अब प्रियंका पर दायित्व

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
गांधी परिवार से प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद मंे लगभग एंट्री कर ली है। वे इस परिवार की 9वीं सदस्य हैं। इससे पूर्व पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी, इन्दिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी, उनकी पत्नी सोनिया गांधी, इंदिरा गांधी के दूसरे बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी, उनके पुत्र वरुण गांधी और सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी सांसद रह चुके हैं। अब सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा भी संसद की चौखट पर पहुंच चुकी हैं। वायनाड में राहुल गांधी ने संसद का चुनाव लड़ा था और साथ ही रायबरेली से भी वह प्रत्याशी थे। दोनों जगह चुनाव जीतने के बाद वायनाड सीट छोड़ दी थी। वहां उपचुनाव हुआ और प्रियंका ने अपने सभी प्रतिद्वन्द्वियों को पीछे छोड़ते हुए इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 3 लाख से अधिक वोटों से बढ़त बनाये हुए थी। राहुल गांधी ने 2019 मंे चार लाख 31 हजार और 2024 में तीन लाख 64 हजार मतों से ज्यादा से जीत दर्ज की थी। दक्षिण भारत ने गांधी परिवार को संकट से उबारा है। आज कांग्रेस का बुरा दौर चल रहा है। कभी दूसरे राजनीतिक दल उसके पीछे चलते थे लेकिन अब कांग्रेस झारखंड मुक्ति मोर्चा और द्रमुक जैसे क्षेत्रीय दलों के पीछे चल रही है। राहुल गांधी पर कांग्रेस को पुराना गौरव वापस लाने का दायित्व डाला गया था लेकिन वे सफल नहीं हो पाये। अब प्रियंका गांधी वाड्रा पर कांग्रेस को उसकी पुरानी प्रतिष्ठा वापस दिलाने का दायित्व आ गया है।
कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। नतीजे 23 नवम्बर जारी किए गये। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस नेता और राहुल की बहन प्रियंका गांधी बढ़त बनाए हुई हैं। वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी दूसरे स्थान पर है, जबकि बीजेपी पिछड़कर तीसरे पायदान पर थी। खबर लिखे जाने तक वायनाड से प्रियंका गांधी 3 लाख से ज्यादा वोटों से आगे चल रही हैं। इस सीट से राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी। उन्होंने सीपीआई (एम) के उम्मीदवार एनी राजा को 3 लाख 64 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड के अलावा उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से भी चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद राहुल ने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला लिया और यहां से उपचुनाव में प्रियंका गांधी को चुनावी मैदान में उतारा गया। इस बार वायनाड में 16 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। प्रियंका पहली बार चुनावी मैदान में थी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने सत्यन मोकेरी को और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने नव्या हरिदास को चुनाव मैदान में उतारा था।
2024 के लोकसभा चुनाव में वायनाड लोकसभा सीट पर 73.57 प्रतिशत मतदान हुआ था। उस वक्त कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को कुल 6,47,445 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी एनी राजा 2,83,023 वोटों पर सिमट गए थे। इसी तरह तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी के प्रत्याशी के सुरेंद्रन को महज 141,045 वोट मिले थे। दक्षिण भारत में केरल के वायनाड लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीट रही है। 2019 में राहुल गांधी अमेठी में चुनाव हारने के बाद 2019 यहां से चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे थे। राहुल गांधी ने इस सीट पर चुनाव लड़कर कुल 7,06,367 वोट हासिल किए थे।
प्रियंका गांधी के चुनावी प्रचार में उनके भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी ने सक्रिय रूप से भाग लिया। राहुल गांधी ने प्रियंका को लक्ष्य दिया था कि वह वायनाड को एक बेहतरीन पर्यटन स्थल बनाएं जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिले और दुनिया भर में वायनाड की खूबसूरती की पहचान हो। साथ ही राहुल गांधी ने ये भी आश्वासन दिया कि वे हमेशा वायनाड के लोगों के लिए उपलब्ध रहेंगे।
प्रियंका गांधी ने वायनाड के लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। प्रचार के दौरान उन्होंने वायनाड के विकास और उसकी पहचान को एक नया रूप देने का वादा किया। इस पर काम करना होगा।
प्रियंका गांधी का जन्म 12 जनवरी 1972 को दिल्ली में राजीव गांधी और सोनिया गांधी के घर हुआ था। उनके बड़े भाई राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से संसद सदस्य हैं और लोकसभा में विपक्ष के 12वें नेता हैं। वे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक फिरोज गांधी की पोती हैं और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की परपोती हैं।
प्रियंका गांधी ने 1984 तक देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद, सुरक्षा कारणों से राहुल और प्रियंका दोनों को दिल्ली के डे स्कूल में भेज दिया गया। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, लगातार आतंकी धमकियों के कारण, उन्हें और उनके भाई राहुल को घर पर ही पढ़ाया गया। बाद में वह दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी में शामिल हो गईं। इसके बाद उन्होंने जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री पूरी की और 2010 में बौद्ध अध्ययन में मास्टर डिग्री हासिल की।
1997 में, गांधी ने दिल्ली के एक व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा से शादी की और प्रियंका गांधी वाड्रा नाम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। दंपति के दो बच्चे हैं। लोधी एस्टेट में सरकारी आवास खाली करने के लिए कहे जाने के बाद, गांधी गुरुग्राम चली गईं। वह राजीव गांधी फाउंडेशन की ट्रस्टी भी हैं। गांधी नियमित रूप से अपनी मां और भाई के निर्वाचन क्षेत्रों रायबरेली और अमेठी का दौरा करती थीं , जहां वह लोगों से सीधे तौर पर मिलती थीं। सन् 2004 के भारतीय आम चुनाव में , वह अपनी मां की चुनाव अभियान प्रबंधक थीं और अपने भाई राहुल गांधी के अभियान की देखरेख में मदद की थी।
प्रारंभिक वर्षों 2019 में राजनीति में आधिकारिक रूप से प्रवेश करने से पहले के वर्षों में गांधी ने राजनीति में प्रत्यक्ष भागीदारी का विरोध किया, लेकिन उन्होंने आम और विधानसभा चुनावों में अपनी मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई। वह अपनी मां और भाई के निर्वाचन क्षेत्रों रायबरेली और अमेठी का नियमित रूप से दौरा करती थीं, जहाँ वह लोगों से सीधे तौर पर जुड़ीं, एक ऐसी भूमिका जिसने उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में व्यापक समर्थन के साथ एक लोकप्रिय व्यक्ति बना दिया, और अमेठी में चुनावी नारा दिया, अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के प्रभारी एआईसीसी महासचिव और फिर 11 सितंबर 2020 को पूरे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रभारी महासचिव के रूप में नियुक्त होने के बाद औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया था। (हिफी)