लेखक की कलम

मोदी की बिहार सियासत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
भारतीय जनता पार्टी भाजपा की चुनावी रणनीति अब कोई जोखिम नहीं लेती। दिल्ली में केजरीवाल का मजबूत किला ध्वस्त करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बिहार के भागलपुर में पीएम किसान सम्मान निधि का आबंटन सीधे-सीधे बिहार के विधानसभा चुनाव से जुड़ा है। इसी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर यह संदेश भी दे दिया कि वह लाडले हैं लेकिन अगले सीएम भी वही होंगे, इसकी गारंटी नहीं दी।
ध्यान रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय से मोदी की गारंटी का खूब प्रचार किया जा रहा है। भागलपुर में भी इसकी अपेक्षा जेडीयू के नेता कर रहे थे।
भागलपुर हवाई अड्डा मैदान में आयोजित पीएम किसान सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री मोदी अनोखे अंदाज में पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक सजे-धजे खुले वाहन पर खड़े होकर लोगों के बीच से गुजरते हुए मंच तक पहुंचे। पीएम मोदी ने भागलपुर की धरती से किसान निधि योजना की 19वीं किस्त किसानों के खाते में डाली। इस मौके पर उन्होंने बिहार में उद्योग-धंधे को बढ़ावा देने की बात भी कही। उन्होंने हिन्दुत्व की अलख भी जगाई। मोदी ने कहा बाबा अजगैबीनाथ की इस पावन धरा पर इस समय महाशिवरात्रि की भी तैयारियां चल रही हैं। ऐसे पवित्र समय में, मुझे पीएम किसान निधि की एक और किस्त देश के करोड़ों किसानों को भेजने का सौभाग्य मिला है। करीब 22 हजार करोड़ रुपये एक क्लिक पर देशभर के किसानों के खातों में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा एनडीए सरकार भारत की गौरवशाली विरासत के संरक्षण और वैभवशाली भविष्य के निर्माण के लिए एक साथ काम कर रही है लेकिन ये जो जंगलराज वाले हैं, इन्हें हमारी धरोहर से, हमारी आस्था से नफरत है। जाहिर है कि निशाने पर लालू ऐण्ड फेमिली थी। पीएम का बीजेपी के नेताओं ने मखाने की माला पहना कर स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस दौरान बिहार और बिहार के लोगों की जमकर तारीफ की। मखाना बिहार की निर्यात होने वाली प्रमुख उपज है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 24 फरवरी को बिहार के भागलपुर से किसान निधि योजना की 19वीं किस्त किसानों के खाते में डाली। इसके तहत 9.80 करोड़ से अधिक किसानों को 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक मदद दी गई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने वारिसलीगंज-नवादा-तिलैया रेल खंड के दोहरीकरण कार्य, इसमाइलपुर- रफीगंज रोड ओवर ब्रिज, मोतिहारी में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत स्वदेशी नस्लों के लिए उत्कृष्टता केंद्र और बरौनी में दुग्ध उत्पाद संयंत्र का उद्घाटन भी किया।वहीं कांग्रेस और आरजेडी पर भी जमकर हमला बोला। सीधे-सीधे बगैर नाम लिए लालू प्रसाद यादव पीएम मोदी के निशाने पर रहे। पीएम मोदी ने अपने भाषण में जहां भारत सरकार और बिहार सरकार की उपलब्धियां बताईं, वहीं उद्योग को लेकर कांग्रेस और आरजेडी पर हमला करते हुए कहा कि बिहार के औद्योगिक विकास पर भी भारत सरकार उतना ही बल दे रही है। मोदी ने कहा बीते वर्षों में सरकार के प्रयासों से भारत का कृषि निर्यात बहुत अधिक बढ़ा है। इससे किसानों को उनकी उपज की ज्यादा कीमत मिलने लगी है। कई कृषि उत्पाद ऐसे हैं, जिनका पहली बार निर्यात शुरू हुआ है। अब बारी बिहार के मखाने की है। ये सुपर फूड है, जिसे अब दुनिया के बाजारों तक पहुंचाना है। इसलिए इस वर्ष के बजट में मखाना किसानों के लिए मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया गया है।
