लेखक की कलम

ममता ने दिया पीके को झटका

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति के दंगल मंे उतरे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके दावे भले ही लम्बे-लम्बे कर रहे लेकिन उन्हें झटके पर झटके लग रहे हैं। बिहार मंे जनसुराज रैली निकालने के बाद उन्हंेाने जनसुराज पार्टी (जसुपा) बनायी थी और वहां उपचुनाव मंे प्रत्याशी भी उतार दिये। पीके का एक भी प्रत्याशी विजयश्री नहीं प्राप्त कर सका। प्रशांत किशोर की ही संस्था आईपैक है जिसके साथ पश्चिम बंगाल मंे ममता बनर्जी का 2026 तक समझौता है। ममता बनर्जी ने अपने राज्य में हाल ही में हुए 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जीत लिये। उन्हांेने भाजपा के साथ ही कांग्रेस और वामपंथी दलों को भी पानी पिला दिया है। अब ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के नेताओं से कहा कि वे किसी भी सर्वे एजेंसी को घुसने न दें। जाहिर है कि उनका इशारा पीके की एजेंसी आईपैक की तरफ है। इसके संस्थापक प्रशांत किशोर हैं। हालांकि प्रशांत किशोर यह दावा करते हैं कि इस संस्था से अब उनका कोई संबंध नहीं है लेकिन इसके कर्ताधर्ता उन्हीं के इशारे पर काम करते हैं।
इससे लगता है कि प्रशांत किशोर के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। हाल ही में बिहार में हुए उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। उन्होंने बड़े जोरशोर से चुनाव से ऐन पहले अपनी पार्टी लॉन्च की थी। अब बिहार के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में भी परोक्ष तौर उनको तगड़ा झटका लगा है। ममता बनर्जी ने अपने पार्टी नेताओं और विधायकों से कहा है कि वे किसी भी सर्वे एजेंसी को इंटरटेन न करें। दरअसल, ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के साथ आईपैक का 2026 तक का समझौता है। आईपैक एक चुनावी सर्वे कंपनी है। इसके संस्थापक प्रशांत किशोर रहे हैं। हालांकि अब प्रशांत किशोर दावा करते हैं कि उन्होंने खुद को इस संस्था के अलग कर लिया है। अब यह संस्था पूरी तरह स्वतंत्र रूप में काम करती है। हालांकि, माना जाता है कि आईपैक अब भी प्रशांत किशोर पर छाया बताई जाती है।
ममता बनर्जी ने अपने विधायकों के साथ एक बैठक में कहा कि वह अपनी पार्टी की सर्वेसर्वा हैं। पार्टी में उनकी बात ही अंतिम है। ऐसे में उन्हें यानी विधायकों को हर मुद्दे पर बोलने की जरूरत नहीं है। ममता ने अपने विधायकों से यह भी कहा कि वे जनता के द्वार जाएं और उन्हें धन्यवाद करें। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने यह भी कहा कि विधायक किसी भी एजेंसी को एंटरटेन न करें। अगर वे सर्वे के लिए कॉल करते हैं तो उन्हें भाव देने की जरूरत नहीं है। वह उन चीजों को देख लेंगी। अब पार्टी के लोग कयास लगा रहे हैं कि कहीं इसका मतलब आईपैक से दूरी बनाना तो नहीं है। टीएमसी का आईपैक के साथ 2026 तक के लिए कॉन्ट्रेक्ट है। आई पैक पार्टी के लिए सर्वे का काम करती है।
पश्चिम बंगाल उपचुनाव में ममता बनर्जी का जलवा बरकरार रहा। ममता की अगुवाई में पार्टी ने सभी 6 सीटों पर क्लीन स्वीप किया है। सिताई, नैहाटी, हरोआ, मेदिनीपुर और तालडांगरा सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने परचम लहरा दिया है। वहीं बीजेपी का गढ़ कही जाने वाली मदारीहाट सीट पर भी ममता बनर्जी की पार्टी सेंधमारी करने में कामयाब रही है। पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने बाकी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया है। सिताई सीट पर टीएमसी प्रत्याशी संगीता रॉय ने बड़े अतंर से जीत हासिल की तो वहीं, मदारीहाट सीट जयप्रकाश टोप्पो जीतने में कामयाब रहे। उत्तर 24 परगना क्षेत्र की नैहाटी विधानसभा सीट पर सनत डे ने जीत दर्ज की। हरोआ और मेदिनीपुर सीट भी टीएमसी के खाते में गई। बांकुरा की तालडांगरा विधानसभा सीट फल्गुनी सिंघाबाबू जीतने में कामयाब रहे। अनुसूचित जाति (एससी) के लिए रिजर्व सिताई सीट पर टीएमसी की संगीता रॉय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, बीजेपी के दीपक कुमार रे को 1,30,636 मतों के भारी अंतर से हरा दिया है। संगीता रॉय को 1,65,984 वोट मिले जबकि दीपक कुमार को महज 35,348 मत हासिल हुए। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिजर्व मदारीहाट सीट पर टीएमसी के जयप्रकाश टोप्पो ने बीजेपी प्रत्याशी राहुल लोहार को 28,168 वोटों से हरा दिया है। जयप्रकाश टोप्पो को 79,186 वोट मिले जबकि राहुल लोहार 50,602 मत हासिल कर सके। ध्यान रहे 2021 के विधानसभा चुनाव में ये सीट बीजेपी ने जीती थी।
