लेखक की कलम

देवेन्द्र फडणवीस ने जीती बाजी

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
महाराष्ट्र मंे विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति के पक्ष में आये लेकिन भाजपा अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकती थी। राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 132 विधायक ही मिल पाये। इसलिए एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी का सहयोग जरूरी हो गया था। भाजपा ने भविष्य को भांप कर अजित पवार को अपने साथ पहले ही मिला लिया। इस प्रकार एकनाथ शिंदे भाजपा का साथ देने के लिए मजबूर हो गये थे। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार एकनाथ शिंदे ने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रहा था कि उन्हंे कम से कम 6 महीने के लिए सीएम बना दिया जाए लेकिन उनसे स्पष्ट कहा गया कि मुख्यमंत्री तो भाजपा का ही बनेगा। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने गृह विभाग की मांग की। उनकी यह मांग भी नहीं मानी गयी। भाजपा ने स्पष्ट रूप से शिंदे को बता दिया कि भाजपा हाईकमान का निर्णय ही महाराष्ट्र में मान्य होगा। इतना जरूर किया गया कि देवेन्द्र फडणवीस को एकनाथ शिंदे के घर उनकी कुशल क्षेम लेने भेजा गया क्योंकि वे बीमार हो गये थे। इसके बाद 4 दिसम्बर को भाजपा पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी की मौजूदगी मंे देवेन्द्र फडणवीस को विधायक दल का नेता चुना गया और एकनाथ शिंदे व अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाने पर मुहर लग गयी।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन बाद तय हुआ देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले सीएम होंगे। देवेंद्र फडणवीस के नाम पर मुहर महायुति की 4 दिसम्बर को हुई बैठक में लगाई गई। फडणवीस बीजेपी के विधायक दल के नेता चुने गए हैं। महायुति की बैठक में एकनाथ शिंदे और अजित पवार महाराष्ट्र को डिप्टी सीएम बनाने पर सहमति बनी है। इस निर्णय के बाद देवेंद्र फडणवीस समर्थकों विधायकों के नाम के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया।
बीजेपी की विधायक दल की बैठक शुरू होने से पहले बताया जा रहा था कि सीएम पद की रेस में देवेंद्र फणवीस सबसे आगे हैं। एक दिन पहले बीजेपी नेता फडणवीस ने महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके आधिकारिक आवास वर्षा में मुलाकात की थी, पिछले सप्ताह दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच ये पहली आमने-सामने की मुलाकात थी। महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा इसे लेकर अटकलें लगायी जा रही थीं। इन सबके बीच निर्दलीय उम्मीदवार रवि राणा ने देवेंद्र फडणवीस को लेकर एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता की ही जरूरत है। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के विकास और आगे बढ़ा सकते हैं, हम उनके साथ है। महाराष्ट्र की जनता भी उन्हें ही अगला सीएम देखना चाहती है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे नाराज थे, लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने उनके घर पहुंचकर, उनसे आधे घंटे बात कर नाराजगी भी दूर कर दी। शिवसेना भी सरकार में शामिल होगी सबसे बड़ी लड़ाई मंत्रालयों को लेकर थी लेकिन उसे भी सुलझा लिया गया। शिवसेना और एनसीपी दोनों ही चाहते हैं कि उनके पास सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण विभाग रहें। दोनों पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने मंत्री पद के लिए लॉबिंग भी शुरू कर दी है लेकिन बीजेपी नेताओं का दावा है कि बात बन गई है। शिवसेना के एक नेता ने भी कहा, फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच बैठक में कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालयों को लेकर चर्चा हुई है।
