वंशजों ने लगाया राणा के नाम पर बट्टा

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
मेवाड़ के राणा प्रताप ने मुट्ठी भर साथियों के दम पर अकबर की सेना के छक्के छुड़ा दिये थे। अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के लिए वे जंगलों मंे रहे, घास की रोटी खायी और जमीन पर सोए। उनके राज्य का एक व्यापारी भामाशाह सम्पत्ति को तुच्छ समझकर राणा प्रताप के कदमों मंे रख आया और कहा आप मुगलों के खिलाफ लड़ने के लिए सेना तैयार करिए। आज उसी राणा प्रताप के वंशज सम्पत्ति के लिए लड़ रहे हैं। उदयपुर मंे राणा प्रताप के वंशज उनके पर पर बट्टा लगा रहे हैं। राज्य की भाजपा सरकार महाराणा प्रताप के बारे मंे जन-जन को जागृत करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 8 मई को महाराणा प्रताप के संदेश को पूरी दुनिया मंे पहुंचाने की घोषणा की थी। इसके लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से महाराणा प्रताप सर्किट विकसित किया जा रहा है लेकिन महाराणा प्रताप के वंशज सम्पत्ति के विवाद को उठाकर राणा प्रताप के त्याग और राष्ट्रप्रेम को कलंकित कर रहे हैं।
राजस्थान का उदयपुर हर किसी के जुबां पर एक बार फिर है। इस बार ये शहर किसी शादी या महल को लेकर चर्चा में नहीं है। बल्कि महाराणा प्रताप के दो वंशजों के बीच शुरू हुए विवाद को लेकर सुर्खियों में है। उदयपुर के नए मेवाड़ विश्वराज और अरविंद सिंह के बीच बवाल शुरू हो गया है। महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच संपत्ति का विवाद कई कारणों से है। दरअसल उदयपुर राजघराने के पास काफी बड़ी संपत्ति है, जिसमें महल, जमीन और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। ऐसे में महाराणा प्रताप के कई वंशज हैं और सभी अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। इसी संपत्ति को लेकर विवाद के कारण परिवार के सदस्यों के बीच कलह हो गई है।
महाराणा प्रताप के पिताः महाराणा उदय सिंह, मांः जयवंताबाई सोनगरा भाई- शक्ति सिंह, खान सिंह, विरम देव, जेत सिंह, राय सिंह, जगमल, सगर, अगर, सिंहा, पच्छन, नारायणदास, सुल्तान, लूणकरण, महेशदास, चंदा, सरदूल, रुद्र सिंह, भव सिंह, नेतसी, सिंह, बेरिसाल, मान सिंह, साहेब खान पत्नियांः अजब देपंवार, अमोलक दे चौहान, चंपा कंवर झाला, फूल कंवर राठौड़ प्रथम, रत्नकंवर पंवार, फूल कंवर राठौड़ द्वितीय, जसोदा चौहान, रत्नकंवर राठौड़, भगवत कंवर राठौड़, प्यार कंवर सोलंकी, शाहमेता हाड़ी, माधो कंवर राठौड़, आश कंवर खींचण, रणकंवर राठौड़ बेटे- अमर सिंह, भगवानदास, सहसमल, गोपाल, काचरा, सांवलदास, दुर्जनसिंह, कल्याणदास, चंदा, शेखा, पूर्णमल, हाथी, रामसिंह, जसवंतसिंह, माना, नाथा, रायभान और बेटियांः रखमावती, रामकंवर, कुसुमावती, दुर्गावती, सुक कंवर शामिल हैं।
महाराणा प्रताप का नाम भारतीय इतिहास में वीरता, साहस के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उनका जन्म 9 मई 1540 को हुआ था और वे मेवाड़ के राणा थे। महाराणा प्रताप एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ लंबे समय तक संघर्ष किया था। उनके वंशज आज भी उदयपुर में रहते हैं और उनकी विरासत को संजोए हुए हैं, लेकिन इस विरासत के साथ ही एक लंबा विवाद भी जुड़ा हुआ है, जो संपत्ति को लेकर है। महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच संपत्ति को लेकर कई सालों से विवाद चल रहा है। इस विवाद के कारण ही राजघराने के सदस्यों के बीच संबंध खराब हो गए हैं।
