लेखक की कलम

राजठाकरे का ‘सियासी पैगाम’

महाराष्ट्र मे एक बड़ा राजनीतिक बदलाव

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

महाराष्ट्र मे एक बड़ा राजनीतिक बदलाव देख्ने को मिल सकता है। इसका संकेत शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने दिया है। सबसे पहले उन्होंने एक हंगामेदार बयान दिया। राजठाकरे ने कहा ‘मस्जिदों से लाउडस्पीकर बंद करा दिये जाएं, वरना हम भी तेज आवाज मंे हनुमान चालीसा बजाएंगे। यह बयान भाजपा का पसंदीदा बयान माना गया। इसी के बाद राजठाकरे ने केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की। नितिन गडकरी सड़क निर्माण मंे रिकार्ड बनाने के साथ ही संघ के काफी निकट माने जाते हैं। राजनीतिक विरोधियों के सगे-संबंधियों को भाजपा से जोड़ने की रणनीति किसी से छिपी नहीं है। यूपी मंे धुर विरोधी सपा नेता मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा का उदाहरण सबके सामने है। महाराष्ट्र मंे शिवसेना का अब भाजपा के साथ आना मुश्किल नजर आ रहा है। इसलिए उद्धव ठाकरे के सगे चचेरे भाई राजठाकरे को भाजपा से जोड़ने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। राजठाकरे का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर राजनीतिक हमला भी इसी की एक कड़ी है। राजनीतिक घमासान शुरू हो चुका है। एमएनएस ने अजान के विरोध मंे लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाई थी, इस पर मुंबई पुलिस ने 5500 रुपये का जुर्माना लगाया है।
मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर तेज आवाज में नमाज पढ़ने को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। इस बार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है। उन्होंने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार से मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग की। मुंबई के शिवाजी पार्क में एक रैली में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए, राज ठाकरे ने कहा, ”मस्जिदों में लाउडस्पीकर इतनी तेज आवाज में क्यों बजाए जाते हैं? अगर इसे नहीं रोका गया तो हम मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर लगाकर तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाने लगेंगे।” राज ठाकरे ने कहा, “मैं प्रार्थना, या किसी विशेष धर्म के खिलाफ नहीं हूं। मुझे अपने धर्म पर गर्व है।” अपने चेचेरे भाई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए, मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, सीएम ने चुनावों के दौरान जिन ताकतों का विरोध किया था, चुनाव बाद उनके साथ गठबंधन करके सरकार बना ली। ऐसा करके उन्होंने मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया। राज ठाकरे ने कहा कि पिछले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को हमेशा मुख्यमंत्री के रूप में चित्रित किया था, तब उद्धव ठाकरे ने कभी एक शब्द नहीं कहा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री बनने और विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने का विचार आया। राज ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर भी हमला किया, जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार का एक हिस्सा है। राज ठाकरे ने राकांपा पर सरकार गठन के बाद से ही महाराष्ट्र में जाति आधारित नफरत फैलाने का आरोप लगाया। मनसे प्रमुख ने पूछा, “आज लोग राज्य में जाति के मुद्दों पर लड़ रहे हैं। हम कब इससे बाहर निकलेंगे और हिंदू बनेंगे?” राज ठाकरे ने हाल ही में मुंबई में विधायकों को घर देने की राज्य सरकार की घोषणा की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, ”उनकी (विधायकों) पेंशन पहले रोकी जानी चाहिए। क्या वे अपने काम से लोगों पर कोई एहसान कर रहे हैं? उनके बंगले ले लो और फिर उन्हें घर दे दो।
