लेखक की कलम

महाराष्ट्र के चाणक्य की रणनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
इस बार (2024) के विधानसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद कुछ लोग कहने लगे कि महाराष्ट्र के चाणक्य शरद पवार अपना प्रभाव खो चुके हैं लेकिन हाल ही में राज्य के अनार किसानों को लेकर उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना लोगों के कान खड़े कर रहा है। मोदी को भी महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस की सरकार को एकनाथ शिंदे और अजित पवार रूपी राहु केतु ग्रहों को नियंत्रण में रखने के लिए उद्धव ठाकरे अथवा शरद पवार की निकटता की जरूरत है। वीर सावरकर को भारत रत्न की मांग और देवेन्द्र फडणवीस से उद्धव की मुलाकात ने शरद पवार को भी चौंकाया होगा। महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में कांग्रेस अब फिट नहीं बैठ रही है। यह बात भाजपा भी जानती है। इसके अलावा मोदी को किसान आंदोलन से भी चिंता पैदा होने लगी है। शरद पवार कृषि मंत्री भी रह चुके हैं। किसानों के संगठनों से शरद पवार के अच्छे संबंध होने का फायदा उठाया जा सकता है। शरद पवार की पार्टी के पास राज्य सभा सदस्यों को मिलाकर 10 सांसद भी हैं। भाजपा के 232 और शरद पवार के 8 सांसद बहुमत के करीब पहुंच जाते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन पर मोदी सरकार को विपक्ष के मित्रों के समर्थन की भी जरूरत है । इसे भी ध्यान में रखना होगा कि एनसीपी-एसपी चीफ शरद पवार जब 12 दिसंबर को अपना 84वां जन्मदिन मना रहे थे तब शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी उनसे मिलने पहुंचे और उन्हें बधाइयां दीं। इसलिए शरद पवार की मोदी से किसानों के साथ मुलाकात के गंभीर राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं ।
एनसीपी (एसपी) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने गत 18 दिसंबर को दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की। इस दौरान पवार ने अनार किसानों का मुद्दा पीएम के सामने उठाया। पूर्व कृषि मंत्री और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने संसद भवन में सतारा के दो किसानों के हाथों से अनार का तोहफा पीएम को भेंट किया । शरद पवार से जब पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र की राजनीति पर बात हुई? तो उन्होंने कहा कि नहीं कोई बात नहीं हुई है। धुरंधर नेता आमतौर पर इसी तरह से जवाब देते हैं । शरद पवार की पीएम मोदी से ये मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हालिया महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बयानबाजी में तल्खियां देखी गई थीं. इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को करारी हार का सामना करना पड़ा। शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के साथ एमवीए में शामिल है। शरद पवार विपक्षी खेमे के बड़े नेता माने जाते हैं। ऐसे में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। गत 17 दिसंबर को ही एनसीपी (एसपी) ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का विरोध किया था। सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने राज्यसभा में कहा कि ये बिल फेडरलिज्म के खिलाफ है। उन्होंने साथ ही कहा कि ये बिल वापस लिया जाना चाहिए या फिर इसे जेपीसी को भेजा जाना चाहिए। बिल जेपीसी को भेज भी दिया गया है। शरद पवार विपक्षी खेमे के बड़े नेता माने जाते हैं। ऐसे में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। लोकसभा से वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को चर्चा के लिए जेपीसी में भेज दिया गया है।
शरद पवार के जन्मदिन पर भतीजे अजित पवार की दिल्ली यात्रा से संसद में हलचल के बाद महाराष्ट्र की सियासत में एक नई चर्चा शुरू हो गई थी। शरद पवार के जन्मदिन पर उनके भतीजे और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार का दिल्ली में शरद पवार के आवास पर पहुंचना चर्चा का विषय बन जाना स्वाभाविक भी था । इस मुलाकात ने कई सवालों को जन्म दिया है जिसमें सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या यह मुलाकात भविष्य की सियासी रणनीति का हिस्सा थी? इस मुलाकात के बाद से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। क्या यह संकेत है कि चाचा और भतीजा एक बार फिर से एक साथ आ सकते हैं? क्या एनसीपी में दो गुटों के बीच चल रहे मतभेदों को सुलझाने का ये प्रयास है? महाराष्ट्र में बीजेपी की हालिया जीत के बाद शरद पवार की पार्टी में उथल-पुथल मच गई है और यही कारण है कि इस मुलाकात को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। एनसीपी शरद गुट के भीतर महाराष्ट्र चुनावों के नतीजों के बाद सियासी माहौल गर्म हो गया है. कभी 40 से ज्यादा विधायकों वाली पार्टी अब सिर्फ 10 सीटों पर सिमट गई है जो पार्टी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार शरद पवार के सभी सांसदों की हाल ही में दिल्ली में एक बैठक हुई जिसमें यह सुझाव दिया गया कि पार्टी को बीजेपी के साथ जुड़कर नई राह अपनानी चाहिए।
इसका कारण एमबीए में अपनी अपनी ढपली और अलग अलग राग है। महाराष्ट्र में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद उद्धव ठाकरे के गुट ने सीधे तौर पर प्रफुल्ल पटेल पर आरोप लगाए कि वह एनसीपी के टूटने के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि पटेल ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि ये सारी बातें बेबुनियाद हैं और उन्होंने शरद पवार की तारीफ भी की। पार्टी के भीतर इस समय दो गुट बन गए हैं एक गुट बीजेपी के साथ गठबंधन की ओर झुका हुआ है जबकि दूसरा गुट अजित पवार के साथ सत्ता में शामिल होने की बात कर रहा है।इन सब अटकलों के बीच खबरें आईं कि शरद पवार ने बीजेपी के एक सीनियर नेता से मुलाकात की है हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। शिंदे गुट के नेता भी कह रहे हैं कि भविष्य में उनके साथ आने की संभावना हो सकती है। इस समय शरद पवार के गुट के पास 8 लोकसभा और 2 राज्यसभा सांसद हैं। वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पारित करवाने में ये काम आ सकते हैं ।
देश भर में अभी वन नेशन वन इलेक्शन के मसले पर सियासत गरमाई हुई है। पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच इस मुद्दे को लेकर लगातार जुबानी जंग जारी है। इस बीच वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने प्रतिक्रिया देते हुए श्एक राष्ट्र एक चुनाव से संबंधित बिल को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर ये पारित होता है तो तानाशाही की शुरूआत होगी। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लिए प्रस्तावित एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर प्रकाश अंबेडकर ने 18 दिसंबर को मीडिया से बातचीत में कहा था अगर ये विधेयक पारित हो जाता है, तो यह भारत में राजनीतिक दलों के अंत की शुरुआत का संकेत होगा। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा, अगर यह विधेयक पारित हुआ तो इस देश का भविष्य दांव पर होगा। राजनीतिक दलों का अंत शुरू हो जाएगा। विधेयक संघीय ढांचे को खतरे में डालता है। उन्होंने कहा,काफी कुछ संघीय ढांचा पहले ही समाप्त हो चुका है। जीएसटी के कारण राज्य वित्तीय रूप से केंद्र पर निर्भर हैं। उनकी अर्थव्यवस्थाएं खत्म हो गई हैं। इस प्रकार वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर मोदी सरकार को शरद पवार के समर्थन की दरकार है और शरद पवार को भी एमवीए में बेहतर भविष्य नहीं दिख रहा है। (हिफी)

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