बीजेपी के बड़े नेता सुधीर मुनगंटीवार ने एक ऐसा बयान दिया था, जिससे सस्पेंस बढ़ गया था। उन्होंने कहा, विधायक दल का नेता चुनने के लिए बैठक होगी, लेकिन पर्यवेक्षक नाम के साथ आते हैं। उनके सामने विधायक नेता का नाम तय करेंगे और घोषणा कर दी जाएगी। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने मुनगंटीवार के इस बयान की ओर इशारा किया है कि विधायक दल के नेता के नाम का प्रस्ताव दिल्ली से आएगा। बीजेपी को जिस तरह से विधानसभा चुनाव में सीटें आई हैं ऐसे में माना जा रहा था कि अगला सीएम बीजेपी से ही होगा। देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से निर्वाचित हुए हैं। वह पूर्व में भी सीएम रह चुके हैं। एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम पद की जिम्मेदारी संभाल चुके देवेंद्र फडणवीस को 2019 में भी सीएम बनने का मौका मिला था लेकिन दो दिन बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। बताते हैं कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से मुलाकात में कहा कि उन्हें कम से कम छह महीने के लिए सीएम बना दिया जाए। एकनाथ शिंदे ने दिल्ली में हुई मुलाकात में यह मांग उठाई थी कि अगर उन्हें फुल टर्म सीएम नहीं बनाया जा सकता है तो कम से कम सरकार के पहले छह महीने उन्हें सीएम बनाया जाए। हालांकि बीजेपी नेतृत्व ने शिंदे की मांग को खारिज कर दिया। उसका कहना था कि इससे गलत उदाहरण पेश होगा। बीजेपी के पदाधिकारियों के हवाले से एक वरिष्ठ नेता ने बताया, छह महीने के लिए सीएम बनाने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह गलत निर्णय होता और यह प्रशासन पर गलत असर डालता। यह मुलाकात 28 नवंबर को हुई थी। इसके एक दिन पहले ही एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह सरकार गठन में रोड़ा नहीं बनेंगे और बीजेपी नेतृत्व को फाइनल मानेंगे। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे मौजूद थे। वरिष्ठ नेता के मुताबिक शिंदे ने बीजेपी को लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के दौरान किए वादे की याद दिलाई कि अगर गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता है तो वह सीएम बने रहेंगे। उनकी इस मांग को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उन्हें सीएम पद देना सही नहीं होगा जबकि बीजेपी बहुमत के लगभग करीब है। इसकी जगह शिंदे से कहा गया कि वह खुद को बीजेपी अध्यक्ष की जगह खड़ा होकर देखें। उनसे कहा गया, क्या आपको स्पष्ट बहुमत मिलेगा तो क्या आप सीएम पद छोड़ेंगे। बताया जा रहा है कि यह सुनकर शिंदे कुछ जवाब नहीं दे पाए।
इस बीच एकनाथ शिंदे की तबीयत खराब हो गयी। शिष्टाचार के रूप में उनकी मुलाकात फडणवीस से हुई। शिंदे अपने गांव सतारा चले गए थे जहां से वो 2 दिसम्बर को मुंबई लौटे। दिल्ली में अमित शाह के साथ बैठक के बाद मुंबई में भी महायुति की बैठक होनी थी लेकिन शिंदे के बीमार होने की वजह से ये बैठक नहीं हो पाई। ठाणे के जुपिटर अस्पताल में शिंदे ने चेकअप कराया। अस्पताल से बाहर निकलने के दौरान मीडिया ने उन्हें घेर किया। कई सवाल उनसे पूछ गए लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि मैं टेस्ट के लिए आया था। मेरी तबीयत ठीक है। इतना कह कर वो अपनी कार में बैठ गए। फडणवीस की मुलाकात से पहले बीजेपी के सीनियर नेता गिरीश महाजन ने शिंदे से मुलाकात की। इससे पहले शिंदे गुट के नेता उदय सामंत ने फडणवीस से मुलाकात की थी। महाराष्ट्र में सरकार के गठन से पहले मुलाकातों का दौर चल रहा था लेकिन शिंदे के पास कोई रास्ता नहीं बचा था।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से महायुति 228, महाविकास आघाडी 47 और अन्य 13 सीटें जीतने में सफल रहे। महायुति में बीजेपी ने जहां 132 सीटें जीतीं, वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पहला विधानसभा चुनाव लड़ रही शिवसेना ने 55 सीटें और अजित पवार की एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की। (हिफी)

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