राजठाकरे को लेकर अब दूसरी कड़ी पर गौर करें। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी ने 3 अप्रैल को मुंबई में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की। इस बारे में पूछे जाने पर नितिन गडकरी ने कहा कि यह एक व्यक्तिगत मुलाकात थी, इसके राजनीतिक मायने न निकाले जाएं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मनसे प्रमुख के साथ उनके पुराने पारिवारिक रिश्तें हैं और वह राज ठाकरे के निमंत्रण पर उनके मिलने पहुंचे थे। नितिन गडकरी ने पत्रकारों से कहा, ”यह राजनीतिक मुलाकात नहीं थी। राज ठाकरे और उनके परिवार के साथ मेरा रिश्ता 30 साल पुराना है। मैं उनका नया घर देखने और उनकी माता जी का कुशल-क्षेम जानने आया था। यह एक पारिवारिक भेंट थी न कि पॉलिटिकल।” भले ही नितिन गडकरी इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकालने से मना कर रहे हैं, लेकिन महाविकास अघाड़ी सरकार की खुलेआम आलोचना कर रहे राज ठाकरे से उनकी मुलाकात के बाद अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र की आगामी महानगरपालिकाओं के चुनावों के लिए भाजपा और मनसे गठबंधन कर सकते हैं। राज ठाकरे से नितिन गडकरी की मुलाकात को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। हाल के दिनों में राज ठाकरे महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के मुखर आलोचक बनकर उभरे हैं। नितिन गडकरी से मुलाकात के एक दिन पहले ही, उन्होंने शिवाजी पार्क में मनसे के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमला बोला था। राज ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन में पिछला महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन सरकार विरोधी दलों के साथ मिलकर बनाई। राज ठाकरे ने कहा था कि चुनाव अभियान के दौरान अपनी सभी जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करते थे लेकिन तब शिवसेना ने कोई आपत्ति नहीं उठाई। चुनाव खत्म होने के बाद शिवसेना को अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने की याद आई। राज ठाकरे ने इसे मतदाताओं के साथ विश्वासघात बताया। साथ ही उन्होंने उद्धव सरकार से मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रोकने की मांग की। मनसे प्रमुख ने कहा कि यदि मस्जिदों में लाउडस्पीकर बजेगा तो हम भी तेज आवाज में मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा बजाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं प्रार्थना या किसी विशेष धर्म के खिलाफ नहीं हूं। मुझे अपने धर्म पर गर्व है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने शरद पवार और उनकी पार्टी एनसीपी पर राज्य में जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शरद पवार जाति का मुद्दा उठाते हैं और समाज को विभाजित करते हैं। राज ठाकरे के इन बयानों पर शिवसेना के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने पलटवार करते हुए कहा, ”उन्हें निकाय चुनाव के नतीजों के बाद ही उद्धव ठाकरे के ढाई ‘साल का मुख्यमंत्री’ वाले फॉर्म्यूले की याद आ रही है। इनकी अकल इतनी देर बाद खुली है। भाजपा और शिवसेना में क्या हुआ है, हम दोनों देख लेंगे। हमें तीसरे की जरूरत नहीं है।”
शरद पवार ने भी जवाब दिया। पवार ने कोल्हापुर में पत्रकारों से कहा, राकांपा ने सभी जातियों के लोगों को एकजुट किया है। राज ठाकरे को टिप्पणी करने से पहले राकांपा का इतिहास पढ़ना चाहिए।’ महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) प्रमुख के भाषण पर एक सवाल के जवाब में पवार ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘राज ठाकरे तीन से चार महीने सोये रहते हैं और अचानक भाषण देने के लिए जाग जाते हैं। यह उनकी खासियत है। मुझे नहीं पता कि वह इतने महीनों तक क्या करते हैं।’’ पवार ने कहा कि मनसे प्रमुख कई बातें कहते हैं लेकिन उन पर टिके नहीं रहते। उन्होंने कहा, ‘‘वह राकांपा और जाति की राजनीति के बारे में बात करते हैं। असलियत यह है कि छगन भुजबल और मधुकरराव पिचड समेत अन्य
नेताओं ने सदन में राकांपा के नेता के तौर पर काम किया है। हर कोई जानता है कि वे किस जाति से आते हैं।’’ इस प्रकार राज ठाकरे भविष्य मंे क्या करेंगे, इसी पर चर्चा केन्द्रित हो गयी है। (हिफी)

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