कांग्रेस को खड़गे का खरा संदेश

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी आज क्षेत्रीय दलों के पीछे-पीछे चलने को मजबूर हैं। उसकी यह दुर्गति क्यों हुई इस पर चिंतन-मनन तो होता रहा लेकिन अमल नहीं हो पाया। इस बार गुजरात के अहमदाबाद मंे 9 अप्रैल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के 84वें अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कठोर संदेश दिया है। खड़गे ने साफ शब्दों मंे कहा कि पार्टी मंे जो काम नहीं करना चाहते हैं, वे रिटायर हो जाएं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी संगठन मंे जिलाध्यक्षों की भूमिका को और बढ़ाया जाएगा तथा उनकी तैनाती सख्ती और निष्पक्षता से की जाएगी। साबरमती के तट पर आयोजित इस अधिवेशन मंे कांग्रेस नेताओं को तीखा संदेश देकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने कार्यकर्ताओं के बुझे चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास किया है। संगठन को मजबूत बनाने का खाका भी बनाया गया है। खड़गे ने कहा जिलाध्यक्ष को अपनी नियुक्ति के एक वर्ष के भीतर सर्वश्रेष्ठ लोगों को जोड़कर बूथ समिति, मंडल समिति, ब्लाक समिति और जिला समिति बनानी होगी। उम्मीदवारों के चयन में जिलाध्यक्षों की भूमिका को मुख्य बनाया जाएगा। इसके साथ ही विपक्षी दलों के साथ गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका पर मंथन किया गया। अधिवेशन में कहा गया कि कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल हैं तो उसकी भूमिका भी बड़ी होनी चाहिए। हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में यह बात कही गयी। बहरहाल, इरादे तो नेक हैं लेकिन उन पर ईमानदारी से अमल होना ही फलदायी होगा।
अहमदाबाद में साबरमती के तट पर कांग्रेस पार्टी की अहम बैठकें आयोजित की गई हैं। वहीं इस बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं को कड़ा संदेश दिया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने साफ कहा कि, वे सभी नेता जो पार्टी की तरफ से दी गई जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं, वे रिटायर हो जाएं और जो पार्टी के काम में मदद नहीं कर सकते, वो आराम करें। उन्होंने कहा, संगठन के निर्माण में जिला अध्यक्षों की भूमिका महत्वपूर्ण होने जा रही है। इसलिए उनकी नियुक्ति अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दिशा-निर्देशों के अनुसार सख्ती और निष्पक्षता से की जानी चाहिए। खड़गे ने कहा कि जिला अध्यक्ष को अपनी नियुक्ति के एक साल के भीतर सबसे अच्छे लोगों को जोड़कर बूथ कमेटी, मंडल कमेटी, ब्लॉक कमेटी और जिला कमेटी बनानी होती है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई पक्षपात नहीं होना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, हमने देश भर के जिला अध्यक्षों की तीन बैठकें भी बुलाईं। राहुल जी और मैंने उनसे बात की और उनके सुझाव लिये। भविष्य में हम चुनावों के लिए उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में जिला अध्यक्षों को भी शामिल करने जा रहे हैं। खड़गे ने कहा, मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जो लोग पार्टी के काम में मदद नहीं करते, उन्हें आराम करने की जरूरत है, जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करते, उन्हें रिटायर हो जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के सिद्धांतों का पालन कर रही है। खड़गे ने कहा, हम फिर से भारत की आजादी के लिए लड़ रहे हैं। आजादी की इस दूसरी लड़ाई में दुश्मन फिर से अन्याय, असमानता, भेदभाव, गरीबी और सांप्रदायिकता हैं। खड़गे ने कहा कि फर्क सिर्फ इतना है कि पहले विदेशी लोग अन्याय, गरीबी और असमानता को बढ़ावा देते थे, अब हमारी अपनी सरकार ऐसा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया, पहले विदेशी लोग सांप्रदायिकता का फायदा उठाते थे, आज हमारी अपनी सरकार इसका फायदा उठा रही है। खड़गे ने कहा, लेकिन हम यह लड़ाई भी जीतेंगे!
