सीजेआई खन्ना पर गुरुतर दायित्व

(मनीषा-हिफी फीचर)
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ को गत 8 नवम्बर को विदाई दी गयी थी। इस समारोह मंे वर्तमान सीजेआई संजीव खन्ना ने अपने गुरुतर दायित्व का संकेत दिया था। उस दिन जितना भावुक सीजेआई चन्द्रचूड़ थे, उतना ही भावुक सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना भी थे। उन्हांेने कहा था सीजेआई चन्द्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट को बेहतर बनाने के लिए जिस तरह मिशन पर काम किया है, अब वही रास्ता मुझे भी अपनाना होगा। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि जब न्याय के जंगल में कोई विशाल वृक्ष पीछे हटता है तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं, हवा अलग तरह से चलने लगती है और बाकी पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि इन सभी परिवर्तनों के बीच मुझे दायित्व संभालना होगा। निवर्तमान सीजेआई डीवाई चन्द्रचूड़ भी उस दिन भावुक थे। उन्हांेने अपने विदाई समारोह मंे कहा अगर मैंने किसी का दिल दुखाया है तो माफी चाहूंगा। सीजेआई चन्द्रचूड़ ने कहा कि हम सभी यहां यात्रियों की तरह हैं जो कुछ समय के लिए आते हैं और फिर चले जाते हैं। कोर्ट के रूप मंे यह संस्थान हमेशा चलता रहेगा और इसमंे विभिन्न विचारों के लोग आते रहेंगे। उन्हांेने कहा न्यायमूर्ति खन्ना इसे (सुप्रीम कोर्ट को) गरिमा के साथ आगे बढ़ायेंगे। शांत और सरल स्वभाव के जस्टिस संजीव खन्ना ने 11 नवम्बर को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला है। वह कौन से महत्वपूर्ण निर्णय करेंगे, यह तो भविष्य बताएगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में उन्हांेने कई महत्वपूर्ण फैसलों मंे सहभागिता की है। शांत, गंभीर और सरल स्वभाव के जस्टिस संजीव खन्ना पब्लिसिटी से दूर रहते हैं। वह संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के विरोध में दायर याचिकाओं पर फैसला देने मंे भी शामिल थे। ध्यान रहे सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले पर ही मुहर लगायी। जस्टिस खन्ना इलेक्टोरल बांड को रद्द करने वाली बेंच में भी शामिल थे। अरविन्द केजरीवाल को अंतरिम जमानत भी उन्होंने ही दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना 2019 मंे सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे।
भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना ने शपथ ग्रहण कर ली है। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई। उन्होंने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली। डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हुए हैं। नए सीजेआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 6 महीने का रहेगा। वो 13 मई 2025 तक सीजेआई के पद पर रहेंगे। आपको बता दें कि 12 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सीजेआई चंद्रचूड़ को एक लेटर भेजा था। इसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी का नाम देने की गुजारिश की गई थी। इसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को दिए अपने जवाब में जस्टिस संजीव खन्ना का नाम सुझाया था। इसके बाद राष्ट्रपति के मुहर लगाने के बाद जस्टिस खन्ना का नाम तय किया गया।
जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। यहीं से उनकी कानूनी सफर की शुरुआत हुई। जस्टिस संजीव खन्ना पहले दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। फिर उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में प्रमोट किया गया। जस्टिस खन्ना 14 साल तक दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे. 2005 में एडिशनल जज और 2006 में स्थायी जज बने। जस्टिस संजीव खन्ना 18 जनवरी 2019 को वो भारत के सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में प्रमोट किए गए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष पद का कार्यभार 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक संभाला। इस समय वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं। जस्टिस संजीव खन्ना बिलकिस बानो केस में फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को जमानत भी दी थी। उन्होंने केजरीवाल को एक बार अंतरिम बेल दी और बाद भी उन्हें नियमित बेल दी थी। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम, आर्टिकल 370 हटाने को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस संजीव शामिल रहे हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना ने सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ के आखिरी वर्किंग डे के दिन आयोजित विदाई समारोह में भाषण देते हुए उनके उल्लेखनीय योगदान की सराहना की। जस्टिस खन्ना ने कहा, उन्होंने यानी सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट को बेहतर बनाने के मिशन पर काम किया। इनके पद से हट जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक खालीपन आ जाएगा। विदाई समारोह में भाषण देते हुए उन्होंने कहा, जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं। हवा अलग तरह से चलने लगती है और बाकी पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते हैं। मगर जंगल फिर से कभी वैसा नहीं हो पाता। उन्होंने कहा, हम भी इस बदलाव को गहराई से महसूस करेंगे। इस न्यायालय के स्तंभों में एक खालीपन गूंजेगा। इतना ही नहीं बार और बेंच के सदस्यों के दिलों में एक शांत ईको होगा। उन्होंने कहा, संवैधानिक पीठ के 38 फैसले, जिनमें से 2 आज सुनाए गए हैं, ये एक ऐसा रिकॉर्ड है जो कभी नहीं टूटेगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी और 13 मई 2016 को उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विदाई समारोह के मौके पर भावुक होते हुए कहा, रात को मैं सोच रहा था कि दोपहर दो बजे कोर्ट खाली होगा और मैं स्क्रीन पर खुद को देख रहा होऊंगा। आप सभी की मौजूदगी से मैं अभिभूत हूं। सीजेआई ने कहा, जब मैं छोटा था, तो सुप्रीम कोर्ट में आकर यहां की कार्यवाही और कोर्ट में लगी दो तस्वीरों को देखता था। उन्होंने कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट में भी न्यायमूर्ति चागला का बहुत प्रभाव था। उन्होंने आगे कहा, हम सभी यहां यात्रियों की तरह हैं, जो कुछ समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और फिर चले जाते हैं। कोर्ट के रूप में यह संस्थान हमेशा चलता रहेगा और इसमें विभिन्न विचारों वाले लोग आते रहेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे बाद न्यायमूर्ति खन्ना इस संस्थान को मजबूती और गरिमा के साथ आगे बढ़ाएंगे।
सीजेआई ने यह भी बताया था कि वह न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के साथ बैठकर काम करने के अनुभव को बहुत याद करेंगे। उन्होंने कहा, यही कोर्ट है, जो मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हम ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिन्हें हम नहीं जानते थे और ये अनुभव जीवन को एक नया दृष्टिकोण देते हैं। उन्होंने आगे कहा, मैं आज बहुत कुछ सीखा हूं। कोई भी मामला पहले के मामले जैसा नहीं होता। निवर्तमान सीजेआई की ये बातें नवनियुक्त सीजेआई खन्ना के बहुत काम आयेंगी। (हिफी)