पीएम ने कहा पहले जब बाढ़ आती थी, सूखा पड़ता था, ओले पड़ते थे… तब ये लोग (पहले की सरकारें) किसानों को उनके हाल पर छोड़ देते थे। जब 2014 में आपने एनडीए को आशीर्वाद दिया तो मैंने कहा, ऐसा नहीं चलेगा। एनडीए सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना बनाई। इस योजना के तहत पौने दो लाख करोड़ रुपये का क्लेम किसानों को आपदा के समय मिल चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा किसान को खेती के लिए अच्छे बीज चाहिए, पर्याप्त और सस्ती खाद चाहिए, सिंचाई की सुविधा चाहिए, पशुओं का बीमारी से बचाव चाहिए और आपदा के समय नुकसान से सुरक्षा चाहिए। इन सभी पहलुओं को लेकर किसान संकट से घिरा रहता था। मोदी ने कहा जो लोग पशुओं का चारा खा सकते हैं, वो इन स्थितियों को कभी नहीं बदल सकते हैं। एनडीए सरकार ने इन स्थितियों को बदला है।
मुख्यमंत्री नीतीश ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि आज बड़ी खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हम लोगों के बीच भागलपुर आए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने शुरू से ही कृषि पर जोर दिया है। इस दौरान उन्होंने आरजेडी के शासनकाल की भी याद दिलाई।
पीएम मोदी के बिहार दौरे पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा, बिहार का चुनाव है इसलिए अब सब बिहार आएंगे। बिहार ने डबल इंजन की सरकार को 20 साल तक मौका दिया। साक्षरता के मामले में बिहार सबसे पीछे है, प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति निवेश में बिहार सबसे पीछे है, किसानों की आय में सबसे पीछे है, बेरोजगारी, गरीबी में बिहार नंबर वन है। पीएम मोदी आते हैं तो अच्छी बात है लेकिन जब आते हैं तब वह जुमलेबाजी करते हैं।
बहरहाल 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव भी एनडीए की रणनीति के सापेक्ष लड़ा जाएगा। यह भी तय है कि एक बार फिर बिहार विधान सभा चुनाव मोदी और नीतीश के चेहरे पर लड़ा जाएगा। इसका संकेत पीएम नरेंद्र मोदी के भागलपुर कार्यक्रम से मिला। नीतीश कुमार की बात की जाए तो प्रगति यात्रा के दौरान नई योजनाओं के तोहफे से यह जाहिर होते रहा कि बिहार से एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार हैं लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश भाजपा नीतीश कुमार के पीछे नहीं दौड़ती बल्कि समाज के कई चेहरों को जिम्मेदारियां देकर एक सामाजिक चेहरा, भले वह जाति विशेष का चेहरा हो, सामने रखती है। आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के सापेक्ष भी देखें तो भूमिहार समाज उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा, कुशवाहा से सम्राट चौधरी, वैश्य चेहरे के रूप में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल को आगे कर एक जातीय समूह का चरित्र विकसित किया है। यादव के रूप में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय, ब्राह्मण के रूप में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय को परोसा है।
बिहार विधानसभा भारत के बिहार राज्य की द्विसदनीय विधायिका का निम्न सदन है। वर्तमान में बिहार में 17वीं विधानसभा चल रही है जिसके सदस्यों की संख्या 243 है। पहले विधानसभा में सदस्यता की कुल संख्या 331 थी, जिसमें एक मनोनीत सदस्य भी शामिल था। डॉ.श्री कृष्ण सिंह सदन के पहले नेता और पहले मुख्यमंत्री बने। डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह विधानसभा के पहले उपनेता चुने गए और राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री बने। दूसरे आम चुनाव के दौरान इसे घटाकर 318 कर दिया गया। बाद में 1977 में, बिहार विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या 318 से बढ़ाकर 325 कर दी गई। झारखंड के एक अलग राज्य के निर्माण के साथ, बिहार पुनर्गठन अधिनियम के नाम से संसद के एक अधिनियम द्वारा, बिहार विधानसभा की ताकत 325 से घटाकर 243 सदस्य कर दी गई। इन 243 सीटों में से 38 अनुसूचित जाति और 2 अनुसूचित जनजाति की आरक्षित सीटें हैं। (हिफी)

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