कांग्रेस ने भाजपा के छद्म राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए खुद को फिर से संगठित करने का संकल्प लिया। साथ ही इस पुरानी पार्टी को संविधान का रक्षक बताया और दो दिनों तक अहमदाबाद में एआईसीसी के अधिवेशन में भविष्य की रणनीति पर विचार-विमर्श के बाद विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। सत्र के पहले दिन 8 अप्रैल को कांग्रेस कार्यसमिति ने देश के समक्ष प्रमुख राजनीतिक चुनौतियों पर चर्चा की, जबकि 9 अप्रैल को करीब 2000 वरिष्ठ नेताओं ने विस्तृत रणनीति पर चर्चा की और उसका अनुमोदन किया।
कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई दशकों से चली आ रही है, लेकिन 2014 के बाद से यह और तेज हो गई है, जब भाजपा केंद्र में सत्ता में आई और पिछले 10 वर्षों के यूपीए शासन को समाप्त कर दिया। कांग्रेस 2019 और 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के अलावा कई राज्य चुनावों में भी हार चुकी है, जिससे कार्यकर्ताओं में निराशा है। अब पार्टी 2029 में स्थिति बदलने के लिए कृतसंकल्प है, लेकिन उसे एहसास है कि ऐसा करने के लिए कांग्रेस को कुछ बड़े और साहसिक कदम उठाने की जरूरत है। इसलिए 2025 में देश भर में संगठन को नया रूप देने का संकल्प लिया गया, जिसमें भविष्य में जिला इकाइयां अधिक सक्रिय भूमिका निभाएंगी और केंद्र की नीतियों का मुकाबला करने के लिए सड़कों पर लड़ेंगी। यह वह सामूहिक समाधान था जिसे पार्टी के वरिष्ठ नेता लेकर आए। इस बारे में उत्तर प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, हमारा राष्ट्रवाद लोगों को एक साथ बांधता है, लेकिन भाजपा का छद्म राष्ट्रवाद विभाजनकारी और पूर्वाग्रही है। यह एक विडंबना है कि जिन लोगों की देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी, वे आज खुद को देशभक्त के रूप में पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हम अपनी पूरी ताकत से विभाजनकारी ताकतों से लड़ेंगे। ध्यान रहे 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में, कांग्रेस-सपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटें जीतकर भाजपा को करारा झटका दिया है। जिसने भाजपा को 543 सीटों में से 240 तक सीमित करने में अहम भूमिका निभाई थी। पांडे ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने रचनात्मक सहयोग और सामूहिक प्रयासों की भावना से काम किया है। हमने राजनीतिक सहयोगियों के साथ मुद्दों की समानता पर इंडिया गठबंधन की संरचना बनाई और उसे बनाए रखा है। हम भविष्य में भी इस प्रयास को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीएम संदीप के अनुसार, भाजपा विभाजनकारी राजनीति खेल रही है, क्योंकि वह हर कीमत पर चुनाव जीतना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार और उसके सहयोगी राजनीतिक लाभ और सत्ता की लालसा के लिए इस मूल राष्ट्रीय भावना को खंडित करने पर तुले हुए हैं। वे बांटना और विभाजन करना चाहते हैं – धर्म के आधार पर विभाजन को बढ़ावा देना, भाषाई विभाजन पैदा करना। इसके अलावा उत्तर बनाम दक्षिण भारत के बीच कृत्रिम मतभेद पैदा करना या जाति-आधारित दरारें पैदा करना।
राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं ने कहा, कांग्रेस धार्मिक, भाषाई, जाति-आधारित और क्षेत्रीय विभाजन की राजनीति से आखिरी सांस तक लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। हम भारत को विभाजित नहीं होने देंगे- न ही हम उन लोगों को उनके शैतानी इरादों में सफल होने देंगे जो इसे विभाजित करना चाहते हैं।
कांग्रेस यह तभी कर पाएगी जब खड़गे की बात पर अमल होगा। (हिफी)