अपनों ने बढ़ाई अखिलेश की मुसीबत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
कहते हैं अपने ही गिराते हैं नशेमन पर बिजलियां। कुछ ऐसा ही आजकल अखिलेश यादव के साथ हो रहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को पूरी उम्मीद है कि उनकी पार्टी सभी पर जीत का परचम लहरा देगी। बीते कई मौकों पर अखिलेश यादव, सभी 10 सीटें जीतने का दावा भी कर चुके हैं। हालांकि उनके अपने ही अब उनकी मुश्किल बढ़ा रहे हैं। इससे न सिर्फ सपा की बल्कि यूपी में उसकी सहयोगी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ रहीं हैं। बीजेपी नेता इन बयानों के आधार पर यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि सपा नेता मुस्लिम मतों के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं। सांसद अफजाल अंसारी और विधायक महबूब अली भले ही सपा की भलाई का दावा करते हैं लेकिन उनके बयान लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने जो माहौल बनाया था उसको मटियामेट कर रहा है। सपा के साथ कांग्रेस भी दिक्कत महसूस कर रही है।
बीते कुछ दिनों में सपा के दो प्रमुख नेताओं ने अलग-अलग बयान देकर अपनी पार्टी और मुखिया को असमंजस में डाल दिया है। ये दो प्रमुख नेता हैं गाजीपुर से लोकसभा सांसद अफजाल अंसारी और अमरोहा से विधायक महबूब अली। दोनों के खिलाफ क्रमशः गाजीपुर और बिजनौर में सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। हालांकि अभी तक सपा चीफ की ओर से दोनों नेताओं के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो हो रही है। दरअसल बीते 26 सितंबर को गाजीपुर में अफजाल ने कहा कि लाखों लोग गांजा पीते हैं और इसे भगवान का प्रसाद मानते हैं। अगर गांजा भगवान का प्रसाद है, तो इसे अवैध क्यों माना जाता है। उन्होंने कहा था कि कई साधु-संत और महात्मा समाज के लोग गांजे का सेवन करते हैं। कुंभ मेला के दौरान यदि वहां एक मालगाड़ी गांजा भी भेज दिया जाए, तो भी वह खत्म हो जाएगा। सांसद ने कहा था कि लखनऊ में भी बड़े-बड़े लोग गांजा पीते हैं, इसलिए भांग की तरह सरकार को इसका भी लाइसेंस देना चाहिए। गाजीपुर में मीडिया से बात करते हुए सांसद ने यह भी कहा था कि अगर शराब और भांग को कानूनी दर्जा प्राप्त है तो गांजे को भी वैध कर दिया जाए। हम कहते हैं कि गांजा को कानून का दर्जा देकर वैध कर दो। लाखों की संख्या में लोग खुलेआम गांजा पी रहे हैं। धार्मिक आयोजनों में लोग गांजा पीते हैं। लोग इसे भगवान का प्रसाद और बूटी बताकर सेवन करते हैं।
अफजाल अंसारी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 353(3) के तहत मामला दर्ज किया गया है। अफजाल के बयान पर साधु संतों ने अपनी नाराजगी जाहिर की और सपा चीफ से मांग की है कि उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने जो कुछ भी कहा है वह अमर्यादित है। प्रयागराज में किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने केंद्र और राज्य सरकार से कार्रवाई की मांग की। उन्होंने मांग की है कि सपा चीफ अखिलेश यादव, अफजाल को पार्टी से बाहर निकालें।
इसी तरह गत 29 सितंबर को यूपी के बिजनौर में समाजवादी पार्टी के संविधान मानव स्तंभ दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सपा विधायक और पूर्व मंत्री महबूब अली ने विवादित बयान देकर सियासी हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से अब भाजपा की सरकार जाने वाली है क्योंकि प्रदेश में मुसलमानों की आबादी लगातार बढ़ रही है। इसलिए अब भाजपा के जाने का समय आ गया है। इंशाल्लाह 2027 में हमारे आने का समय आ गया है और यह तय है कि अब भाजपा सत्ता में लौट नहीं पाएगी। महबूब अली ने कहा कि जो काम 850 साल तक हुकूमत करने वाले मुगल भी नहीं कर पाए, वो काम ये क्या कर पाएंगे। सपा विधायक महबूब अली ने कहा कि मुस्लिम आबादी बढ़ी, तुम्हारा राज खत्म होगा। मुगलों ने देश में 800 साल राज किया जब मुगल नहीं रहे तो तुम क्या रहोगे? 2027 में तुम जरूर जाओगे, हम जरूर आएंगे।
