फेल हुई अखिलेश की रणनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने जिस रणनीति से उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव मंे सबसे ज्यादा (37) सांसद जुटा लिये थे, उसी रणनीति ने 9 सीटों पर हुए उपचुनाव मंे उनका साथ नहीं दिया। कुछ लोगों का मानना है कि जनता ने उनके गुरूर को तोड़ा है। याद कीजिए लोकसभा चुनाव मंे मिली सफलता के बाद संसद मंे अखिलेश यादव ने कहा था-
आवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर
दरबार तो लगा है पर, बड़ा गमगीन बेनूर।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि कुछ बातें काल और समय से परे होती हैं। आज जब प्रदेश में विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव हुए तो वहीं बातें काल और समय से परे हो गयी हैं। उनका पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) नाकाम रहा। मुस्लिम बहुलवाली सीटों पर भी भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं कि पीडीए को वह फिर नये तेवर के साथ धार देंगे लेकिन साथ ही इलेक्ट्रानिक बूथ कैप्चरिंग का आरोप भी लगा रहे हैं। मामला कांग्रेस को सीट न देने का भी उठ रहा है लेकिन अखिलेश यादव उसके लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। कांग्रेस अभी खामोश है लेकिन सभी जानते हैं कि कांग्रेस पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी। कहीं न कहीं मन में कसक तो रही होगी। बहरहाल उपचुनावों मंे पराजय की अखिलेश को ईमानदारी से समीक्षा करनी चाहिए।
भाजपा ने एसपी से कुंदरकी सीट 31 साल के बाद छीनी है। बीजेपी ने इस सीट पर समाजवादी पार्टी की पीडीआई फॉर्मूले की हवा निकाल दी। कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने आखिरी बार साल 1993 में जीत दर्ज की थी लेकिन, इस उपचुनाव में बीजेपी ने कुंदरकी सीट एसपी से छीन ली। साल 1993 में भी बीजेपी के चंद्र विजय सिंह ने मौजूदा प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान को ही हराया था। साल 2024 के उपचुनाव में बीजेपी के रामवीर सिंह ने एसपी उम्मीदवार मोहम्मद रिजवान को तकरीबन डेढ़ लाख के मतों के अंतर से हराया है। आपको बता दें कि साल 2017 में भी रामवीर सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन रिजवान से लगभग 2000 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। समाजवादी पार्टी इस उपचुनाव में धांधली का आरोप लगा रही है। सपा का कहना है कि इस बार यूपी की 9 सीटों पर बीजेपी नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन चुनाव लड़ रहा था। कई सीटों पर तो मुस्लिम मतदाताओं को वोट देने से रोक दिया गया और कई बूथों पर से एसपी के एजेंट बनने तक नहीं दिए गए। लेकिन, इसके बावजूद भी बीजेपी की इस जीत के मायने काफी बड़े हैं क्योंकि, सीएम योगी की रणनीति और ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों ने काफी प्रभाव डाला है। इस चुनाव ने एसपी को ऐसा गहरा सदमा दिया, जिससे 2027 तक भी शायद अखिलेश यादव नहीं उबर पाएंगे।
यूपी में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए। भाजपा ने 9 सीटों में से 7 सीटों पर लगभग जीत हासिल है। सीएम योगी ने भाजपा की जीत का क्रेडिट पीएम मोदी को दिया है तो वहीं जीतने वाले प्रत्याशियों को भी बधाई दी है। वहीं अब उपचुनाव में सपा के खराब प्रदर्शन के बाद अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने सपा के खराब प्रदर्शन पर कहा कि ‘इलेक्शन’ को ‘करप्शन’ का पर्याय बनाने वालों के हथकंडे तस्वीरों में कैद होकर दुनिया के सामने उजागर हो चुके हैं। दुनिया से लेकर देश और उत्तर प्रदेश ने इस उपचुनाव में चुनावी राजनीति का सबसे विकृत रूप देखा। असत्य का समय हो सकता है लेकिन युग नहीं। अखिलेश ने कहा कि अब तो असली संघर्ष शुरू हुआ है बाँधो मुट्ठी, तानो मुट्ठी और पीडीए का करो उद्घोष ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे!’
