लेखक की कलम

आतिशी को दिल्ली की कमान

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बहुत बड़ा सियासी दांव खेला है। अब 43 साल की आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। पिछले कुछ सालों में आतिशी आम आदमी पार्टी में संकटमोचक, कांफिडेंट और बेखौफ नेता के तौर पर सामने आईं थीं। आतिशी मार्लेना सिंह, जिन्हें आतिशी सिंह या आतिशी मार्लेना या आतिशी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय राजनीतिक और दिल्ली के कालकाजी से विधायक हैं। सितंबर 2024 से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली की 8वीं मुख्यमंत्री बनी हैं। आम आदमी पार्टी विधायक दल की 17 सितंबर को बैठक में अरविंद केजरीवाल ने ही आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव पर सबने सर्वसम्मति से हामी भर दी। इस तरह आतिशी अब दिल्ली सीएम की रेस जीत चुकी हैं। हालांकि आतिशी कहती हैं कि मैं बहुत ही दुखी मन से यह दायित्व संभाल रही हूं। दिल्ली के असली मुख्यमंत्री मेरे बड़े भाई अरविंद केजरीवाल ही हैं। केजरीवाल के इस दांव से विपक्षी दल विशेस रूप से भाजपा हैरत में है जब केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान उनके इस्तीफे की मांग को लेकर अदालत तक का दरवाजा खटखटा चुकी थी। आम आदमी पार्टी में भी सीएम पद को लेकर खुसर-पुसर होने लगी थी। सीएम पद की रेस में सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत और राखी बिड़ला समेत कई नाम थे, जो अब पिछड़ गए। सवाल उठता है कि आखिर अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को ही दिल्ली का नया सीएम क्यों बनाया है? तो इसके कई कारण हैं।
आतिशी को अरविंद केजरीवाल का भरोसेमंद और काफी करीबी माना जाता है। आतिशी आम आदमी पार्टी की कोई नई नेता नहीं हैं, बल्कि वह अन्ना आंदोलन के समय से ही अरविंद केजरीवाल और संगठन के साथ जुड़ी हैं। महज पांच साल के भीतर उन्होंने अपनी काबलियत से विधायक से मंत्री तक का सफर तय किया है। आतिशी 2020 में पहली बार कालकाजी से विधायक बनी थीं। उन्हें साल 2023 में अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री पद मिला और अब साल 2024 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं। इस तरह से देखा जाए तो उनका सियासी सफर काफी चमत्कारी रहा है।
ध्यान रहे दिल्ली शराब घोटाला केस में जब अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जेल में थे, तब आतिशी ने ही मोर्चा संभाले रखा। इस दौरान आतिशी सरकार के कामकाज से लेकर संगठन तक की जिम्मेवारी बखूबी निभाती रहीं। जब-जब आम आदमी पार्टी पर मुसीबत आई, उन्होंने सामने आकर विरोधियों का मुकाबला किया। बीते कुछ समय से केजरीवाल और सिसोदिया की गैरमौजूदगी में वह आम आदमी पार्टी का प्रमुख चेहरा बन चुकी थीं। अक्सर किसी भी मसले पर वह मीडिया के सामने आतीं और आम आदमी पार्टी का स्टैंड रखतीं। उन दोनों बड़े नेताओं की गैरमौजूदगी में आतिशी ने संगठन और नेताओं के मनोबल को गिरने नहीं दिया। आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्रियों में इकलौती महिला मंत्री थीं। वह पार्टी में महिलाओं की प्रमुख आवाज बनीं। मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद शिक्षा मंत्रालय की बागडोर को संभाला और उसे अच्छे से निभाया। संगठन और नेताओं में आतिशी की अच्छी खासी पकड़ है। सबसे बड़ी बात यह कि आतिशी का आक्रामक अंदाज रहा है। आतिशी लोकसभा चुनाव में भी किस्मत आजमा चुकी हैं। आतिशी को 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर पूर्वी दिल्ली का प्रभारी नियुक्त किया गया था। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों के अंतर से हार गई थीं लेकिन 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आतिशी ने दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार धर्मवीर सिंह को 11,422 वोटों से हराया। बाद में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद उन्हें सौरभ भारद्वाज के साथ कैबिनेट मंत्री के रूप में दिल्ली सरकार में शामिल किया गया।
