राजस्थान में ‘बाप’ ने मचाई हलचल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
क्षेत्रीय दलों ने अब राजनीति में अपना दबदबा कायम कर लिया है। कई राज्यों में तो अब उनकी सरकार ही कायम हो गयी है। भाजपा, कांग्रेस और भाकपा जैसे राष्ट्रीय दल इन क्षेत्रीय दलों के साथ समझौता करने को मजबूर हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर का ही उदाहरण ले लें तो यहां पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के पीछे-पीछे चलने को भाजपा मजबूर हुई थी और अब नेशनल कांफ्रेंस के सामने कांग्रेस उसी स्थिति में है। आंध्र प्रदेश मंे पवन कल्याण की जनसेना पार्टी और सत्तारूढ़ तेलुगुदेशम पार्टी भी क्ष़्ोत्रीय दल हैं और भाजपा उनके पीछे खड़ी सरकार चला रही है। पश्चिम बंगाल मंे डेढ़ दशक से सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस भी क्षेत्रीय पार्टी है। अब राजस्थान मंे भी एक क्षेत्रीय पार्टी उसी तरह उभर रही है। इसका नाम भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) है। बड़ी-बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की यह बाप साबित हो रही है। राजस्थान मंे भी सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। वहां मुख्य मुकाबला दोनों राष्ट्रीय दलों- भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है लेकिन बाप ने इन दोनों दलों की नींद हरात कर दी है। राज्य मंे आदिवासी वोट बैंक चुनाव की जय-पराजय मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। बाप इन्हीं आदिवासियों की पार्टी है। पार्टी की कमान मोहनलाल रोत संभाल रहे हैं। राजस्थान के साथ बिहार मंे भी एक ़क्षेत्रीय दल है जिसको भारत अनार्य पार्टी (बाप) कहा जाता है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष संपती कुमार हैं।
राजस्थान मंे भारतीय आदिवासी पार्टी ने डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट के बाद अब उदयपुर जिले की सलूंबर सीट पर भी बीजेपी और कांग्रेस की नींद उड़ा दी है। सलूंबर में बाप पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी। इस बार वह फिर से अपने तीखे तेवरों और मजबूती से बीजेपी तथा कांग्रेस को चुनौती दे रही है। दिन प्रतिदिन बदलते सियासी समीकरणों को देखते हुए सलूंबर में बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेता अपनी-अपनी पार्टियों की स्थिति मजबूत करने के लिए दौड़धूप कर रहे हैं। राजस्थान में सात सीटों पर हो रहे उपचुनाव में से केवल सलूंबर ही पूर्व में बीजेपी के पास थी।
सलूंबर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। बीजेपी अपने दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा को मैदान में उतार कर सहानुभूति वोट बटोरना चाहती है। कांग्रेस की ओर से रघुवीर मीणा की पत्नी बसंती देवी मीणा पूर्व में सलूंबर विधानसभा की पहली महिला विधायक होने का तमगा प्राप्त कर चुकी है। इस बार भी कांग्रेस ने भाजपा की महिला प्रत्याशी के सामने रेशमा मीणा को टिकट देकर महिला कार्ड खेला है। वहीं बाप पार्टी ने पिछली बार चुनावी मैदान में उतरे जितेश कटारा को पुनः अपना उम्मीदवार बनाया है। जीतेश ने पिछली बार 51000 वोट हासिल किए थे।
सलूंबर विधानसभा उपचुनाव में बाप अब भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी बन रही है। पिछले कुछ चुनावों में यहां भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में लगातार गिरावट नजर आ रही है। इसी आंकड़े को देखकर बाप पार्टी काफी उत्साहित है। भाजपा को 2013 के चुनाव में 56.37 फीसदी वोट मिले थे लेकिन वह वर्ष 2023 में घटकर 37.55 फीसदी रह गए।
वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 2013 में 33.90 फीसदी था। वह 2023 में घटकर 30.66 फीसदी पर आ गया। हालांकि पिछली तीन बार से यहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुनाव जीत रहे हैं। लेकिन बाप पार्टी का वोट शेयर भी लगातार बढ़ता रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में जितेश कटारा को 24.24 फीसदी मत मिले थे। भाजपा और कांग्रेस के लगातार घटते वोट शेयर से बाप को उम्मीद है कि इस बार वे सर्वाधिक वोट शेयर प्राप्त करने में सफल होंगे। पिछले 10 वर्षों के आंकड़े और बाप के प्रति आदिवासी अंचल में बढ़ती लोकप्रियता के चलते राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टियों की हवाइयां उड़ी हुई हैं। यही वजह है कि भाजपा के आला नेता लगातार आदिवासी अंचल के दौरे करते हुए पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं। यहां तक की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी दो दिन के लिए सलूंबर और चौरासी विधानसभा में प्रचार की कमान संभालने पहुंचे हैं। वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी एक अति गोपनीय बैठक कर चुनावी रणनीति से स्थानीय कार्यकर्ताओं को अवगत कराया गया है। यही नहीं बीजेपी के कई विधायक आदिवासी अंचल में प्रचार की बागडोर संभाले हुए हैं।
कांग्रेस का प्रचार अभियान भी गति पकड़ रहा है लेकिन यहां उसे आदिवासी अंचल के दिग्गज नेता रघुवीर सिंह मीणा की नाराजगी के कारण परेशानियां उठानी पड़ रही है। ऐसे में बड़े नेताओं के दौर अभी तक सलूंबर में नहीं हो पा रहे हैं लेकिन वे यहां की पल-पल की खबरों पर नजर रख रहे हैं। बाप पार्टी के नेता सांसद राजकुमार रोत चौरासी और सलूंबर विधानसभा में अपनी पार्टी को जिताने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। पिछले कुछ चुनाव के मतदान के ट्रेंड को देखें तो राजनीतिक पार्टियों के दोनों बड़े दल आदिवासी अंचल में अब अपने अस्तित्व को बचाने में जुटे हुए हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एनडीए अपने सरकार बनायी। इस बीच बांसवाड़ा सीट की भी चर्चा हो रही है। यहां से भारत आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार रोत जीते हैं। इनको कांग्रेस या कहे इंडिया गठबंधन ने समर्थन दिया था। इनके एनडीए में जाने की चर्चा तेज थी। इस बीच बाप राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, यह कयास लगाया जा रहा है, ऐसा कुछ नहीं है। एनडीए को पूर्ण बहुमत है, शायद उन्हें जरूरत नहीं है। हमारी कुछ मांगे हैं, हम उसे सरकार के सामने रखेंगे। कांग्रेस समर्थित भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने राजस्थान की बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर 2,47,054 वोटों से जीत हासिल की। उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के महेंद्रजीत सिंह मालवीय से था, जो फरवरी में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। रोत को 8,20,831 वोट मिले जबकि मालवीय को 5,73,777 वोट हासिल हुए। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अरविंद सीता दामोर के साथ भी रोत का मुकाबला था। राजस्थान में उपचुनाव के लिए कांग्रेस को अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करनी है। मगर, कई दिनों से माथापच्ची चल रही है। चूंकि, दो सीट सांसद राजकुमार रोत की पार्टी भारत आदिवासी पार्टी (बाप) मांग रही थी और दो सीट आरएलपी के सांसद हनुमान बेनीवाल मांग रहे थे। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस पर खूब दबाव बनाया। (हिफी)