मराठी भाषा व मराठा आरक्षण की सियासत

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले को मराठी वोट बैंक को एकजुट करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। मराठी के साथ-साथ बंगाली, असमिया समेत कुल पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। इसी के साथ देश में शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या 11 हो गई है। मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद नेताओं ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन इसके साथ ही पक्ष और विपक्ष की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलवाने की पहल सबसे पहले उनकी ओर से की गई थी। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, करीब एक दशक से यह मांग की जा रही थी कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए। वहीं मराठा आरक्षण पर भी सियासत चल रही है। मीडिया से बात करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, सभी की यही भावना है कि मराठा लोगों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है लेकिन ऐसा करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अन्य लोगों को जो आरक्षण मिल रहा है, उसकी भी रक्षा होनी चाहिए। उसे किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
महाराष्ट्र में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव की तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है। चुनाव की पृस्ठभूमि में ये दोनों मुद्दे महत्वपूर्ण हो सकते हैं लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा सीटों का बंटवारा होगा। सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महाविकास अघाड़ी के घटक शतरंज की बिसात बिछा रहे हैं । इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवल ने 4 अक्टूबर को चौंकाने वाला कदम उठाया। वह मंत्रालय की तीसरी मंजिल से कूद गए। हालांकि सुरक्षा जाली होने की वजह से वो अटक गए और उन्हें नुकसान नहीं हुआ। इसे सत्तारूढ़ दल में अनबन के रूप में देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में पिछले चार दिन से आदिवासी विधायक गुस्से में दिख रहे हैं। शुक्रवार, 4 अक्टूबर को कैबिनेट के दिन सभी विधायक सीएम एकनाथ शिंदे से मिलने वाले थे, लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई। ऐसे में नाराज विधायक ने अपनी ही सरकार के खिलाफ विरोध करते हुए छलांग लगा दी।
पहले मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने की बात करते हैं। दक्षिण भारत में भाषा की राजनीति बहुत पहले से होती रही है । अब देवेन्द्र फडणवीस कहते हैं, जब वो राज्य के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इस बात की पहल की थी कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले। साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी इसके लिए प्रयासरत थे, इसलिए वो केंद्र सरकार के इस फैसले के लिए महाराष्ट्र की 12 करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हैं। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने केंद्र सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय विलासराव देशमुख ने सबसे पहले केंद्र के सामने यह बात रखी थी कि मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले। उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रंगनाथ पठारे की अध्यक्षता में समिति गठित कर इस काम को आगे बढ़ाया। आज कई सालों के बाद हमारा प्रयास सफल हुआ है।
केंद्र सरकार के फैसले के बाद पक्ष और विपक्ष के नेताओं की ओर से इस प्रकार के ट्वीट से यह साफ जाहिर होता है कि मराठी भाषा के नाम पर नेता क्रेडिट लेने की होड़ में हैं। बता दें राज्य में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इससे पहले राज्य सरकार और केंद्र सरकार जनता को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। महाराष्ट्र में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव की तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है। ऐसे में महाविकास अघाड़ी और महायुति में सीट बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है। इस बीच एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर दावा किया कि लोग प्रदेश में बदलाव चाहते हैं और यह स्थिति हमारे लिए अनुकूल है। शरद पवार ने कहा, मैं सीट बंटवारे की चर्चा में भाग नहीं ले रहा हूं, इसलिए मेरे लिए उस विषय पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। हमारी ओर से जयंत पाटील उन बैठकों में मौजूद हैं, वे इस विषय पर बोलेंगे। कांग्रेस की ओर से नाना पटोले और उनके कुछ साथी और शिवसेना यूबीटी से संजय राउत और उनके कुछ अन्य साथी चर्चा में शामिल हैं। उन्होंने गठबंधन में मतभेद को लेकर कहा, लोकसभा चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी के भीतर कोई मतभेद या संघर्ष नहीं हुआ था, यह केवल एक जगह सांगली में हुआ था। इसके अलावा किसी भी जिले या तालुका में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। वहीं अब भी एमवीए में कोई मतभेद नहीं है, लोग महाराष्ट्र में बदलाव चाहते हैं और यह स्थिति हमारे लिए अनुकूल है।वहीं मराठा आरक्षण पर शरद पवार कहते हैं, सभी की यह इच्छा है कि मराठा लोगों को आरक्षण दिया जाना चाहिए लेकिन ऐसा करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अन्य लोगों को जो आरक्षण मिल रहा है, उसमें कोई कटौती नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, आरक्षण के मौजूदा स्वरूप के अनुसार 50 फीसद से ऊपर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है और अगर आरक्षण को 50 फीसद से ऊपर ले जाना है, तो मेरे हिसाब से कानून में बदलाव करना होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मराठी को श्शास्त्रीय भाषाश् के रूप में मंजूरी दिए जाने पर एनसीपी-एससीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है और मराठी उनमें से एक है। यह मराठी भाषा और अन्य भाषाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्हें शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है।उन्होंने कहा, यह फैसला थोडी देर से लिया गया है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि यह फैसला लिया गया। इससे मराठी भाषा का विकास होगा। इसप्रकार मराठी भाषा मराठा लोगों को आरक्षण और सीटों के बंटवारे को लेकर चुनावी दांव चले जा रहे हैं ।
पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी का अहम चेहरा रहे हर्षवर्धन पाटिल ने बीजेपी का दामन छोड़ शरद पवार का हाथ थाम लिया है। ध्यान रहे 2019 में महाराष्ट्र के बड़े नेताओं ने बीजेपी के श्कमलश् को स्वीकार किया था, अब 2024 में यही नेता बीजेपी को अलविदा कह रहे हैं। आने वाले समय में कई बड़े नेता महायुती को छोड़ महाविकास अघाड़ी के साथ जुड़ सकते हैं। इसकी शुरुआत पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल से हुई है। महाराष्ट्र के 20-25 बड़े नेता महाविकास अघाड़ी में शामिल हो सकते हैं, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं। लोकसभा चुनाव के बाद राज्य में इस समय महाविकास अघाड़ी के लिए अच्छा माहौल होने की बात कही जा रही है. कई सर्वेक्षणों के बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा है कि कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे को अच्छी सीटें मिल सकती हैं। अगर एनडीए खेमे की बात करें तो वहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं के बीच अजित पवार से नाराजगी की बातें सामने आई हैं। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि जिनके खिलाफ उन्होंने 2019 में चुनाव लड़ा, उनके साथ रहना आधार को तोड़ने जैसा है। हालांकि, महायुति के नेता इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। (हिफी)