राहुल का ह्वाइट टी-शर्ट मूवमेंट

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। सीधे तौर पर एनडीए और महागठबंधन के बीच ही चुनावी मुकाबला माना जा रहा है लेकिन प्रशांत किशोर (पीके) इस चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव में एकल शक्ति प्रदर्शन के भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रयास हो रहे हैं। सत्तारूढ़ एनडीए में भाजपा ने बिहार से बाहर रहने वाले लगभग 3 करोड़ बिहारियोें से गेट-टू-गेदर संवाद कायम करने का अभियान चल रखा है तो नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी अपना संख्या बल बढ़ाने के लिए जातीय समीकरण मजबूत कर रही हैं। जीतन कुमार मांझी की हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा (हम) का भी इरादा ज्यादा से ज्यादा विधायक जुटाने का है। उधर, मुख्य विपक्षी दल राजद को सत्ता दिलाने के लिए तेजस्वी यादव शराब बंदी खत्म करके ताड़ी बनाने की छूट देने तक का वादा कर रहे हैं। इससे पासी समुदाय का वोट उन्हें मिल सकता है। उधर, कांग्रेस भी अपना आधार बढ़ाने का प्रयास कर रही है। राहुल गांधी इसी संदर्भ में गत 7 अप्रैल को बेगूसराय पहुंचे। राज्य में कांग्रेस पलायन रोको-नौकरी दो यात्रा कर रही है। राहुल गांधी इस यात्रा में शामिल हुए लेकिन सबसे खास बात यह कि राहुल गांधी ने सफेद शर्ट पहन रखी थी। इस सफेद टी शर्ट के माध्यम से ह्वाइट टी शर्ट मूवमेंट चलाया जा रहा है। ह्वाइट टी शर्ट मूवमेंट का मतलब है गरीबों को और मेहनत कश वर्ग तक कांग्रेस का पहुंचना। महात्मा गांधी की खादी की सफेद धोती सिर्फ सादगी का प्रतीक नहीं थी बल्कि स्वदेशी आंदोलन की पहचान भी थी। ध्यान रहे कि 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी सफेद कपड़ों में ही लोग सड़क पर उतरे थे। बहरहाल राहुल गांधी का ह्वाइट टी शर्ट मूवमेंट कितना कामयाब रहता है, यह बिहार विधानसभा के नतीजे ही बताएंगे।
बिहार का चुनावी संग्राम शुरू करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी 7 अप्रैल को बेगुसराय पहुंचे। वह कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में शामिल हुए। इस यात्रा का मकसद युवाओं के बीच कांग्रेस की पैठ बनाना है लेकिन अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा, आप भी आवाज उठाइए- सरकार पर आपके अधिकारों के लिए दबाव बनाने के लिए, उसे हटाने के लिए। आखिर राहुल गांधी सिर्फ सफेद टीशर्ट पहनकर क्यों पहुंचे?
सफेद टीशर्ट आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक आंदोलनों का अहम हिस्सा रहा है। महात्मा गांधी की सफेद खादी की धोती न सिर्फ सादगी का प्रतीक थी, बल्कि स्वदेशी आंदोलन की पहचान भी थी। गांधीजी कहते थे कि सफेद रंग शुद्धता और अहिंसा का संदेश देता है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी सफेद कपड़ों में कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे थे, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन गया। तब यह सस्ता और आसानी से मिल जाता था। हाल के वर्षों में, नेताओं ने इसे अपना लिया। वे हर आंदोलन में ऐसे ही कपड़े पहनकर आते हैं। मगर इसी साल जनवरी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर एक बड़ी मुहिम शुरू कर दी है-’व्हाइट टीशर्ट मूवमेंट’। इसका मकसद देश के गरीबों और मेहनतकश वर्ग तक पहुंचना। उनके अधिकारों के लिए लड़ना है। राहुल गांधी ने खुद सफेद टीशर्ट को अपनी पहचान बनाया। वे हमेशा इसी कपड़े में नजर आने लगे हैं। एक इंटरव्यू में राहुल गांधी ने कहा था, सफेद टीशर्ट हमें दृढ़ता और सेवा के लिए प्रेरित करती है। यह आजादी के आंदोलन की याद दिलाती है और अन्याय के खिलाफ लड़ने की ऊर्जा देती है। सफेद टीशर्ट का चुनाव महज संयोग नहीं है। टीशर्ट सस्ती होती है, आसानी से कहीं भी मिल जाती है और किसी के लिए भी इसे खरीदना बड़ा टास्क नहीं है। सबसे खास बात, इसे मजदूर से लेकर छात्र तक हर कोई पहन सकता