इंडिया में ममता बनाम राहुल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
धीरज, धरम, मित्र अरु नारी, आपतकाल परखिए चारी। यह सीख गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में दी है। इसे विपक्षी दलों के गठबंधन इंंिडया के घटक दलों को समझना चाहिए। पिछले महीने अर्थात नवम्बर 24 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली तो इंडिया के घटक दल सांत्वना देेने की जगह कांग्रेस को नसीहत दे रहे थे। अब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमबीए) की पराजय में भी कांग्रेस को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है। मुसीबत के समय एकता की जगह दोषारोपण और कलह दिखाई पड़ रही है। लोकसभा में कांग्रेस के पास 90 सांसद हैं लेकिन अब कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी को विपक्षी दलों का नेता बनाना चाहिए। इसके समर्थक में सपा, राजद और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना खड़ी है जबकि कांग्रेस ममता बनर्जी की जगह राहुल गांधी को ही नेता बता रही है। इस प्रकार इंडिया में ममता बनाम राहुल का विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों की एकता दरक रही है। महाराष्ट्र में एमबीए से अखिलेश यादव ने किनारा कर लिया है। दरअसल उद्धव ठाकरे के दल शिवसेना (यूबीटी) ने एक अखबार में विज्ञापन छपवाकर बाबरी मस्जिद गिराने वालों को बधाई दी है। सपा के लिए यह विज्ञापन सियासी दृष्टि से घातक साबित हो रहा है। इसी तरह ममता को नेतृत्व की बात पर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी हमलावर हैं। हरियाणा चुनाव हारने के बाद विपक्ष में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (दीदी) ने दावा किया कि अगर उन्हें इंडिया अलायंस की कमान दी जाती है तो वो संभालने के लिए तैयार हैं। इसके बाद एक के बाद एक नेताओं के बयान आने लगे। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राहुल गांधी (भैया) के अलावा कोई और विपक्ष का नेता नहीं हो सकता, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राजद के नेता तेजस्वी यादव की बात सुनकर कांग्रेस को झटका जरूर लगेगा। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्त उदयवीर सिंह ने सुझाव दिया कि अगर ममता कमान संभालने के लिए तैयार हैं तो उनकी बातों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने टीएमसी को 100 फीसदी सपोर्ट देने की बात कही। उदयवीर सिंह ने कहा, अगर ममता बनर्जी ने इच्छा जताई है तो इस पर इंडिया अलायंस के दलों को विचार करना चाहिए और उन्हें समर्थन देना चाहिए। इससे अलायंस मजबूत होगा। ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा को रोकने में कामयाब रही हैं। हमें उनसे सहानुभूति है। उनसे हमारा भावनात्मक रिश्ता पहले से है। सपा नेता ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, चाहे हरियाणा हो या महाराष्ट्र, जहां भी सरकार नहीं बन पाई, वहां कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी थी। अगर कामयाबी नहीं मिली, तो यह विफलता उन्हीं की है। उधर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में बड़ा उलटफेर हुआ है। चुनाव में हार का जख्म अभी भरा भी नहीं था कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे को एक और बड़ा झटका मिला है। एमवीए यानी महाविकास अघाड़ी से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने अपना नाता तोड़ लिया है। उद्धव के करीबी के बयान के बाद सपा ने एमवीए से खुद को अलग कर लिया है। दरअसलशिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी नेता ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की सराहना की थी। राज्य में समाजवादी पार्टी के दो विधायक हैं।
महाराष्ट्र सपा प्रमुख अबू आजमी ने शिवसेना (यूबीटी) के एक अखबार में छपे विज्ञापन को इस बड़े फैसले के पीछे की वजह बताया। इस विज्ञापन में बाबरी मस्जिद को गिराने वालों को बधाई दी गई थी। आजमी ने कहा, ‘उनके (उद्धव ठाकरे) सहयोगी ने एक्स पर भी मस्जिद विध्वंस की सराहना करते हुए पोस्ट किया है।’ उन्होंने घोषणा की, ‘हम महाविकास अघाड़ी छोड़ रहे हैं। मैं (समाजवादी पार्टी अध्यक्ष) अखिलेश सिंह यादव से बात कर रहा हूं।’ यह घोषणा उद्धव सेना के एमएलसी मिलिंद नार्वेकर की ओर से बाबरी मस्जिद विध्वंस की एक तस्वीर पोस्ट करने और शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के हवाले से ‘मुझे ऐसा करने वालों पर गर्व है’ लिखने के बाद आई है। तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी ने अलग ही राग अलापा। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, लालू यादव की पहल पर विपक्षी गठबंधन की पहली बैठक हुई थी। बीजेपी के खिलाफ गठबंधन के असली सूत्रधार लालू यादव हैं। सभी अपने-अपने राज्यों में भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं। ममता बजर्नी पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ मजबूती से खड़ी हैं। अब 2025 में बिहार की बारी है। आरजेडी के नेता का साफ संकेत है कि कमान बिहार के नेता को मिलनी चाहिए।
सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा, कांग्रेस को आत्मचिंतन करने की जरूरत है। उसने हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों में इंडिया अलायंस के दलों को साथ नहीं लिया। कांग्रेस ने अगर गठबंधन सहयोगियों की बात सुनी होती तो महाराष्ट्र और हरियाणा में वो नतीजे नहीं होते, जो आज देखने को मिले हैं। बीजेपी ने ममता के बयान पर निशाना साधा। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, जब से कांग्रेस महाराष्ट्र और हरियाणा में हारी है तब से गठबंधन में किस प्रकार का विभाजन देखने को मिल रहा है वो ममता बनर्जी के बयान से पता चलता है। जो गठबंधन का नेतृत्व है यानी कांग्रेस है, उससे ‘हो नहीं पा रहा है’। ऐसा ही बयान विपक्षी पार्टियों का भी आया है। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस का समर्थन नहीं दिया जब वो संसद में प्रदर्शन कर रहे थे। हर जगह कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी के खिलाफ जनता नहीं बल्कि उनके खुद के साथी अविश्वास प्रस्ताव पारित कर रहे हैं।
ममता के इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने पर कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने विरोध जताया। उन्होंने कहा, किसी व्यक्ति विशेष का नेतृत्व का जहां तक सवाल है, वो गठबंधन तय करेगा। इंडिया अलायंस में कोई फैसला सर्वसम्मति से होगा, कोई एक पार्टी फैसला नहीं ले सकती। गठबंधन में 17 से 18 पार्टियां है, कोई फैसला सर्वसम्मति से ही होगा। इंडिया अलायंस मजबूत हो सब चाहते हैं। संसद के शीतकालीन सत्र में भी इंडिया अलायंस में दरार नजर आई। राहुल गांधी जिस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते थे, उसका तृणमूल कांग्रेस और सपा के नेताओं ने विरोध किया। वे साथ खड़े नजर नहीं आए। इसका फायदा बीजेपी ने उठाया और आखिरकार उस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई। अब नेताओं की बयानबाजी पर बीजेपी मजे ले रही है। (हिफी)