लेखक की कलम

भागवत भी अब कर रहे डंडे की बात

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
इसको महज संयोग नहीं कहेंगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने चित्रकूट में सनातन और संतों के काम में आने वाली बाधाओं को डंडा लेकर दूर करने की बात कही है। इससे पूर्व आरएसएस के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी होसबोले ने उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्र बंटेंगे तो कटेंगे का समर्थन किया था। योगी आदित्यनाथ तो यह महामंत्र झारखंड से लेकर महाराष्ट्र तक जनता को पहुंचा रहे हैं। यह मंत्र किसको बताया जा रहा है यह समझने में किसी को दिक्कत नहीं है लेकिन खुलकर कोई भी नहीं बता रहा है । विपक्षी दलों के नेता आलोचना जरूर कर रहे हैं लेकिन खुलकर वे भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं ।विपक्षी दलों की इसी झिझक का फायदा भाजपा उठा रही है। संघ प्रमुख ने भी अप्रत्यक्ष रूप से यही काम किया। संघ चाहता है कि विपक्षी दल खुलकर बोलें तो हिन्दुओं के ध्रुवीकरण का रास्ता आसान हो जाए। हालांकि संघ प्रमुख ने इस मामले में तरलता का पुट देते हुए कहा कि हमें सबके प्रति समरसता व सद्भावना का व्यवहार करना चाहिए। अपने मित्रों के कष्टों का निवारण करना चाहिए और उन्हें अपनी संगति से सुधारने का भी प्रयास करना चाहिए। अनुशासन के बिना कोई भी राष्ट्र और समाज प्रगति नहीं कर सकता। यदि हमें अपने राष्ट्र को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करना है तो हमें प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासित रहना चाहिए।संघ प्रमुख ने समरसता, सामाजिक कर्तव्य, स्वावलंबन, कुटुंब प्रमोदन के साथ पर्यावरण संरक्षण पर लोगों के बीच जाकर काम करने पर जोर दिया। उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं
को जातिवाद समाप्त कर लोगों में समरसता बढ़ाने के लिए काम करने को कहा।
आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि कुछ लोग निहित स्वार्थ के चलते उभरते भारत को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत है जो कभी दबता नहीं है। यह हर संकट से उबर कर आगे बढ़ता रहेगा। सनातन और संतों के काम में आने वाली बाधाओं को संघ स्वयं सेवक डंडा लेकर दूर करेंगे। धर्मनगरी के दास हनुमान मंदिर परिसर में युग तुलसी पं. रामकिंकर उपाध्याय की जन्मशताब्दी कार्यक्रम में 6 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने देश की वर्तमान स्थिति को लेकर देश विरोधी ताकतों पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कठोर परिश्रम के बाद देश का निर्माण हुआ है। विश्व में चल रहे युद्ध में धर्म की ही जीत होगी। धर्म और सत्य की ताकत के आगे अधर्म को हार का सामना करना पड़ेगा। हर हिंदू के लिए आगे बढ़ने के लिए रामायण और महाभारत प्रेरणा है। हर हिंदू देश निर्माण में अपना धर्म निभाए।उन्होंने कहा कि तमाम ताकतें अयोध्या में राम मंदिर बनने में अड़ंगा लगा रही थीं, लेकिन भगवान की ताकत के आगे कोई नहीं है। साढ़े पांच सौ साल बाद आखिरकार सत्य और धर्म की जीत हुई। अब हर मन में अयोध्या बनाना है। उन्होंने कहा संघ को भी शुरुआत के दिनों में खाने-पीने व रहने, बैठक को लेकर कठिन संघर्ष करना पड़ा, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। सनातन धर्म विरोधी देशों के खिलाफ भारत एकजुट होकर संघर्ष कर जीत की ओर बढ़ता रहेगा। भारत सबको जोड़ने वाला देश है।
