एमसीडी में टूटा गठबंधन धर्म

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
विपक्षी दलों के गठबंधन इण्डिया में एकजुट रहने की उम्मीद कम से कम जनता तो नहीं कर सकती है। इस गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी (आप) के बारे में तो साफ तौर पर यह कहा जा सकता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ते तो वहां का परिणाम कुछ और ही होता। इससे स्पष्ट है कि आम आदमी पार्टी को भी गठबंधन धर्म निभाने में कोई रुचि नहीं है। आप के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि उनका गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था। अब अगले साल दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का रुख कैसा रहेगा, इसकी झलक दिल्ली महानगर निगम (एमसीडी) के मेयर चुनाव में मिली है। गत 14 नवंबर को हुए अनुसूचित जाति मेयर चुनाव में कांग्रेस के पार्षदों ने मतदान में ही हिस्सा नहीं लिया। आप के भी 8 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है। इस प्रकार भाजपा से कड़ी टक्कर के बाद आम आदमी पार्टी के महेश कुमार खींची मात्र तीन वोटों से विजयी हुए। कांग्रेस पार्षद सबीला बेगम ने पार्टी से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी के मेयर प्रत्याशी को वोट दिया है। दिल्ली के मेयर चुनाव में दल बदल कानून लागू नहीं होता है। एमसीडी के महापौर और उप महापौर चुनाव के लिए पार्षद के साथ ही निगम में नामांकित विधायकों के साथ ही राज्यसभा और लोकसभा के सांसद भी हिस्सा लेते हैं जबकि एल्डरमैन को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है। उल्लेखनीय है कि एमसीडी में हर वर्ष अप्रैल में महापौर चुनाव का प्रावधान है। पहला वर्ष महिला पार्षद को महापौर बनाने के लिए आरक्षित होता है जबकि तीसरा वर्ष अनुसूचित जाति के पार्षद को महापौर बनाने के लिए आरक्षित होता है। महापौर पद के लिए यह तीसरे वर्ष का चुनाव था।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। आप के महेश कुमार खींची नए मेयर बन गए। चुनाव में आप को 133 वोट मिले। बीजेपी को 130 वोट मिले। आप के 8 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग किया। वहीं रवींद्र भारद्वाज डिप्टी मेयर बने हैं। वह निर्विरोध चुने गए हैं। मेयर चुनाव में कुल 265 वोट पड़े। इसमें 2 वोट अवैध घोषित किए गए। आप की तरफ से 8 क्रॉस वोटिंग हुई। इससे पहले कांग्रेस ने चुनाव से वॉकआउट किया। वहीं नाटकीय घटनाक्रम में कांग्रेस पार्षद सबीला बेगम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आम आदमी पार्टी के 46 वर्ष के महेश कुमार खींची वर्तमान में देव नगर वार्ड से पार्षद हैं, जो करोल बाग विधानसभा क्षेत्र में आता है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से स्नातक हैं। बता दें, वह अनुसूचित जाति से आते हैं और एमसीडी में मेयर का तीसरा कार्यकाल किसी अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए आरक्षित है। आम आदमी पार्टी द्वारा मैदान में उतारे गए दलित उम्मीदवार खींची ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किशन लाल को तीन वोटों के मामूली अंतर से हराया। खींची को जहां 133 वोट मिले, वहीं किशन लाल को 130 वोट मिले। दो मत अवैध घोषित किए गए। कांग्रेस के आठ पार्षदों ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया। केजरीवाल को इस चुनाव से सीख लेने की जरूरत है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