महबूब अली के बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया आ रही हैं। देवरिया सदर से बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने तो इस मामले पर गंभीर टिप्पणी की है। महबूब अली के बयान का जिक्र कर शलभ ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा-हिंदुओं को सपा विधायक महबूब अली की खुली भभकी। महबूब अली के बयान पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि यह विधायक हैं जो गुलामगिरी ज्यादा अच्छी करते हैं। अपनी पार्टी जब सत्ता में आती है तो 20 फीसद वोट मुस्लिम देता है और 9 फीसद यादव। कभी यह अपने कौम को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तो नहीं कर पाते। जिस दिन वह सपा मुखिया अखिलेश से यह मांग
करेंगे, वह उन्हें पार्टी से निकाल देंगे। हिम्मत है तो हक और कौम के लिए लड़ना चाहिए।
जानकारों का मानना है कि सपा नेताओं के इन बयानों से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा ध्रुवीकरण की कोशिश को बल मिलेगा। न सिर्फ अफजाल बल्कि महबूब का बयान के आधार पर बीजेपी नेता जनता तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश करेंगे कि सपा किस आधार पर चुनाव जीतने की जुगत में है और उसके वादे फिजूल हैं।
यूपी में उपचुनाव की अभी तारीख घोषित नहीं हुई। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था कि स्थिति में सुधार होते ही छह महीने की निर्धारित समय सीमा के भीतर उपचुनाव करा दिए जाएंगे। मतलब साफ है कि उनके इस बयान के अनुसार यूपी की 10 सीटों पर छह महीने के अंदर ही उपचुनाव हो सकते हैं। इसके साथ ही राजीव कुमार ने यह भी कहा कुल 47 सीट पर उपचुनाव होने हैं, इनमें विधानसभा की 46 सीट हैं। देश में जिन 46 विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है उनमें 10 सीट उत्तर प्रदेश से हैं, असम में पांच और बिहार में चार विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। सभी उपचुनाव एक साथ ही कराने की सिफारिश की जाएगी। उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसमें करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर सीट शामिल है। इनमें से नौ सीटें सांसदी का चुनाव जीतने के बाद खाली हुई हैं जबकि एक कानपुर की सीसामऊ सीट सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने की बाद रिक्त हुई है।
अब उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। इस उपचुनाव को यूपी चुनाव 2027 का सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में इंडिया गठबंधन अपनी पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रही है। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। इसलिए, भारतीय जनता पार्टी ने भी सभी 10 सीटों पर जीत की रणनीति तैयार की है। सीएम योगी ने मंत्रियों की कमेटी बनाकर उन्हें विधानसभा सीटों पर जीत की रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सीएम इन सीटों पर जीत दर्ज कर पार्टी में अपनी छवि को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। वहीं, लोकसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़ने के बाद विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज कर विपक्ष अपना मोमेंटम बरकरार रखने की कोशिश करेगी। हालांकि, उपचुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया के सहयोगी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर दावेदारी शुरू हो गई है। कांग्रेस की ओर से विधानसभा उपचुनाव में 5 सीटों की मांग की जा रही है। दरअसल, कांग्रेस की रणनीति समाजवादी पार्टी के समक्ष खड़ा होने की है। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को समाजवादी पार्टी ने 17 सीटों पर सीमित कर दिया था। वहीं, अखिलेश यादव अपनी पार्टी को 63 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने में कामयाब रहे। हालांकि, अब विधानसभा उपचुनाव के जरिए कांग्रेस 50-50 फार्मूले को लेकर आगे बढ़ रही है। कांग्रेस इस उपचुनाव के जरिए यूपी विधानसभा चुनाव 2027 की रणनीति बनाती दिख रही है। (हिफी)