सरकारी जमीन पर वक्फ के कब्जे से योगी के चढ़े तेवर

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के उन अफसरों को निशाने पर लिया जो सरकारी जमीन पर वक्फ बोर्ड के अवैध कब्जे के बारे मंे सरकार को जानकारी नहीं दे रहे हैं। आश्चर्य है कि अयोध्या जैसे क्षेत्र मंे भी सरकारी जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा है। माना जा रहा है कि करीब 12 हजार एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। पूरे देश मंे रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास ही सबसे ज्यादा जमीन है। इस जमीन को अवैध रूप से भी कब्जाया गया है और यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसी भी तरह हजम नहीं होगी। वक्फ बोर्ड कानून मंे नरेन्द्र मोदी की सरकार संशोधन भी इसी के चलते करने जा रही है। इस पर राजनीति जमकर हो रही है लेकिन यह बात स्पष्ट रूप से आम जनता के सामने आनी चाहिए कि क्या सरकारी जमीन पर कब्जा करना भू-माफिया जैसा काम नहीं है। वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड बने हैं लेकिन यह जमीन या संपत्ति यदि अनुचित रूप से हथियाई गयी है तो इसे सरकार वापस लेगी। उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से दो महीने पहले ही रिपोर्ट मांगी गयी थी। प्रशासन के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ढिलाई कतई बर्दाश्त नहीं करते हैं। इसलिए लापरवाही करने वाले अफसरों पर कार्रवाई निश्चित है। आईएएस अभिषेक प्रकाश का निलंबन ताजा उदाहरण है।
उत्तर प्रदेश में वक्फ प्रॉपर्टी के रूप में दर्ज सरकारी संपत्तियों का विवरण न भेजने वाले अफसरों पर अब गाज गिरने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हीला-हवाली करने वाले अफसरों के खिलाफ एक्शन के निर्देश दिए हैं। दरअसल, कई जिलों ने रिमाइंडर के बावजूद वक्फ संपत्तियों का विवरण नहीं भेजा। प्रदेश में हुई जांच के दौरान 57792 सरकारी संपत्तियों का पता चला था और 11712 एकड़ सरकारी जमीन अवैध रूप से वक्फ में दर्ज की गई है। बता दें कि प्रदेश के शाहजहांपुर, रामपुर, अयोध्या, जौनपुर और बरेली जिलों में सबसे अधिक सरकारी संपत्तियां वक्फ में दर्ज हुई हैं। दो माह पहले ही शासन की तरफ से जिलों में वक्फ के तौर पर दर्ज हुई सरकारी संपत्तियों का ब्यौरा मांगा गया था, लेकिन प्रतापगढ़ समेत दो जिलों से ही रिपोर्ट भेजी गई जिसमें भी शून्य लिखा था। शासन इस रिपोर्ट को सही नहीं मान रहा है। लिहाजा अधिकारियों के खिलाफ एक्शन की तैयारी है। साथ ही अवैध रूप से सरकारी संपत्तियों को वक्फ में दर्ज करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की रिपोर्ट मांगी गई है। उन पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है।
गौरतलब है कि शासन की तरफ से हर जिले से रिपोर्ट मांगी गई थी कि वक्फ में दर्ज सरकारी संपत्तियों की लोकेशन कहां-कहां है? वर्तमान में उन संपत्तियों की प्रकृति क्या है यानी वह किस काम में लाई जा रही हैं। अवैध कब्जादारों के नाम का विवरण भी मांगा गया था लेकिन अधिकांश जिलों से रिपोर्ट नहीं भेजी गई। अब सरकार बड़े अफसरों से लेकर छोटे कर्मचारियों के खिलाफ भी एक्शन की तैयारी में है। वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड बने हैं। देश भर में करीब 30 स्थापित संगठन हैं जो उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। सभी वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया था। लोकसभा में बुधवार (2 अप्रैल) को वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को फिर से पेश कर दिया गया। इस विधेयक के संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में भेजे जाने के बाद अब इसे नए सिरे से पेश किया गया है। सदन में बहस के बाद इस पर मतदान होगा। लोकसभा में बहस के बाद विधेयक पास हो गया पक्ष में 288 और विपक्ष मंे 232 मत पड़े।
