ-साथ यूपी वालों के चेहरे खिल उठे हैं। माता सीता के जन्म स्थान के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध सीतामढ़ी के पुनौरा धाम को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक्शन में हैं। यह उनका हिन्दुत्व ऐक्शन भी बताया जा रहा है। अब भाजपा नेता गिरिराज सिंह हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालने वाले हैं तो जदयू के कान खड़े हो गये हैं। विरोध तो तेजस्वी यादव की पार्टी राजद भी कर रही है। इस प्रकार जदयू और राजद एक साथ खड़े दिखाई देते हैं।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह की 18 अक्टूबर को भागलपुर से निकल रही हिंदू स्वाभिमान यात्रा को राजद और कांग्रेस ने बांटने वाली कोशिश बताया है। पलटवार में गिरिराज ने पूछा कि तेजस्वी यादव या प्रशांत किशोर
की यात्रा से किसी को दिक्कत नहीं होती तो उनकी यात्रा से लोग परेशान क्यों हैं।
केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह की 18 अक्टूबर को भागलपुर से शुरू हो रही हिन्दू स्वाभिमान यात्रा को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन और राज्य में महागठबंधन के घटक दोनों प्रमुख दलों ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता बांटने वाली राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने अपनी यात्रा की घोषणा करते हुए कहा था कि इसका मकसद हिन्दू समाज को एकजुट करना और सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रही हिंसा का सवाल उठाना है। गिरिराज सिंह की प्रस्तावित यात्रा 18 अक्टूबर को भागलपुर के बूढ़ानाथ मंदिर में पूजन-हवन से शुरू होगी और 22 अक्टूबर को खत्म होगी। यात्रा भागलपुर से कटिहार, पूर्णिया, अररिया के रास्ते किशनगंज तक जाएगी। सिंह इस तरह की यात्रा के दूसरे चरण की भी घोषणा आगे कर सकते हैं। गिरिराज सिंह ने यात्रा की घोषणा के वक्त दोहराया कि अगर बंटवारे में सारे मुसलमान पाकिस्तान चले गए होते तो आज ये समस्या नहीं होती। बेगूसराय से ही संबंध रखने वाले आरजेडी के बड़े नेता तनवीर हसन ने कहा है कि केंद्रीय मंत्री की इस यात्रा का मकसद नफरत बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह बांटने वाली राजनीति के लिए मशहूर हैं और इस यात्रा के जरिए नफरत फैलाकर तनाव पैदा करना चाहते हैं। कांग्रेस नेता ज्ञान रंजन ने कहा है कि इस यात्रा का उद्देश्य समाज में धार्मिक विभाजन पैदा करना है। गिरिराज सिंह ने अपनी यात्रा को लेकर विपक्षी दलों की आलोचना पर कहा है कि जब नेता विपक्ष तेजस्वी यादव और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यात्रा निकालते हैं तो किसी को दिक्कत नहीं होती लेकिन जब वो यात्रा निकाल रहे हैं तो सबको बेचैनी हो रही है।
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा भागलपुर से शुरू होकर सीमांचल के किशनगंज में जाकर समाप्त होगी। दरअसल गिरिराज सिंह जिस इलाके से अपनी यात्रा की शुरुआत और अंत कर रहे हैं वो मुस्लिम बाहुल्य वाला इलाका माना जाता है। इन क्षेत्रों से गिरिराज सिंह की यात्रा गुजरने को लेकर बिहार में सियासी हलचल भी तेज हो गई है। दरअसल ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि मुस्लिम बाहुल्य इलाके से यात्रा की शुरुआत का मतलब क्या है, आखिर गिरिराज सिंह अपनी यात्रा का समापन सीमांचल (किशनगंज) में क्यों कर रहे हैं? वहीं अब इन सवालों का कनेक्शन लोकसभा चुनाव 2024 से भी जुड़ा है। दरअसल गिरिराज सिंह शुरू से ही हिंदुत्व की बात जोर शोर से उठाते रहे हैं। इस बार गिरिराज सिंह ने यात्रा के लिए जिन इलाके को चुना है उन्हीं इलाकों से बीजेपी के बड़े नेता भी अपनी चुनावी यात्राओं और सभाओं की शुरुआत करते हैं। गिरिराज सिंह की इस हिन्दू स्वाभिमान यात्रा के बहाने बीजेपी हिंदुत्व कार्ड को उभार कर अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है। इसके पीछे वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने एनडीए को सीमांचल में तगड़ी शिकस्त दी थी।
बिहार के सीमांचल के चार लोकसभा सीटों में से तीन पर एनडीए की हार हुई थी जबकि पिछली बार विधानसभा चुनाव में चार में से तीन सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी। अब जब बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, ऐसे में एनडीए खासकर बीजेपी की कोशिश है कि हिंदुत्व के मुद्दे को उठा कर ध्रुवीकरण का फायदा उठा सके। सीमांचल बीजेपी के लिए कितना खास है इस बात को इससे भी समझा जा सकता है कि बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर दिलीप जायसवाल को बिठाया है जो सीमांचल से ही आते हैं। अब गिरिराज सिंह की यात्रा की शुरुआत भी सीमांचल को फोकस कर की जा रही है। इससे पहले भी बिहार की जनता (खासकर हिंदू-मुस्लिम मतदाता) को सीमांचल से ही बड़ा मैसेज दिया जाता रहा है। यही वजह है कि चाहे वह असदुद्दीन ओवैसी हों या राहुल गांधी सभी चुनाव के दौरान सीमांचल का रुख करते हैं। राहुल गांधी ने भी लोकसभा चुनाव से पहले सीमांचल में भारत जोडो यात्रा की थी। गिरिराज सिंह की यात्रा को कांग्रेस और आरजेडी ने माहौल खराब करने वाली यात्रा बताया है। आरजेडी और कांग्रेस ने कहा है कि इस तरह की यात्रा से माहौल खराब होगा। इस यात्रा पर नीतीश कुमार को ध्यान देना चाहिए जो खुद को सेक्यूलर कहते हैं और ट्रिपल सी अर्थात क्राइम कम्युनिज्म और करप्शन से समझौता नहीं करने की बात कहते हैं।
जदयू भी इस यात्रा पर नजरें बनाए हुए है। हालांकि अभी तक इस यात्रा पर जेडीयू का कुछ क्लियर स्टैंड सामने नहीं आया है। जदयू के एम एलसी गुलाम गौस कहते हैं कि गिरिराज सिंह यात्रा करें इस पर रोक नहीं है लेकिन, यात्रा से माहौल खराब न हो इसका ध्यान रखें। यह नीतीश कुमार का राज है। माहौल खराब करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। वहीं बीजेपी एमएलए हरि भूषण ठाकुर कहते हैं कि गिरिराज सिंह की यात्रा से किन्हे कष्ट है। वह हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाल रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं। आज हिंदू बिहार में कई जगह मुश्किल में हैं। खासकर सीमांचल इलाके की बात कह रहा हूं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं और मुस्लिम बहुसंख्यक। इसीलिए गिरिराज सिंह की यात्रा बेहद जरूरी है और जिन्हें कष्ट हो रहा है वो तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। यह सीधे न सही लेकिन जदयू को भाजपा का जवाब है। (हिफी)

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