लेखक की कलम

बांग्लादेश की आत्मघाती सोच

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
हम अपने पड़ोसी देशों से मित्रतापूर्ण संबंध बनाये रखने का हमेशा प्रयास करते हैं। पड़ोसी देशांे मंे चीन ही ऐसा है जो पूरी तरह से सक्षम है और बाकी जितने भी देश हैं, उनको भारत ने अपने छोटे भाई की तरह मदद भी की है। बांग्लादेश भी ऐसे ही देशों मंे शामिल है जहां हाल ही सत्ता पलट हुआ और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना बेगम को भारत में राजनीतिक शरण लेनी पड़ी है। बेशक यह, वहां का आंतरिक मामला है और अंतरिम सरकार जो कर रही है, उसमंे हस्तक्षेप करने की किसी को जरूरत भी नहीं है। इसके बावजूद एक देश के दूसरे के साथ विभिन्न क्षेत्रों मंे समझौते होते रहते है जिन पर अन्तरराष्ट्रीय नियम लागू होते हैं। ये समझौते दोनों देशों की जनता के हितों को ध्यान मंे रखकर किये जाते हैं। बांग्लादेश के साथ भी अभी दो महीने पहले ही 10 महत्वपूर्ण समझौते हुए थे। ये समझौते बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना बेगम और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्ताक्षर से हुए थे। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पूर्व पीएम शेख हसीना को भले ही खलनायिका मान रही है लेकिन समझौतों के साथ बांग्लादेश की जनता का हित भी जुड़ा है। उदाहरण के लिए भारतीय ग्रिड के जरिए बांग्लादेश को नेपाल से 40 मेगावाट बिजली का निर्यात करने का समझौता हुआ है। इसी प्रकार राजशाही और कोलकाता के बीच नई रेल सेवा तथा चटगांव और कोलकाता के बीच नई बस सेवा शुरू करने का समझौता हुआ है। इनका सीधा संबंध बांग्लादेश की जनता से भी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार समझौतों को लेकर हुए एमओयू को रद्द करने की बात कह रही हैं तो यह उसकी आत्मघाती सोच ही कही जाएगी। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के साथ हाल में किए गए सहमति पत्रों (एमओयू) की समीक्षा कर सकती है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के साथ दस्तखत किए गए एमओयू की समीक्षा कर सकती है। अगर उन्हें देश के लिए लाभकारी नहीं माना जाता है, तो इन एमओयू को रद्द किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह बांग्लादेश सरकार का खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर होगा। बहरहाल केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक इन सहमति पत्रों की समीक्षा के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की तत्कालीन पीएम शेख हसीना के बीच 22 जून, 2024 को 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें से कुछ प्रमुख समझौते ये हैं:
बांग्लादेश के नागरिकों को मेडिकल ई-वीजा की सुविधा देने का ऐलान। इसके लिए भारत सरकार बांग्लादेश के रंगपुर में उप-उच्चायोग खोलेगी। राजशाही और कोलकाता के बीच नई रेल सेवा। चटगांव और कोलकाता के बीच नई बस सेवा। गेदे-दरसाना और हल्दीबाड़ी- चिलाहाटी के बीच दलगांव तक मालगाड़ी सेवाओं की शुरुआत। सिराजगंज में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो का निर्माण। भारतीय ग्रिड के जरिए नेपाल से बांग्लादेश को 40 मेगावाट बिजली का निर्यात। गंगा जल संधि के नवीनीकरण पर चर्चा के लिए संयुक्त तकनीकी समिति और तीस्ता नदी के जल-बंटवारे पर चर्चा के लिए तकनीकी टीम भेजने पर सहमति।
भारत सरकार का मानना है कि यह बांग्लादेश में नई सरकार का शुरुआती चरण है और जैसे-जैसे समय बीतेगा वे विकसित होंगे और उनका एक नया रूप सामने आएगा। सूत्रों ने कहा कि बांग्लादेश की नई सरकार का मानना है कि शेख हसीना भारत के करीब थीं और उन्होंने सहमति पत्रों पर दस्तखत करते समय भारत के लिए अनुकूल व्यवहार किया है। यह पूछे जाने पर कि 5 अगस्त को पद से हटाए जाने के बाद भारत भाग गई पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को क्या उनके देश भेजा जाए? बांग्लादेश की नई सरकार ने कहा था कि बांग्लादेश चाहता है कि हसीना को उनके खिलाफ दर्ज मामलों के लिए बांग्लादेश को सौंप दिया जाए, क्योंकि उनका रेड पासपोर्ट पहले ही रद्द हो चुका है। सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार हसीना को सौंपने पर तभी विचार करेगी जब उसे ऐसा कोई अनुरोध हासिल होगा। गौरतलब है कि जून 2024 में शेख हसीना की सरकार ने भारत के साथ 10 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें से सात नए थे और तीन का नवीनीकरण किया गया था। शेख हसीना की भारत की दो दिनों की राजकीय यात्रा के दौरान हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद इन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे।
शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी पर प्रतिबंध लगाने और उसका पंजीकरण रद्द करने के अनुरोध वाली एक याचिका भी हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में इस महीने की शुरुआत में बांग्लादेश में प्रदर्शन के दौरान छात्रों के मारे जाने में पार्टी की कथित संलिप्तता का हवाला दिया गया। सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ की खबर के अनुसार, याचिका दायर करने वाले मानवाधिकार संगठन सारदा सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक आरिफुर रहमान मुराद भुइयां ने अदालत से मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली मौजूदा अंतरिम सरकार का कार्यकाल न्यूनतम तीन वर्ष तक बढ़ाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया। हाईकोर्ट में दायर याचिका में भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान छात्र प्रदर्शनकारियों की सामूहिक हत्या के लिए अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने और राजनीतिक दल के रूप में उसका पंजीकरण रद्द करने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में संबंधित प्राधिकारों को पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के नाम पर स्थापित संस्थानों के नाम बदलने तथा विदेश में कथित रूप से जमा किए गए 11 लाख करोड़ टका को देश में वापस लाने का भी आदेश देने का अनुरोध किया। इस बीच, बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटीटी) में, अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके मंत्रिमंडल के पूर्व सदस्यों सहित 26 अन्य के खिलाफ कथित नरसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराध की शिकायत दायर की गई।
सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, हाल में भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान मारे गए शहरयार हसन अल्वी के पिता मोहम्मद अबुल हसन ने आईसीटी की जांच एजेंसी में हसीना (76) सहित उनके 27 सहकर्मियों तथा 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दायर की है। हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ जुलाई के मध्य से छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद 600 से अधिक लोग मारे गए। (हिफी)

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