लेखक की कलम

हिम्मत करे इंसान तो क्या कर नहीं सकता

(अचिता-हिफी फीचर)
हमारे देश में एक कहावत है-हिम्मते मर्दा, मद्दे खुदा अर्थात मर्द हिम्मत करे तो खुदा भी मदद करता है। यह बात सिर्फ मर्दों पर ही लागू नहीं होती है बल्कि महिलाएं भी अब उसी तरह का जज्बा रखती हैं। यहां हम चंद ऐसी महिलाओं के बारे में बताएंगे जिन्होंने कम पूंजी में व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखा है और सफलता का शिखर चूम लिया। ऐसी ही एक महिला हैं मुम्बई की रहने वाली मंजूषा जोवियर। मंजूषा ने तोहफा के नाम से स्टार्ट अप शुरू किया और मात्र 2000 रुपये की पूंजी थी लेकिन आज वह लाखों की कमाई कर रही है। इसी प्रकार की कहानी केरल की रहने वाली सुमिला जयराज की है। सुमिता आज ग्रीनौरा इंटरनेशनल की मालकिन हैं। उनकी कम्पनी नारियल से जुड़े कई प्रोडक्ट बनाती है और सालाना करोड़ों की कमाई कर रही है। बिहार के दरभंगा की प्रतिभा झा ने भी मात्र 1000 रुपये से मशरूम की
खेती शुरू की थी और आज लाखों की कमाई कर रही है। इस तरह का जब्बा दिखाने वाली नारियों को सलाम करना चाहिए। इनसे कितनों को ही प्रेरणा मिली है।
मंजूषा जेवियर
मुंबई की रहने वाली मंजूषा जेवियर आज तोहफा नाम के स्टार्टअप से लाखों की कमाई कर रही हैं। उनका स्टार्टअप कपड़े से बने होम डेकोरेशन के सामान बेचता है। केवल 2000 रुपये के निवेश के साथ मंजूषा जेवियर ने तोहफा नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। मंजूषा 52 साल की उम्र में कारोबार शुरू करने का फैसला लिया। आमतौर पर लोग इस उम्र में घर बैठ जाते हैं लेकिन इस महिला ने अपने सिलाई के शौक को कारोबार में बदला। यह बात साल 2016 की है, जब मंजूषा जेवियर की नौकरी 52 साल की उम्र में छूट गई। मंजूषा के ऊपर उनके घर और उनकी बेटी की सारी जिम्मेदारी थी। ऐसे में उनके लिए काम करना बहुत जरूरी था। अपनी बेटी से बातचीत के दौरान उन्हें कपड़ों से बने सजावट के सामान बनाकर बेचने का आइडिया आया। मंजूषा को बचपन से ही सिलाई करने का शौक था। बस अपने इसी शौक को मंजूषा ने कारोबार में बदल दिया। केवल 2000 रुपये के निवेश के साथ मंजूषा जेवियर ने तोहफा नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। दरअसल, मंजूषा की बेटी नाजुका एक मार्केटिंग पेशेवर हैं। ऐसे में मंजूषा की बेटी नाजुका ने उनका काफी साथ दिया और नाजुका ने ही मंजूषा को कारोबार शुरू करने का आइडिया और प्रेरणा दी थी।
केरल की सुमिला जयराज
केरल की रहने वाली सुमिला जयराज ग्रीनौरा इंटरनेशनल नाम की कंपनी की मालिक हैं। उनकी कंपनी नारियल से जुड़ें कई प्रोडक्ट बनाती है, जिससे वह आज सालाना करोड़ों की कमाई कर रही हैं। सुमिला जयराज पहले नौकरी करती थी, लेकिन नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने कारोबार की दुनिया में कदम रखने का फैसला लिया। इतने बड़े कारोबार को खड़ा करना सुमिला जयराज के लिए आसान नहीं था। सुमिला की कहानी काफी प्रेरणादायक है। सुमिला जयराज शादी के बाद केरल से मुंबई चली गई थीं। कई सालों तक वह अपने वैवाहिक जीवन में ही व्यस्त रही, लेकिन बच्चे बड़े होने के बाद सुमिला ने नौकरी करने का फैसला लिया। नौकरी करने के लिए सुमिला केरल आ गई और वर्जिन नारियल तेल बनाने वाली कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। इस कंपनी में सुमिला ग्राहकों के कॉल्स लेती थीं। साथ में ईमेल को भी देखती थीं। बस यही से ही सुमिला को वर्जिन नारियल तेल के बिजनेस करने का आइडिया आया।
