
- ब्रह्मोस मिसाइल कहाँ विकसित किया जा रहा हैं
- मिसाइलों और ड्रोन ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत बढ़ा दी
- राजधानी लखनऊ अब भारत की रक्षा शक्ति को बढ़ाएगी
- डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
- मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदियों के नाम से लिया गया है।
- ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति ?
ब्रह्मोस मिसाइल कहाँ विकसित किया जा रहा हैं
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाया था। उस समय ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मास्त्र साबित हुई थी। पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे क्योंकि चार दिनों के संघर्ष के दौरान ही पाकिस्तान के सैन्य हवाई अड्डे और सैन्य छावनियां नष्ट हो गयी थीं। इनको निशाना बनाने के लिए ब्रह्मोस़ मिसाइलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। अब भारत अपने ब्रह्मोस मिसाइलों के भंडार को और समृद्ध करने जा रहा है। भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को बनाते हैं। भारतीय सेना को इनकी ज्यादा जरूरत है और सेना ने इसकी डिमांड की है। भारतीय वायुसेना अपने रूसी मूल के एसयू-30 एमके लड़ाकू जेट बेड़े को ब्रह्मोस से लैस करेगी। ब्रह्मोस मिसाइल प्लांट उत्तर प्रदेश के लखनऊ-कानपुर रोड पर डिफेन्स इंडस्ट्रियल काॅरिडोर के तहत विकसित किया गया है। इस प्रकार देश की सुरक्षा रणनीति में योगी आदित्यनाथ के प्रदेश यूपी की राजधानी महत्वपूर्ण हो गयी है। ब्रह्मोस मिसाइल प्लांट प्रदेश की राजधानी लखनऊ के निकट सरोजनी नगर तहसील क्षेत्र के भटगांव में स्थित है।
मिसाइलों और ड्रोन ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत बढ़ा दी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के सैन्य बुनियादी ढांचे को बड़ा नुकसान पहुंचाने के बाद ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों ने अपनी क्षमता पूरी दुनिया को दिखा दी है। अब भारत अपने ब्रह्मोस मिसाइलों के जखीरे को और मजबूत करने जा रहा है। भारत और रूस मिलकर जिस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को बनाते हैं, भारतीय सेना उसका मेगा ऑर्डर देने जा रही है। यह ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की एक साथ सबसे बड़ी खरीद होगी। शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया कि एक उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय की बैठक में भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के साथ-साथ भारतीय वायु सेना के लिए इन हथियारों के जमीन और हवा से लॉन्च किए जाने वाले वर्जन की खरीद को जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने कहा कि नौसेना अपने वीर श्रेणी के युद्धपोतों को लैस करने के लिए इन मिसाइलों का उपयोग करेगी, जबकि भारतीय वायु सेना अपने रूसी मूल के एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू जेट बेड़े को लैस करने के लिए इनका उपयोग करेगी। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघर्ष में स्वदेशी हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने हमारे स्वदेशी हथियारों की क्षमताओं को देखा। हमारी वायु रक्षा प्रणालियों, मिसाइलों और ड्रोन ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत साबित की है, खासकर ब्रह्मोस मिसाइलों ने।
राजधानी लखनऊ अब भारत की रक्षा शक्ति को बढ़ाएगी
पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के पहले चरण में, जब भारत ने पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के आतंकी मुख्यालयों सहित पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर हमले शुरू किए, तो ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय वायु सेना के लिए पसंद का मुख्य हथियार था, जो बड़ी सटीकता के साथ लक्ष्य पर हमला करता था। ब्रह्मोस ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों को अधिक नुकसान पहुंचाया, और इसलिए पाकिस्तान सेना ने आतंकवादियों और उनके बुनियादी ढांचे की रक्षा करते हुए जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की।
गौरतलब है कि भारत और लंबी रेंज वाले ब्रह्मोस संस्करणों का निर्माण कर रहा है जो 800 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 डेवलप किया जा रहा है। यूपी की राजधानी लखनऊ अब भारत की रक्षा शक्ति को बढ़ाएगी। सरोजनीनगर के भटगांव में ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण हो रहा है। यह संयंत्र रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर का हिस्सा है।
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस यूनिट का उद्घाटन किया था। इस प्रोजेक्ट से रोजगार के अवसर मिलेंगे। यह संयंत्र भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा।
इस प्रकार उत्तर प्रदेश अब भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयां देने जा रहा है। लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण सरोजनीनगर क्षेत्र के भटगांव में स्थित अत्याधुनिक संयंत्र में हो रहा है। यह संयंत्र डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड का हिस्सा है और इसे ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा स्थापित किया गया है, जो भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम है। यह परियोजना लखनऊ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
इस फैक्ट्री में दुनिया की सबसे तेज और विध्वंसक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का निर्माण होगा। इसी साल 11 मई को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल उत्पादन यूनिट का उद्घाटन किया गया था। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वर्चुअली शामिल हुए थे, जबकि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक सहित अन्य मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे थे। दरअसल, ब्रह्मोस मिसाइल प्लांट लखनऊ-कानपुर रोड पर डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत विकसित किया गया है। यह संयंत्र लखनऊ के सरोजनीनगर तहसील क्षेत्र के भटगांव गांव में स्थित है। इस जगह को विशेष रूप से उच्च तकनीक वाले रक्षा उपकरणों और मिसाइलों के निर्माण के लिए तैयार किया गया है।
इस प्रोजेक्ट की आधारशिला दिसंबर 2021 में रखी गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने 80 हेक्टेयर भूमि मुफ्त में उपलब्ध करवाई थी। केवल 3.5 सालों में यह प्लांट निर्माण से उत्पादन के चरण में पहुंच चुका है। संयंत्र की निर्माण लागत 300 करोड़ रुपये है, जिसमें जमीन की लागत शामिल नहीं है। यह मिसाइल परियोजना ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा संचालित की जा रही है, जो कि भारत के डीआरडीओ और रूस की एनपीओएम का संयुक्त उपक्रम है। इसमें भारत की 50.5 फीसद और रूस की 49.5 फीसद हिस्सेदारी है। मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदियों के नाम से लिया गया है। वहीं, प्रदेश सरकार और रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इस संयंत्र से लखनऊ और आसपास के युवाओं को रोजगार के हजारों अवसर मिलेंगे। साथ ही इससे लखनऊ की पहचान एक रक्षा उत्पादन हब के रूप में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगी। यह परियोजना पीएम मोदी द्वारा 2018 में घोषित उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा का हिस्सा है। इस गलियारे में लखनऊ के अलावा कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट जैसे छह नोड शामिल हैं। इसका उद्देश्य रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण और निवेश को बढ़ावा देना है।
ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति ?
भारत के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं, इसका सटीक आंकड़ा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कुछ अनुमानों के अनुसार, भारत के पास 1,500 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलें हैं। भारतीय सशस्त्र बलों के पास 1,200 से 1,500 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलों का एक संयुक्त बेड़ा होने का अनुमान है। ब्रह्मोस मिसाइल एक मध्यम दूरी की, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह मिसाइल जहाज, पनडुब्बी, विमान और भूमि आधारित मोबाइल लांचर से लॉन्च की जा सकती है। ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम गति मैक 3 है, और इसकी रेंज 500 किलोमीटर से अधिक है। भारत के ब्रह्मोस मिसाइल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में कम से कम 14-15 देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने में रुचि व्यक्त की है। भारत भी इस मिसाइल के निर्यात के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)