लेखक की कलम

योगी ने लोकसभा चुनाव का लिया बदला

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
इसी साल 2024 में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी भाजपा के मिशन 80 को करारा झटका लगा था। यह झटका समाजवादी पार्टी सपा ने लगाया था। सपा को इसका गुरूर भी था। अब राज्य में 9 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनावों में सपा को पटकनी देकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव का बदला ले लिया है । सपा भी दावा कर रही थी कि उसे सभी नौ सीटों पर सफलता प्राप्त होगी। उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में.बड़ा उलटफेर हो गया है, पहले बीजेपी और रालोद 7 सीटों पर आगे थी, कुछ देर बाद सपा 4 सीटों पर आगे हो गई. फिर सपा 3 पर आ गई। काफी देर तक सपा सिर्फ दो सीटों पर आगे रही। इसके बाद काफी देर तक सिर्फ करहल सीट पर आगे रही। अंततः दो सीटों पर ही जीत पाई। भाजपा इस उपचुनाव में सपा से सीधे तौर पर कटेहरी और कुंदरकी सीट छीनने में सफल हो गई। पिछले विधानसभा चुनाव (2022) में सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी सीट पर सपा ने जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीट पर कब्जा जमाया था। मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के पास थी, जो अब भाजपा की सहयोगी है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, मीरापुर में 57.1 प्रतिशत, कुंदरकी में 57.7 प्रतिशत, गाजियाबाद में 33.3 प्रतिशत, खैर में 46.3 प्रतिशत, करहल में 54.1 प्रतिशत, सीसामऊ में 49.1 प्रतिशत, फूलपुर में 43.4 प्रतिशत, कटेहरी में 56.9 प्रतिशत और मझवां में 50.4 प्रतिशत मतदान हुआ था। मतदान की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए 50 प्रतिशत से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई थी। इन 9 सीटों के नतीजों पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं। सपा मुखिया अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ ने इन उपचुनावों को व्यक्तिगत स्तर पर ले लिया था। यूपी उपचुनाव में सीधा मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच था। सपा ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। इस उपचुनाव में भाजपा ने 8 और उसकी सहयोगी रालोद ने एक सीट पर चुनाव लड़ा। वहीं, सपा, कांग्रेस के समर्थन से सभी नौ सीटों पर मैदान में उतरी। हालांकि, ये गठबंधन कम और कांग्रेस की मजबूरी ज्यादा थी। कांग्रेस यूपी में पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ना चाहती थी। फूलपुर के लिए विशेष आग्रह था क्योंकि इसी सीट से कभी पंडित जवाहर लाल नेहरू चुनाव लड़ते थे। कांग्रेस अखिलेश यादव को नाराज करने का रिस्क नहीं लेना चाहती थी और अखिलेश कांग्रेस को एक भी सीट देना नहीं चाहते थे। हालांकि अब अखिलेश यादव यही कह रहे हैं कि उनकी तरफ से कांग्रेस को 2 सीटें दी जा रही थीं लेकिन कांग्रेस ने चुनाव न लड़कर सपा को समर्थन देने का फैसला लिया था। बसपा भी अपनी परम्परा को तोड़कर सभी नौ सीटों पर उपचुनाव लड़ी, लेकिन उसका खाता भी नहीं खुला। अब मायावती ने फिर से कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया, उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनावों में एनडीए की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफल नेतृत्व और मार्गदर्शन में जनता की अटूट आस्था का प्रमाण है। यह जीत डबल इंजन सरकार की सुरक्षा, सुशासन और जनकल्याणकारी नीतियों को समर्पित है। दरअसल योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन न होने की भरपाई कर दी है।
कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रामवीर सिंह ने 32वें राउंड की गिनती के बाद ऐतिहासिक जीत हासिल की। रामवीर सिंह ने सपा के उम्मीदवार मोहम्मद रिजवान को हराकर कुंदरकी सीट पर विजय प्राप्त की। रामवीर सिंह को 168526 वोट जबकि रिजवान को 25334 वोट मिले। रामवीर ने सपा के उम्मीदवार को 143192 वोटों से हराया। इसी प्रकार मीरापुर उपचुनाव में रालोद की मिथिलेश पाल ने जीत दर्ज की है। मिथिलेश पाल को कुल 84304 वोट मिले हैं। उन्होंने 30796 वोटों के अंतर से सपा की सुंबुल राणा को मात दी है। सुंबुल को कुल 53508 वोट मिले हैं।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनावों में भाजपा-एनडीए की जबरदस्त बढ़त पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पहला रिएक्शन सामने आया था। योगी ने एक्स पर लिखा, उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनावों में भाजपा-एनडीए की विजय आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व एवं मार्गदर्शन पर जनता-जनार्दन के अटूट विश्वास की मुहर है। ये जीत डबल इंजन सरकार की सुरक्षा-सुशासन एवं जन-कल्याणकारी नीतियों तथा समर्पित कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम का सुफल है। उ.प्र. के सुशासन और विकास को अपना मत देने वाले उत्तर प्रदेश के सम्मानित मतदाताओं का आभार एवं सभी विजयी प्रत्याशियों को हार्दिक
बधाई! बटेंगे तो कटेंगे। एक रहेंगे-सेफ रहेंगे।
भाजपा को लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर निराशा हाथ लगने के बाद इस उपचुनाव की कमान खुद मुख्घ्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली थी। योगी ने न सिर्फ हर सीट पर जोर-शोर से प्रचार किया, बल्कि ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया। यह नारा जनता को पसंद आया। उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नया नारा दिया। योगी के इस नारे को नेताओं ने अपनी जनसभाओं में दोहराया। योगी के इस नारे को लेागों ने खूब पसंद कघ्यिा और बीजेपी प्रत्घ्याशिघ्यों को वोट दिया। बसपा ने सभी नौ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने गाजियाबाद, कुंदरकी और मीरापुर में उम्मीदवार उतारे। चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सीसामऊ को छोड़कर सभी सीटों पर चुनाव लड़ा। राज्य की इन नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान हुआ था।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य की नौ सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त मिलने के एक दिन बाद 24 नवम्बर को चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और कहा कि अब उनकी पार्टी कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी। मायावती ने संभल में सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि वहां सर्वेक्षण के दौरान जो कुछ भी हिंसा व बवाल हुआ है, उसके लिए उत्तर प्रदेश का शासन व प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार है। उत्तर प्रदेश में नौ सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार सात क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दो सीट पर वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवारों से भी पीछे पांचवें स्थान पर रहे।
उपचुनाव के दौरान बीजेपी ने एक नारा दिया, ‘बंटेंगे तो कटेंगे’। इस नारे के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने एक के बाद एक नारे दिए। लेकिन एक भी नारा काम नहीं आया। यूपी के उपचुनाव में बीजेपी के इस नारे ने अपना काम बखूबी किया है। बीजेपी के नारे का काट ढूंढते हुए समाजवादी पार्टी ने नारा दिया, ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे।’ यह नारा देवरिया जिले के समाजवादी पार्टी नेता और प्रदेश सचिव विजय प्रताप यादव ने दिया था। भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज कर ली है। इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। केवल करहल और सीसामऊ विधानसभा सीट छोड़ दें तो बाकी सभी सीटों पर सपा को करारी हार मिली है। जिस सीट पर बीते 31 व 33 वर्षों से बीजेपी नहीं जीती थी, वहां भी इस उपचुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल की है, जिसमें कटेहरी और कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल है। पार्टी की इस बड़ी हार से अखिलेश यादव बैकफुट पर हैं। क्योंकि वो जिस जीत की उम्मीद से 2027 की तैयारी में थे, वो तैयारी धरी की धरी रह गई। (हिफी)

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