है। साइंटिफिक तौर पर देखें तो इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी है। यह एकता और शांति का संदेश देता है, जो किसी भी आंदोलन के लिए जरूरी है। आपको अन्ना हजारे का ‘करप्शन फ्री मूवमेंट (2011) याद होगा, जिसमें सफेद टोपी और सफेद कुर्ता पहचान बन गया था। कांग्रेस का दावा है कि मोदी सरकार ने चंद पूंजीपतियों के लिए काम किया है, मजदूरों और गरीबों की हालत बदतर हुई है। इस मूवमेंट के तहत रैलियां निकाली जा रही हैं। सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है। कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग सफेद टीशर्ट पहनकर सड़कों पर उतर रहे हैं, जिसे ‘व्हाइट टीशर्ट आर्मी’ का नाम दिया गया है। सोशल मीडिया पर भी यह अभियान जोर पकड़ रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी बेगूसराय पहुंच गए हैं, जहां उन्होंने अपनी ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा की शुरुआत की। बिहार में पलायन बहुत बड़ी समस्या है। मुंबई, कोलकाता से लेकर दिल्ली और पंजाब तक बिहारी मजदूरी कर रहे हैं। इस दौरान राहुल गांधी ने 2019-21 के बीच पेंडिंग सेना भर्ती के कई अभ्यर्थियों से मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने कई महिलाओं से भी बातचीत की। ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा में राहुल गांधी के साथ बड़ी संख्या में युवा पैदल मार्च करते नजर आए। राहुल गांधी ने बेगूसराय पहुंचकर सुभाष चौक से पदयात्रा की शुरुआत की। राहुल गांधी कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ लगभग 3 किलोमीटर पैदल चले।
इस दौरान राहुल गांधी कई वैसे अभ्यर्थियों से भी मिले जिन्होंने कई साल पहले नौकरी के लिए आवेदन दिया था लेकिन, अब तक परीक्षा नहीं हुई। राहुल गांधी ने कई महिलाओं से भी मुलाकात की। इस यात्रा में एनएसयूआई के बड़ी संख्या में युवा हाथों में कांग्रेस का झंडा लेकर पैदल चलते रहे। राहुल गांधी की पदयात्रा के दौरान सबसे खास बात यह रही कि इस पदयात्रा के जरिए बिहार विधानसभा चुनाव का आगाज कर दिया गया। राहुल गांधी की इस पदयात्रा में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के साथ कन्हैया कुमार और युवा कदम से कदम मिलाकर चलते रहे। इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी ने चुनावी संदेश देने की कोशिश की कि बिहार में पलायन रोकने और नौकरी के लिए राहुल गांधी सक्रिय हैं। विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर पूरे बिहार भर में लगातार आंदोलन चलाया जाएगा। राहुल गांधी के बेगूसराय पहुंचते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश देखते ही बन रहा था। राहुल गांधी ने यात्रा से पहले युवाओं से अपील करते हुए कहा था कि सभी युवा सफेद टी-शर्ट में पदयात्रा में पहुंचे ताकि बिहार की आवाज मजबूती से बुलंद हो सके। राहुल गांधी के इस अपील का असर पदयात्रा में देखने को मिला जहां तमाम युवा राहुल गांधी की ही तरह वाइट टी-शर्ट और पैंट पहनकर साथ पैदल यात्रा में शामिल हुए।
राहुल गांधी की यात्रा को कन्हैया कुमार को बड़े चेहरे के रूप में पेश करने के नजरिए से भी देखा जा रहा है। कन्हैया कुमार को आगे करना और राहुल गांधी का बार-बार बिहार आना, संदेश साफ है कि बिहार में कांग्रेस युवाओं को अब प्राथमिकता देगी और दूसरी तरफ कांग्रेस अपने संगठन को भी मजबूत करेगी। बेगूसराय के बाद राहुल पटना में एसकेएम में आयोजित सामाजिक न्याय सम्मेलन में हिस्सा लिया। इसके बाद सदाकत आश्रम में पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। दरअसल बिहार चुनाव को देखते हुए राहुल गांधी युवाओं को टारगेट करने की कोशिश करेंगे और बताएंगे कि किस तरह बिहार सरकार युवाओं को ठगने का काम कर रही है। बता दें, बिहार चुनाव को देखते ही राहुल गांधी लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं। बीते 3 महीने में राहुल गांधी तीसरी बार बिहार पहुंचे। (हिफी)