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में हार के बाद अखिलेश यादव ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि अब असली संघर्ष शुरू होता है। इसके साथ ही उन्होंने ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे!’ का नारा दिया। अखिलेश यादव ने चुनाव के नतीजे आने से पहले कहा था कि अगर निष्पक्ष मतगणना होती है तो अधिकतर सीटें समाजवादी पार्टी जीतेगी और संभव है कि सभी नौ सीटें सपा के खाते में जाएं। हालांकि, नतीजे सामने आने के बाद तस्वीर कुछ और ही रही। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी है। अखिलेश ने सभी नौ सीटें जीतने की बात कही थी, लेकिन उनकी पार्टी महज दो सीटों पर सिमट गयी है। खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी कुछ ऐसी सीटें हारी है, जिनमें उनकी जीत तय मानी जा रही थी। मीरापुर सीट भी इनमें से एक है। मुस्लिम बहुल सीट पर समाजवादी पार्टी की हार हैरान करने वाली है, लेकिन इसके पीछे कई वजहें सामने आई हैं।
समाजवादी पार्टी की हार की तीन वजहें मानी जा रही हैं। पहला है कि यहां वोट कम पड़े और फिर सपा ने नए चेहरे पर दांव खेला था और रालोद के पास जाना-माना नाम था। वहीं, बीजेपी का समर्थन भी रालोद उम्मीदवार के लिए मददगार साबित हुआ। योगी की सभा भी रालोद के पक्ष में गई।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा में भाजपा सरकार को घेरा और कहा कि हर बात को जुमला बनाने वाले से लोगों का भरोसा उठ गया है। इसलिए ये बहुमत की सरकार नहीं, सहयोग से चलने वाली सरकार है। पेपर लीक मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा, पेपर लीक क्यों हो रहे हैं? सच तो यह है कि सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकि उसे युवाओं को नौकरी न देनी पड़े। पिछले दस सालों की उपलब्धि इतनी रही है कि शिक्षा माफिया का जन्म हुआ है। सरकार को आशा का प्रतीक होना चाहिए, निराशा का नहीं। केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों का आग्रह है कि कम से कम गंगाजल को लेकर तो झूठ नहीं बोला जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास के नाम खरबों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या विकास का ढिंढोरा पीटने वाले इस विनाश की जिम्मेदारी लेंगे? यादव ने कहा, ‘‘हमने उत्तर प्रदेश में जो सड़क बनाई थी, उस पर हवाई जहाज उतरे थे, लेकिन अब प्रदेश के मुख्य शहरों की सड़कों पर नाव चल रही हैं।
अखिलेश यादव ने मतदान खत्म होने के बाद इशारा किया था और कहा था चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारी उनके मतदाताओं को वोट नहीं करने दे रहे थे। हालांकि, उपचुनाव में अक्सर सत्ताधारी दलों को ही जीत मिलती है, क्योंकि विपक्षी दलों के वोटर समझते हैं कि इन चुनावों से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला। इसी वजह से सपा के मतदाता वोट करने ही नहीं निकले और यहां सिर्फ 40 फीसदी मतदान हुआ। इसी वजह से बीजेपी को जीत मिली, क्योंकि बीजेपी के वोटर वोट डालने आए, लेकिन सपा के मतदाता मतदान केंद्रों से दूर रहे। मीरापुर में समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुंबुल राणा को टिकट दिया था। सुंबुल क्षेत्र के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं, लेकिन लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता खास नहीं है। इस वजह से भी उनके नाम पर कम वोटर वोट देने पहुंचे और उन्हें नए विधायक से ज्यादा उम्मीद भी नहीं थी। वहीं, रालोद ने जाने-पहचाने चेहरे को टिकट दिया, जिनके नाम पर कुछ लोग मतदान करने गए और योगी के समर्थक भी उनके लिए वोट डालने पहुंचे। सपा प्रमुख को चुनाव में कथित बेईमानी के अलावा अन्य बातों पर विचार करना होगा। (हिफी)