लेखक की कलम

सब पर भारी ओडिशा की सुभद्रा योजना

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
महिलाओं का अब बहुत बड़ा वोटबैंक भी है। इसलिए महिलाओं और बेटियों के लिए केंद्र और राज्यों में चुनाव के समय लोक लुभावन वादे किये जाते है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आज भी दोयम दर्जे का समझा जाता है। उनकी जगह रसोईघर में सीमित कर दी गयी। गांवों के हालात लगभग इसी तरह के हैं। हालांकि लड़कियों ने यह साबित कर दिया है कि वे किसी तरह भी लड़कों से कम नहीं हैं फिर भी उनको विशेष मदद की जरूरत है। इसे केंद्र और राज्य सरकारों ने महसूस किया है। इसी के तहत केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ और राज्य सरकारों की लाडली बहना (मध्य प्रदेश) लाडकी बहिन (महाराष्ट्र) झारखंड की मइया सम्मान और ओडिशा की सुभद्रा योजना लागू की गयी हैं। इस बार महाराष्ट्र और झारखंड में महिलाओं के लिए चलाई जा रही आर्थिक मदद वाली योजनाओं ने ही विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ओडिशा सरकार की सुभद्रा योजना का तीसरा चरण शुरू होने वाला है। यह योजना मोहन चरण मांझी सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए शुरू की है। इसके तहत ओडिशा सरकार महिलाओं को 50 हजार रुपये दे रही है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार लोगों की भलाई के लिए विभिन्न योजनाएं चलाती हैं। विभिन्न योजनाओं का मकसद लोगों और समाज की बढ़ोत्तरी है। इन सबके बीच, ओडिशा की उप मुख्यमंत्री प्रवती परिदा ने बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा था कि राज्य सरकार 24 नवंबर को सुभद्रा योजना के तीसरे चरण का शुभारंभ करेगी। प्रबती ने एक इंटरव्यू में बताया कि योजना सुंदरगढ़ जिले में शुरू की जाएगी। इससे 20 लाख से अधिक महिलाओं को फायदा होगा। ओडिशा सरकार ने 24 नवंबर को सुंदरगढ़ में सुभद्रा योजना के तीसरे चरण का शुभारंभ किया है। प्रवती परिदा ने बताया कि हमारा लक्ष्य है कि हम इस योजना में एक करोड़ से अधिक महिलाओं को शामिल करें। योजना में एक करोड़ से अधिक महिलाओं को शामिल करने का लक्ष्य है। मुझे विश्वास है कि इसी साल दिसंबर तक इस लक्ष्य को हासिल भी कर लेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल राजधानी भुवनेश्वर में ओडिशा सरकार की प्रमुख सुभद्रा योजना का उद्घाटन किया था। यह राज्य की सबसे बड़ी महिला-केंद्रित योजना है। योजना का लक्ष्य है कि एक करोड़ से अधिक महिलाओं को इसका लाभ पहुंचाया जाए। योजना के तहत 21 से 60 वर्ष की आयु वाली सभी पात्र अभ्यर्थियों को पांच वर्षों में पचास हजार रुपये मिलेंगे। लाभार्थियों को साल भर में दो किस्तों में 10 हजार मिलेंगे। पैसे सीधे उनके बैंक खातों में जाएंगे। ओडिशा सरकार की यह एक महिला कल्याणकारी योजना है। महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए दो किस्तों में 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। आपको अगर योजना में आवेदन करना है तो आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक अकाउंट डिटेल्स, जाति प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर और एड्रेस प्रूफ और मोबाइल नंबर की जरूरत होती है। आवेदकों के पास ई-मेल आईडी भी जरूरी है। योजना के लिए आवेदन करने के लिए सुभद्रा योजना पोर्टल का इस्तेमाल करना होगा। योजना का लाभ ओडिशा की कोई भी महिला ले सकती है।
महिलाओं और बेटियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं। इनमें एक है मुद्रा योजना। यह योजना महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए है । इसके तहत, महिलाओं को सरलीकृत मानदंडों पर ऋण मिलता है और 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए जमानत की जरूरत नहीं होती। इसी प्रकार की महिला अधिकारिता योजना भी है। इस योजना के तहत, सफाई कर्मचारियों और स्वच्छ्कार महिलाओं को लघु और फुटकर कारोबार के लिए 2 लाख रुपये तक का ऋण मिलता है। महिलाओं के लिए महिला समृद्धि योजना (एमएसवाई) भी है
इस योजना के तहत, सफाई कर्मचारियों और स्वच्छ्कार महिलाओं को 1 लाख रुपये तक का ऋण मिलता है। कामकाजी महिला छात्रावास योजना के तहत, कामकाजी महिलाओं को आवास उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही, उनके बच्चों के लिए डे केयर की सुविधा भी मिलती है।
उज्ज्वला योजना के बारे में तो सभी जानते हैं। यह योजना महिलाओं को कोयला और लकड़ियों के धुएं से बचाव के लिए है। महिलाओं को मुफ्त में गैस सिलेंडर दिया गया है। मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना भी चलायी जा रही है। इस योजना का मकसद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनका सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षिक स्तर बढ़ाना है।
भारत में महिलाओं के लिए सरकारी योजनाएं सफलता की उच्च संभावना के साथ अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हैं। महिलाएं इन योजनाओं का लाभ उठा कर जीवन में आगे बढ़ सकती हैं। भारतीय महिलाएं उस समय से अब काफी आगे निकल चुकी हैं जब वे आर्थिक रूप से पुरुषों पर निर्भर थीं। आज वे स्वयं कमाती हैं और अपने निर्णय स्वयं लेती हैं। उन्हें प्रोत्साहित करने और प्रेरित करने के लिए, कई सरकारी पहल विशेष रूप से महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता में सुधार लाने पर केंद्रित हैं। भले ही कई कामकाजी और स्व-रोजगार वाली महिलाएं ऐसे लाभों और वित्तीय अवसरों के बारे में जानती हैं, लेकिन कई अन्य महिलाएं भी हैं जो इस लाभ से पूरी तरह से अनजान हैं। भारत सरकार ने समय-समय पर महिलाओं के लिए लाभकारी सरकारी योजनाओं के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
सरकार ने महिला उद्यमियों के लिए कई सरकारी योजनाएं शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) व्यवसाय ऋण योजना उन महिलाओं के लिए है जो अपना व्यवसाय शुरू करना चाहती हैं। यह योजना महिलाओं के स्वामित्व वाली विनिर्माण कंपनियों के लिए 10.15 फीसद की ब्याज दर पर 20 करोड़ रुपए तक का ऋण प्रदान करती है। यह योजना सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए 1 करोड़ रुपये तक का जमानत -मुक्त ऋण भी प्रदान करती है। महिलाओं के लिए एक और सरकार समर्थित मौद्रिक पहल अन्नपूर्णा योजना है। कार्यक्रम का उद्देश्य खाद्य खानपान व्यवसाय स्थापित करने में महिलाओं को आर्थिक रूप से सहायता करना है। यह कार्यक्रम महिलाओं को व्यवसाय के लिए बर्तन, रसोई उपकरण और अन्य उपकरण खरीदने की अनुमति देने के लिए 50,000 रुपये तक का ऋण देता है। ब्याज दर बाजार मानक और संबंधित बैंक के अनुसार भिन्न होती है। ऋण राशि का भुगतान तीन वर्ष में करना होगा। इसी क्रम में अब ओडिशा की सुभद्रा योजना का तीसरा चरण शुरू हुआ है। (हिफी)

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