मदारीहाट सीट राज्य के उत्तरी हिस्से में पड़ती है और इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस बार ममता बनर्जी बीजेपी के गढ़ में सेंधमारी करने में सफल रही हैं। इस उपचुनाव में टीएमसी, बीजेपी के अलावा सीपीएम की अगुवाई वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस ने अलग-अलग अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था।
नैहाटी सीट पर टीएमसी के सनत डे ने बीजेपी प्रत्याशी रूपक मित्रा को हरा दिया है। रूपक मित्रा को 29,495 वोट हासिल हुए जबकि सनत डे 78,772 वोट हासिल कर 49,277 मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की। इसी प्रकार हरोआ सीट पर टीएमसी के एसके रबीउल इस्लाम ने 1 लाख 31 हजार 388 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। रबीउल को 1,57,072 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी पियारुल इस्लाम केवल 25,684 वोट हासिल कर सके। मेदिनीपुर सीट पर टीएमसी के सुजॉय हाजरा ने 33,996 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। सुजॉय हजारा को कुल 1 लाख 15 हजार 104 वोट हासिल हुए जबकि बीजेपी प्रत्याशी सुभाजीत रॉय 81,108 मत हासिल कर सके। तालडांगरा सीट पर टीएमसी के फल्गुनी सिंघाबाबू ने बीजेपी की अनन्या रॉय चक्रवर्ती को 34,082 वोटों से हरा दिया है। सिंघाबाबू को कुल 98 हजार 926 वोट हासिल हुए जबकि अनन्या चक्रवर्ती 64,844 मत हासिल कर सकीं।
पश्चिम बंगाल भारत के पूर्वी भाग में स्थित महत्वपूर्ण राज्य है। यहां ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। यहां 295 विधानसभा और 42 लोकसभा सीट हैं। 23 जिलों वाले इस राज्य की राजधानी कोलकाता है। अंग्रेजों के शासनकाल में कोलकाता पूरे देश की राजधानी थी। इस प्रदेश से नेपाल, बांग्लादेश और भूटान देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं जुड़ती हैं। ओडिशा, सिक्किम, असम, झारखंड और बिहार इस प्रदेश के पड़ोसी राज्य हैं। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। डायमंड हार्बर, आसनसोल, कोलकता दक्षिण, मालदा दक्षिण, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, बोलपुर और दार्जिलिंग राज्य की हॉट सीटें हैं। चुनाव में मुकाबला बीजेपी बनाम टीएमसी का था। अभिषेक बनर्जी, दिलीप घोष, महुआ मोइत्रा, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पहली बार 18 सीट जीती थीं। टीएमसी को 22 और कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिली थीं। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के चुनाव परिणाम देखकर ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है। इस बार चुनाव जिस तरह ध्रुवीकरण की पिच पर लड़ा गया, उसमें दोनों दलों ने इंडिया गठबंधन के तहत लेफ्ट और कांग्रेस को मुकाबले से हटाकर दो तरफा कर दिया था। ऐसे में सभी एग्जिट पोल को गलत साबित करके ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की 42 सीटों में 29 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। बीजेपी सिर्फ 12 सीटें ही जीत पाई। वहीं कांग्रेस के हाथ एक सीट आई है, जबकि लेफ्ट को एक भी सीट हासिल नहीं हुई है। तृणमूल की जीत में महिला केंद्रित मुद्दों (महिला फैक्टर) ने चुनाव में बड़ा रोल निभाया। इस जीत के पीछे महिलाओं के वोट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से है, जहां पुरुष प्रवासी सबसे बड़ी संख्या हैं। राज्य में तीन साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने ये बात समझी थी और इसलिए उसने प्रचार के दौरान महिलाओं के मुद्दों के इर्द गिर्द ही रखा, नारे में खुद को बंगाल की बेटी कहा था। (हिफी)

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