लेखक की कलम

उपलब्धियों भरा स्थापना दिवस

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिसका पूर्व में नाम भारतीय जनसंघ हुआ करता था, अब 46 साल की हो गयी है। गत 6 अप्रैल को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) ने दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय मंे पार्टी का झंडा फहराकर स्थापना दिवस कार्यक्रम का श्रीगणेश किया था। जेपी नड्डा के स्थान पर शीघ्र ही कोई अन्य इस दायित्व को संभालने वाला है लेकिन नड्डा के कार्यकाल में पार्टी ने कई उपलब्धियां अर्जित की हैं। केन्द्र में लगातार तीन बार सरकार बनाने का इतिहास नरेन्द्र मोदी ने रचा है। विश्व के सबसे अधिक देशों ने अपना सर्वोच्च अवार्ड मोदी को प्रदान किया है। अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर बन गया। यह वादा भाजपा के नेता करते थे। जनसंघ के संस्थापकों मंे से एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर मंे दोहरे संविधान का विरोध करते थे, भाजपा ने धारा 370 को निष्प्रभावी करके मुखर्जी का सपना पूरा किया। अटल जी 300 से ज्यादा कमल खिले होने का सपना देखते थे तो भाजपा ने लोकसभा में 300 से ज्यादा सांसद भी पहुंचा दिये और अब समान नागरिक संहिता को भी लागू किया जा रहा है। भाजपा के 46वें स्थापना दिवस पर सभी राज्य मुख्यालयों और जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। इसके साथ ही पार्टी ने जन-जन तक पहुंचने का अभियान भी प्रारम्भ कर दिया है। भाजपा के कभी दो सांसद हुआ करते थे, आज पार्टी पूरी जवानी पर है और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का उद्देश्य लेकर आगे बढ़ रही है। भारतीय संस्कृति को भी मजबूत कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल, 1980 को हुआ, परन्तु इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्ति तथा देश विभाजन के साथ ही देश में एक नई राजनीतिक परिस्थिति उत्पन्न हुई। गांधीजी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाकर देश में एक नया राजनीतिक षड्यंत्र रचा जाने लगा। ‘नेहरूवाद’ तथा पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर भारत के चुप रहने से क्षुब्ध होकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरु मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। इधर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ स्वयंसेवकों ने भी प्रतिबंध के दंश को झेलते हुए महसूस किया कि संघ के राजनीतिक क्षेत्र से सिद्धांततः दूरी बनाये रखने के कारण वे अलग-थलग तो पड़े ही, साथ ही संघ को राजनीतिक तौर पर निशाना बनाया जा रहा था। ऐसी परिस्थिति में एक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल की आवश्यकता देश में महसूस की जाने लगी। फलतः भारतीय जनसंघ की स्थापना 21 अक्टूबर, 1951 को डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी की अध्यक्षता में दिल्ली के राघोमल आर्य कन्या उच्च विद्यालय में हुई।
भारतीय जनसंघ ने डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी के नेतृत्व में कश्मीर एवं राष्ट्रीय अखंडता के मुद्दे पर आंदोलन छेड़ा तथा कश्मीर को किसी भी प्रकार का विशेषाधिकार देने का विरोध किया। डॉ श्यामा प्रसाद मुकर्जी को कश्मीर की जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी रहस्यपूर्ण स्थिति में मृत्यु हो गई। एक नई पार्टी को सशक्त बनाने का कार्य पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के कंधों पर आ गया। भारत-चीन युद्ध में भी भारतीय जनसंघ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा राष्ट्रीय सुरक्षा पर नेहरू की नीतियों का डटकर विरोध किया। 