वर्ग समापन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पदाधिकारियों में जोश भरते हुए कहा कि नई उम्मीद और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एकजुट हो जाएं। किसी से डरने या अन्याय सहने की जरूरत नहीं है। विश्व में हमेशा धर्म व अधर्म रहे हैं। धर्म के पक्ष में ही खड़े रहना चाहिए। आचरण से धर्म की प्राप्ति होती है। उन्होंनंे कहा कि पुरुषार्थी लोगों को कभी-कभी शस्त्र उठाना पड़ता है। जब पूरा समाज तैयार होता है तब भगवान की कृपा रूपी अंगुली उठती है। ऋषि और मुनियों के कठोर परिश्रम से राष्ट्र की नींव रखी गई है। अलग-अलग रंग रूप होते हुए भी मूलरूप से हम सभी एक है। भारत विश्व में सबसे सुरक्षित और समृद्ध राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा से प्रभावित होकर लोग अब इस संगठन की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे हैं। ऐसा स्वयं सेवकों की कठिन तपस्या की बदौलत संभव हो सका है। संघ की समाज में छवि स्वयं सेवकों के आचरण से ही बनी है। संघ प्रमुख ने कहा कि स्वयं सेवकों के जीवन का मंत्र राष्ट्रीयता, समरसता, सद्भाव और अनुशासन होना चाहिए।
आएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ चालकों के वर्ग का पहला दिन खत्म होने के बाद शाम को कई संतों से मुलाकात की। उनका हाल जाना और सनातन धर्म के लिए उनके चल रहे कामों की प्रशंसा की। संत महांतों का आशीर्वाद भी लिया। इसके बाद शाम को कुछ मंदिरों में जाकर दर्शन किया।आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत व श्रीराम कथा के प्रख्यात संत मोरारी बापू की मुलाकात हुई। लगभग आधे घंटे तक दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र के कामों के बारे में चर्चा की।
भागवत ने महाकौशल प्रांत के वर्ग में भाजपा और संघ के बीच समन्वय बनाकर कार्य करने का संदेश पदाधिकारियों ने दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में संघ की भूमिका सहित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में होने वाले व्यापक बदलाव को लेकर भी चर्चा की गई। भाजपा में संगठन मंत्री के रूप में काम करने वाले संघ के पदाधिकारियों के स्थान में नए संगठन मंत्री बनाने पर भी विचार किया गया। हालांकि इन बातों को सार्वजनिक नहीं किया गया।
संघ का वर्ग उद्यमिता विद्यापीठ में 6 नवम्बर को संपन्न हो गया। तीन सत्रों में संघ के बौद्धिक सह प्रमुख दीपक बिसफुटे और मध्य भारत के क्षेत्र प्रचारक स्वप्निल कुलकर्णी ने महाकौशल प्रांत के चालकों और प्रमुखों से एक-एक कर बात की। उनके कार्यों की समीक्षा भी की। कहा कि संगठन को गांव तक पहुंचाने के लिए संघ की कार्ययोजना के अनुरूप काम दिसंबर के पहले सप्ताह से शुरू कर दें। यह भी संदेश दिया कि विश्व में हिंदुओं के हित व सुरक्षा की बात करने वाला आरएसएस ही एकमात्र संगठन है। इसमें कार्य करने वाला देश भक्त होता है। देश ही नहीं, पूरे विश्व के हिंदुओं की रक्षा के लिए हर संभव उपाय करें। जरूरत पर बड़े पदाधिकारियों से बात करें। किसी भी देश विरोधी से डरने की बजाय उसे समझाकर राष्ट्र भक्ति की धारा में शामिल करें। तीनों सत्र के समापन पर जानकारों की मानें तो विभिन्न राज्यों में तैनात सात संगठन मंत्रियों की पहचान की गई है, जिन्हें नए राज्यों का दायित्व सौंपा जाएगा। बिहार व उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में एक संगठन मंत्री के मातहत उप संगठन मंत्री भी भेजे जा सकते हैं, जिससे कमजोर इलाकों में संगठन को मजबूत करने के लिए बेहतर समन्वय बनाया जा सके। आरएसएस के संगठन मंत्री पूर्णकालिक मंत्री होते हैं। उन्हें भाजपा में काम करने के लिए भेजा जाता है। करीब एक दशक से भाजपा के तेबी से बढ़ने सहित बाहरी नेताओं के आने से स्वयंसेवकों के साथ भाजपा नेताओं के साथ संवाद कमजोर पड़ने की आशंका जताई गई। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षाकृत कम सीटें मिलने के पीछे इसी को माना जा रहा है। इसके लिए आरएसएस नए संगठन मंत्रियों को भाजपा में भेजने के लिए तैयार है।
वर्ग समापन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पदाधिकारियों में जोश भरते हुए कहा कि पुरुषार्थी लोगों को कभी-कभी शस्त्र उठाना पड़ता है। संघ प्रमुख का यह संदेश योगी आदित्यनाथ के मंत्र का समर्थन भी करता है। (हिफी)

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