एमसीडी में आप की जीत पर सीएम आतिशी ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पोस्ट किया- दलित विरोधी भाजपा ने षड्यंत्र रचकर मेयर चुनाव में देरी करवाई लेकिन एक बार फिर बाबा साहेब के संविधान की जीत हुई है। आम आदमी पार्टी की बदौलत दिल्ली को दलित मेयर मिला। मेयर बनने पर महेश खींची जी को बधाई! मुझे उम्मीद है कि आपके नेतृत्व में एमसीडी में अरविंद केजरीवाल जी की राजनीति आगे बढ़ेगी।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में मेयर का जब चुनाव हो रहा था, तब इसी बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कांग्रेस पार्षद सबीला बेगम ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वह इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन देने वाली थीं। सबीला बेगम ने इस्तीफा पत्र में लिखा है कि मेयर चुनाव से दूर रहकर हम भाजपा का समर्थन नहीं कर सकते। सबीला बेगम मुस्तफाबाद वार्ड से पार्षद है। कांग्रेस से पार्षद का चुनाव जीतने के बाद वह आम आदमी पार्टी में चली गई थीं। इसके विरोध में स्थानीय लोग सड़क पर उतर आए थे। उनका आरोप था पार्षद सबीला बेगम ने जनता के फैसले का अपमान किया है। इनके घर के बाहर भी जमकर हंगामा हुआ था। आप में जॉइनिंग होने के कुछ घंटे के बाद वापस कांग्रेस में आ गई थीं लेकिन अब एक बार फिर वह आप में चली गई हैं।
इससे पहले, मेयर चुनाव के दौरान एमसीडी सदन में जमकर हंगामा हुआ, जहां कांग्रेस पार्षदों ने दलित मेयर के लिए आवंटित कार्यकाल में कमी को लेकर नारेबाजी की और सदन के वेल में हंगामा किया। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने जैसे ही कार्यवाही शुरू की, हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस नेता (एलओपी) नाजिया धनीश ने दलित मेयर के लिए निर्धारित कार्यकाल में कटौती की आलोचना करते हुए तुरंत आपत्ति जताई और दलित समुदाय के पूर्ण प्रतिनिधित्व कर मांग की। उन्होंने मौजूदा मेयर पर समय से अधिक कार्यकाल तक रुकने और दलित समुदाय के पूर्ण प्रतिनिधित्व के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। धनीश, अन्य कांग्रेस पार्षदों के साथ पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए सदन के वेल में चले गए। जवाब में, सत्या शर्मा ने कांग्रेस पार्षदों से अपनी सीटों पर लौटने का आग्रह करते हुए टिप्पणी की, आप उनका सीमित कार्यकाल भी खराब कर रहे हैं। इसके बावजूद कांग्रेस पार्षदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
दिल्ली नगर निगम का गठन 1958 में हुआ था। इसे दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के तहत बनाया गया था और इसमें शुरू में 80 पार्षद थे। समय के साथ निगम का विस्तार हुआ और इसमें 272 पार्षद हो गए। दिल्ली में 2012 तक एकीकृत एमसीडी थी लेकिन बढ़ती आबादी के हिसाब से परिसीमन की प्रक्रिया जरिए दिल्ली को छोटी इकाइयों में बांट दिया गया। एकीकृत एमसीडी को उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में बांट दिया गया। तीन भागों में बंटी एमसीडी करीब 10 वर्षों तक चलती रही और मई 2022 में तीनों निकायों को एक बार फिर एकीकृत कर दिया गया। केंद्र ने परिसीमन आदेश जारी करके वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी।दिल्ली नगर निगम का मुखिया महापौर होता है और उनके नीचे उप महापौर काम करते हैं। निर्वाचित महापौर एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करता है और मुख्य रूप से औपचारिक शक्तियां रखता है, जबकि प्रशासनिक जिम्मेदारियां एमसीडी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार की होती हैं। एमसीडी अधिनियम के अनुसार एमसीडी को हर पांच साल में चुनाव कराना होता है और हर साल वित्तीय वर्ष की शुरुआत में पहली बैठक में महापौर का चुनाव करना होगा।
एमसीडी के चुनाव में आरक्षण भी लागू होता है। अधिनियम के अनुसार एमसीडी को अपने पहले साल में एक महिला को महापौर बनाना होता है और इसके चलते ही 2023 में आप की शैली ओबेरॉय मेयर चुनी गई थीं। पहला वर्ष महिलाओं के लिए, दूसरा वर्ष अनारक्षित वर्ग के लिए, तीसरा वर्ष आरक्षित वर्ग के लिए तथा अंतिम दो वर्ष पुनः अनारक्षित वर्ग के लिए हैं। (हिफी)