1967 में पहली बार भारतीय जनसंघ एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में भारतीय राजनीति पर लम्बे समय से बरकरार कांग्रेस का एकाधिकार टूटा, जिससे कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की पराजय हुई। सत्तर के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में निरंकुश होती जा रही कांग्रेस सरकार के विरूद्ध देश में जन-असंतोष उभरने लगा। गुजरात के नवनिर्माण आन्दोलन के साथ बिहार में छात्र आंदोलन शुरू हो गया। कांग्रेस ने इन आंदोलनों के दमन का रास्ता अपनाया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन का नेतृत्व स्वीकार किया तथा देशभर में कांग्रेस शासन के विरूद्ध जन-असंतोष मुखर हो उठा। परिणामतः 25 जून, 1975 को देश पर दूसरी बार आपातकाल भारतीय संविधान की धारा 352 के अंतर्गत ‘आंतरिक आपातकाल’ के रूप में थोप दिया गया। देश के सभी बड़े नेता या तो नजरबंद कर दिये गए अथवा जेलों में डाल दिए गये। समाचार पत्रों पर ‘सेंसर’ लगा दिया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अनेक राष्ट्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हजारों कार्यकर्ताओं को ‘मीसा’ के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। देश में लोकतंत्र पर खतरा मंडराने लगा। जनसंघर्ष को तेज किया जाने लगा और भूमिगत गतिविधियां भी तेज हो गयीं। तेज होते जनान्दोलनों से घबराकर इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी, 1977 को लोकसभा भंग कर दी तथा नये जनादेश प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त की। जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर एक नये राष्ट्रीय दल ‘जनता पार्टी’ का गठन किया गया। विपक्षी दल एक मंच से चुनाव लड़े तथा चुनाव में कम समय होने के कारण ‘जनता पार्टी’ का गठन पूरी तरह से राजनीतिक दल के रूप में नहीं हो पाया। आम चुनावों में कांग्रेस की करारी हार हुई तथा ‘जनता पार्टी’ एवं अन्य विपक्षी पार्टियां भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई। पूर्व घोषणा के अनुसार 1 मई, 1977 को भारतीय जनसंघ ने करीब 5000 प्रतिनिधियों के एक अधिवेशन में अपना विलय जनता पार्टी में कर दिया। जनता पार्टी अल्पजीवी रही। जनता दल बना वह भी बिखरा, तब भाजपा बनी।
आज भाजपा देश में एक प्रमुख राष्ट्रवादी शक्ति के रूप में उभर चुकी है एवं देश के सुशासन, विकास, एकता एवं अखंडता के लिए कृतसंकल्प है। 10 साल पार्टी ने विपक्ष की सक्रिय और शानदार भूमिका निभाई। 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी, जो आज ‘सबका साथ, सबका विकास’ की उद्घोषणा के साथ गौरव सम्पन्न भारत का पुनर्निर्माण कर रही है। मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने कम समय में ही अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने विश्व में भारत की गरिमा को पुनःस्थापित किया, राजनीति पर लोगों के विश्वास को फिर से स्थापित किया। अनेक अभिनव योजनाओं के माध्यम से नए युग की शुरुआत की। अन्त्योदय, सुशासन, विकास एवं समृद्धि के रास्ते पर देश बढ़ चला है। आर्थिक और सामाजिक सुधार सुरक्षित जीवन जीने का मार्ग उपलब्ध करा रहे हैं। किसानों के लिये ऋण से लेकर खाद तक की नयी नीतियां जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सॉयल हेल्थ कार्ड, आदि ने कृषि के तीव्र विकास की अलख जगायी है। ये नया युग है सुशासन का। चाहे आदर्श ग्राम योजना हो, स्वच्छता अभियान या फिर योग के सहारे भारत को स्वथ्य बनाने का अभियान, इन सभी कदमों से देश को एक नयी ऊर्जा मिली है। भाजपा की मोदी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, अमृत मिशन, दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना, डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं से भारत को आधुनिक और सशक्त बनाने की दिशा में मजबूत कदम उठाया है। जनधन योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, सुकन्या समृद्धि योजना जैसी अनेक योजनाएं देश में एक नयी क्रांति का सूत्रपात कर रही हैं। भाजपा सरकार ने देशवासियों को विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजना का उपहार दिया है।
आज भी देश में राष्ट्रीय अखण्डता के मुद्दे उठाना पृथकतावाद से जूझना एवं इस निमित्त समाज को निरन्तर जाग्रत रखने का काम भाजपा ही कर रही है। देश को परमाणु शक्ति सम्पन्न कर भारत पर हमलों की हिमाकत करने वालों को अटलजी की सरकार ने सीधा संदेश दिया था और अब नरेन्द्र मोदी भारत को वैश्विक स्तर पर अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर रहे हैं। (हिफी)

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