ध्यान रहे 543 सदस्यीय लोकसभा में इस वक्त 542 सांसद हैं। पश्चिम बंगाल की बशीरहाट सीट अभी रिक्त है। वक्फ संशोधन विधेयक को पास कराने के लिए 272 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को आदेश दे रखा है कि वे जमीन कब्जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्हें तत्काल जेल भेजें। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में जमीन कब्जाने वालों से कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।
राजस्व परिषद ने एंटी भू-माफिया के तहत कार्रवाई के लिए और सख्त नियम बनाए हैं। परिषद की आयुक्त एवं सचिव मनीषा त्रिघाटिया ने इस संबंध में जिलाधिकारियों को निर्देश भेज दिए हैं। उन्होंने जारी निर्देशों में स्पष्ट किया है कि नई व्यवस्था के तहत एंटी भू-माफिया पोर्टल पर दर्ज होने वाली शिकायतें सीधे एसडीएम को स्थानांतरित हो जाएंगी। कार्रवाई के लिए तीन चरण बनाए गए हैं। पहले चरण में एसडीएम व डीएम स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। दूसरे चरण में पुलिस अधीक्षक व पुलिस आयुक्त के स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। तीसरे चरण में राजस्व परिषद, प्रमुख सचिव व पुलिस महानिदेशक स्तर से कार्रवाई की जाएगी।
एंटी भू-माफिया पोर्टल पर शासकीय या सार्वजनिक उपक्रम की भूमि पर कब्जे, चकरोड पर कब्जे, तालाब पर कब्जे, खलिहान, चारागाह, निजी आवासीय भूमि, फर्जी बैनामे के आधार पर नामांतरण, कृषि व पट्टे की भूमि, सार्वजनिक भूमि, निजी भूमि व अन्य श्रेणी में शिकायत दर्ज कराने की सुविधा लोगों को दी गई है। पहले शिकायत दर्ज होने पर लेखपाल व राजस्व निरीक्षकों के स्तर पर कार्रवाई की व्यवस्था बनाई थी, लेकिन कई बार शिकायतें लंबित रहती थीं। ऐसा सामने आया कि ग्रेटर नोएडा में भू-माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। यहां होंडा सीएल कंपनी के सामने प्राधिकरण की ग्रीन बेल्ट की जमीन पर करीब 200 बीघे पर अवैध रूप से विला बनाए जा रहे हैं। भू-माफिया अपनी दबंगई से इस क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों और बाजारों का निर्माण करवा रहे हैं, जबकि जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए हैं। जिन कॉलोनियों और बाजारों का निर्माण भू-माफियाओं ने किया है, अब उन्हें 40 लाख से एक करोड़ रुपए में बेचा जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने इस समस्या के खिलाफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के पास कई बार शिकायतें की हैं लेकिन उनका आरोप है कि प्राधिकरण ने इन शिकायतों को अनसुना कर दिया है। ऐसा लगता है कि अधिकारियों को केवल मलाई मिल रही है और उन्हें जनता की चिंता नहीं है। ग्रेटर नोएडा उद्यान समिति के अध्यक्ष अमित सिंह खारे ने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा है और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को इस मामले से अवगत कराया।
प्रदेश सरकार ने भू-माफिया के खिलाफ सख्ती दिखाते हुए यूपी में चार स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। इस टीम ने पुलिस-प्रशासन संग भू-माफिया पर कार्रवाई करते हुए सरकारी और निजी अरबों रुपए की कीमत की डेढ़ लाख एकड़ से ज्यादा भूमि खाली कराई है। राजस्व कर्मियों के मुताबिक यह भूमि लखनऊ शहर के बराबर क्षेत्रफल के बराबर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से सभी जिलों में नए सिरे से भूमाफिया को चिन्हित कर कार्यवाही के आदेश हुए हैं। ध्यान रहे कि 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भूमाफिया के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के लिए प्रदेश में चार स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया था। पिछले आठ साल में राजस्व और पुलिस विभाग ने भूमाफिया के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाई की हैं। अब वक्फ के नाम पर सरकारी भूमि को भी कब्जे से मुक्त कराया जाएगा। (हिफी)