साल 2011 में सुमिला ने बिजनेस करने के लिए नौकरी छोड़ दी और साल 2012 में 15 लाख रुपये के निवेश के साथ एक छोटी सी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की, जिसका नाम ग्रीननट रखा गया। सुमिला के साथ दो महिलाएं और एक ड्राइवर भी शामिल थे। छोटी सी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में सुमिला ने वर्जिन कोकोनट ऑइल, मिल्क पाउडर जैसे नारियल के प्रोडक्ट बनाए। कुछ समय तक सुमिला का यह काम ऐसे ही चलता रहा।
साल 2013 में सुमिला को काफी बड़ा ऑर्डर मिला। इस ऑर्डर से सुमिला को कारोबार को एक नई दिशा मिली। यह ऑर्डर 1 करोड़ रुपये का था। साल 2013 में सुमिला ने ग्रीननट इंटरनेशनल नाम से एक छोटी प्रोप्राइटरशिप फर्म की शुरुआत की। धीरे-धीरे सुमिला का कारोबार बढ़ता चला गया और आगे चलकर सुमिला ने 2 करोड़ के निवेश के साथ ग्रीनौरा इंटरनेशनल की शुरुआत की। आज सुमिला ग्रीनौरा इंटरनेशनल का वेबसाइट से कई तरह के नारियल से बने प्रोडक्ट बेचती हैं। इसमें नारियल का दूध, नारियल का तेल, सूखा नारियल पाउडर, नारियल का सिरका और नारियल का अचार जैसे प्रोडक्ट
शामिल हैं। इतना ही नहीं सुमिला के प्रोडक्ट्स की बाहर के देशों में भी काफी मांग हैं। सुमिला के प्रोडक्ट्स की बात यह है कि इनके सारे प्रोडक्ट्स ऑर्गेनिक होते हैं।
दरभंगा की प्रतिभा
बिहार के दरभंगा की रहने वाली प्रतिभा झा ने शादी के बाद मशरूम की खेती करना शुरू किया। केवल 1000 रुपये के निवेश से शुरू की गई मशरुम की खेता से आज प्रतिभा हर महीने 2 लाख तक की कमाई कर रही है। प्रतिभा 15 साल की थी, तब उनके पिता का कैंसर के कारण निधन हो गया। पिता के जाने के बाद उनके परिवार की स्थिति काफी खराब थी। साथ में प्रतिभा की मां भी काफी बीमार रहती थीं। ऐसे में प्रतिभा की शादी 16 साल की उम्र में ही हो गई और उन्हें शादी के कारण अपनी 10वीं कक्षा की पढ़ाई को छोड़ना पड़ा। शादी के बाद प्रतिभा मिर्जापुर हांसी गांव आ गई। यहां एक साधारण परिवार की तरह प्रतिभा पूरे दिन घर के काम में व्यस्त रहती थी। कुछ समय बाद प्रतिभा के पति का तबादला हैदराबाद हो गया और वह उनके साथ हैदराबाद चली गई। ससुराल वालों की तबीयत खराब होने के कारण प्रतिभा को वापस अपने ससुराल आना पड़ा। यहां प्रतिभा को एक विज्ञापन से मशरूम की खेती का आइडिया आया। विज्ञापन देखकर प्रतिभा को याद आया कि उनके पिता कैसे कृषि विभाग में काम करते थे और उन्हें कई मशरूम फार्मों तक ले जाया करते थे। बस यहीं से प्रतिभा ने मशरूम की खेती करने का फैसला लिया। आमतौर पर गांव की महिलाओं को काम करने के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है, लेकिन प्रतिभा के खेती करने के फैसले का साथ उनके पति ने दिया। इसके लिए प्रतिभा ने सबसे पहले दरभंगा कृषि विभाग का रुख किया और वहां के अधिकारियों ने प्रतिभा को प्रशिक्षण के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय जाने की सलाह दी। यहीं से प्रतिभा ने मशरूम की खेती करने के बारे में सीखा। मशरूम की खेती के प्रशिक्षण के बाद प्रतिभा को एक किलो दूधिया मशरूम के बीज (स्पॉन) मिलें। (हिफी)

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