महेंद्र सिंह के निधन के बाद उदयपुर के नए मेवाड़ विश्वराज सिंह बने हैं, जिसको लेकर विवाद शुरू हो गया है। विश्वराज सिंह मेवाड़ के आवास समोर बाग के बाहर भारी पुलिस बंदोबस्त है। समोरबाग और सिटी पैलेस के बीच के रास्ते में बेरीकेडिंग कर पुलिस फोर्स तैनात कर दीं गयी। जिससे समोर बाग में आने वाली भीड़ सिटी पैलेस की तरफ न जा सके। समोर बाग से आज विश्वराज सिंह समर्थकों के साथ एकलिंग जी मंदिर दर्शन करने जा रहे थे। यह राणा परिवार की परम्परा है। पुलिस की कोशिश से दोनों के समर्थकों में टकराव न हो और एकलिंग जी जाने वाली भीड़ सिटी पैलेस की ओर न मुड़ जाए। एकलिंग मंदिर भारत के सबसे प्रचीन मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण 734 ई. में बप्पा रावल ने करवाया था। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार में जब भी राजतिलक की रस्म निभाई जाती है तो उस सदस्य को परंपरानुसार इस मदिर में दर्शन करने होते हैं। इसलिए विश्वराजसिंह मेवाड़ राजतिलक की रस्म के दो दिन बाद इस मंदिर में दर्शन करने गये। विश्वराज सिंह के कंधे पर चांदी की छड़ी धारण कराई गयी।
विश्वराज सिंह मेवाड़, जो मौजूदा समय में मेवाड़ के शाही परिवार के प्रमुख हैं, मेवाड़ के राजपरिवार की ऐतिहासिक धरोहर और संपत्ति के उत्तराधिकारी हैं। उनका परिवार उदयपुर के सिटी पैलेस में रहता है, जो मेवाड़ का ऐतिहासिक किला और महल है। सिटी पैलेस की शानदार वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व इसे एक खास पर्यटन स्थल बनाती है। इसके अलावा मेवाड़ के अन्य महल, किलों और जमीन-जायदाद पर भी महाराणा प्रताप के वंशजों का अधिकार है।
महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच संपत्ति का विवाद कई कारणों से है। दरअसल उदयपुर राजघराने के पास काफी बड़ी संपत्ति है, जिसमें महल, जमीन और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। ऐसे में महाराणा प्रताप के कई वंशज हैं और सभी अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। इसी संपत्ति को लेकर विवाद के कारण परिवार के सदस्यों के बीच कलह हो गई है। हाल ही में हुए राजतिलक के दौरान यह विवाद और गहरा गया। राजतिलक के बाद नए राजा को उदयपुर के सिटी पैलेस में जाकर धूनी दर्शन करने थे। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इस बार नए राजा को सिटी पैलेस में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इस घटना ने राजघराने के सदस्यों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। सिटी पैलेस उदयपुर राजघराने का प्रमुख निवास है और इसका धार्मिक महत्व भी है। यहां स्थित धूनी माता का मंदिर राजघराने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राजतिलक के बाद नए राजा विश्वराज सिंह को यहां आकर दर्शन करने की परंपरा है, लेकिन इस बार नए राजा को सिटी पैलेस में प्रवेश करने से रोक दिया गया, जिससे विवाद और बढ़ गया। इस विवाद के कारण उदयपुर में तनाव की स्थिति पैदा हो गई। राजघराने के सदस्यों के समर्थकों के बीच झड़प हुई और कई लोग घायल हुए, इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके चलते फिलहाल उदयपुर में तनाव की स्थिति है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इसी साल 8 मई को कहा था कि महाराणा प्रताप के संदेश को पूरी दुनिया तक पहुंचाना हमारी सरकार का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में 100 करोड़ रुपये की लागत से महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट विकसित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उदयपुर में महाराणा प्रताप जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, महाराणा प्रताप न केवल राजस्थान और भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी वीरता, शौर्य और देशभक्ति को काल और भौगोलिक सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि आज आप, संस्कृति, सभ्यता और धर्म रक्षित हैं, तो उसका कारण यही है कि महाराणा प्रताप जैसे महापुरुष हुए जो अपना राज्य बचाने के लिए ही नहीं बल्कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए लड़े। यह बात राणा के वंशजों को भी समझनी चाहिए। (हिफी)