आतिशी को आतिशी बनाने में उनके पति का भी बड़ा योगदान रहा है। आतिशी और प्रवीण सिंह की शादी कुछ साल पहले हुई। इसके बाद ही उन्होंने पति के सरनेम को अपने नाम आतिशी मर्लेना के साथ जोड़ा। प्रवीण सिख राजपूत हैं लेकिन हमेशा मानवता और मूल्यों पर जोर देते रहे हैं। उन्हें अपनी पत्नी के काम पर गर्व रहता है। प्रवीण काफी पढ़े लिखे और सुलझे हुए शख्स हैं, जो लाइमलाइट से दूर रहकर काम करते रहे हैं। आतिशी को तो आम आदमी पार्टी की ओर से सियासत में आए कई साल हो गए लेकिन इन सालों में भी उनके पति प्रवीण सिंह कभी सार्वजनिक तौर पर सामने नहीं आए। आतिशी जब अरविंद केजरीवाल के संपर्क में आईं तो वह सियासत में चली गईं। वह बातचीत में कुशल हैं। अपनी बातों को पूरे आत्मविश्वास से रखती हैं। दबाव में नहीं आतीं। पिछले दो सालों में तो वह आप का सबसे विश्वसनीय चेहरा बनकर उभरीं।
आतिशी और प्रवीण ने कम्यून में मिलकर क्या किया। उन्होंने जो कम्यून बनाया उसके पीछे गणेश भागरिया की यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज की फिलास्फी भी थी। मध्य प्रदेश में अपने इस कम्युन को खोलने के बाद दोनों ने मिलकर खूब काम कर किया। इसके तहत न केवल गांवों में शिक्षा पर काम हुआ बल्कि आर्गनिक फार्मिंग के प्रोजेक्ट पर भी काम किया गया। उनकी इस पार्टनरशिप ने दोनों को अगर प्रोफेशनली मिलाया तो व्यक्तिगत तौर पर जीवनसाथी बना दिया। इस तरह आतिशी और प्रवीण ने कभी एक दूसरे से प्यार किया फिर शादी की। दोनों की मंजिल एक जैसी थी। दोनों ग्राम स्वराज के पैरोकार रहे हैं। दोनों गांवों में काम कर चुके हैं। प्रवीण देश की सबसे बड़े दो शिक्षा संस्थानों से डिग्री लेने के बाद भी चुपचाप काम करने में यकीन रखते हैं। प्रवीण सिंह ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नॉलॉजी यानी आईआईटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद यानी आईआईएम से पढ़ाई की है। हालांकि अपनी इस पढ़ाई के बाद वह अगर चाहते तो आराम से कहीं बहुत मोटी पैसे वाली नौकरी कर रहे होते या कहीं किसी कारपोरेट में बॉस बनकर बैठे होते लेकिन उन्होेंने ये सब छोड़कर गांव में काम करना पसंद किया।
आतिशी और प्रवीण दोनों की मुलाकात दिल्ली में हुई थी। चूंकि दोनों की ही इच्छा गांव की दशा सुधारने और वहां ग्राम स्वराज के सिद्धांत में गांवों में जागरूकता लाने की थी लिहाजा दोनों किसी कॉमन प्लेटफॉर्म पर मिले फिर बातें जब आगे बढ़ीं तो दोनों ने एक दूसरे को पसंद करना शुरू किया, यही उनकी शादी की वजह भी बनी। फिर दोनों ने साथ में मिलकर मध्य प्रदेश में 2007 में एक कम्यून स्थापित किया ताकि गांधीजी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार कर पाएं और न केवल गांवों को मजबूत करें बल्कि वहां ऐसी शिक्षा दें जिसकी व्यावहारिकता भी हो। हालांकि कहा जाता है कि आतिशी के पति प्रवीण भी शुरू में उनके साथ आम आदमी पार्टी में जुड़े थे लेकिन बाद में प्रवीण ने चुपचाप लो प्रोफाइल में काम करना पसंद किया। प्रवीण इतना ज्यादा लो-प्रोफाइल रहते हैं कि उनकी एक भी तस्वीर आपको सोशल मीडिया पर नहीं मिलेगी। कुछ साल पहले योगेंद्र यादव ने एक ट्वीट करके प्रवीण सिंह की तारीफ की थी। उन्होंने तब लिखा था- वह आतिशी के हसबैंड को अच्छी तरह जानते हैं। वह भी शानदार काम कर रहे हैं। आतिशी और प्रवीण 2007 से लेकर 2012 तक गांव में कम्यून बनाकर आर्गनिक फॉर्मिंग कम्युनिटी लिविंग और शिक्षा पर काम किया। (हिफी)

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