सैनी सरकार का साहसी फैसला

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति अब समझौतावादी हो गयी है। केंद्र से लेकर राज्यों तक ऐसे ही फैसले लिये जाते हैं जिससे सत्ता सही सलामत रहे। इसलिए जब कोई सरकार राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि मानकर फैसला करती है तब उसकी तारीफ करना राष्ट्रीय कर्तव्य बन जाता है। हरियाणा में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले नायब सिंह सैनी ने पहली कैबिनेट बैठक में आरक्षण को लेकर ऐसा फैसला लिया जो अनुकरणीय और देश के हित में है। इसी फैसले को लागू करने में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पीछे हट गयी थी क्योंकि एनडीए के सांसदों ने पीएम मोदी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपकर ये मांग की कि हमारे समाज में कोटे के अंदर कोटे से जुड़ा फैसला लागू नहीं हो। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की अध्यक्षता वाली पूर्णपीठ ने बहुमत से कोटा के अंदर कोटा तय करने का सुझाव दिया था। एनडीए में ही जीतनराम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था। बसपा प्रमुख मायावती ने उस समय भी इसका विरोध किया था और अब सैनी सरकार के फैसले का भी विरोध कर रही हैं।
हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा है कि अब अनुसूचित जातियों की जो जातियां विकास से वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। हरियाणा सरकार अब राज्य में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेगी। देश में अभी अनुसूचित जाति (एससी) को 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 7.5 फीसदी आरक्षण मिलता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर जब एक अहम सुझाव दिया जो केंद्र और राज्यों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र में था, तब भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी और एसटी) के सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। इन सांसदों ने पीएम मोदी को ज्ञापन सौंपकर ये मांग की कि हमारे समाज में कोटे के अंदर कोटे से जुड़ा फैसला लागू नहीं हो। हालांकि एससी/एसटी उप-वर्गीकरण के मुद्दे पर बिहार के सहयोगी दलित नेता आमने सामने आ गये थे । सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के विपरीत रुख अपनाते हुए हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि अभी भी कोटा का बड़ा हिस्सा मजबूत ताकतों के समृद्ध कलाकारों से आता है।आरक्षण के मुद्दे पर जीतन राम मांझी ने नीतीश सरकार के सामने नई डिमांड भी रख दी। मांझी ने कहा कि राज्य सरकार अत्यंत पिछड़ी 18 दलित जातियों का उपवर्गीकरण कर 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराए। अगर राज्य सरकार इसे लागू नहीं करती है तो इस मुद्दे पर पटना के गांधी मैदान में 18 दलित जातियों की रैली आयोजित की जाएगी। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर के आधार पर उपवर्गीकरण (कोटा में कोटा) लागू करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का समर्थन करते हुए बिहार सरकार से इसे लागू करने की मांग की है। मांझी ने कहा कि राज्य सरकार अत्यंत पिछड़ी 18 दलित जातियों का उपवर्गीकरण कर 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराए।
इस प्रकार केंद्र और राज्य सरकारें जब इस मामले में कदम उठाने का साहस नहीं जुटा पा रही थीं तब हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया है। चरखी दादरी में एससी समाज के लोगों ने वर्गीकरण करके आरक्षण लागू करने पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार व्यक्त किया है। अनुसूचित जाति जनकल्याण मंच के प्रदेश अध्यक्ष संदीप खरकिया ने कहा कि 18 साल की लंबी लड़ाई के बाद सबसे पहले नायब सिंह सैनी की सरकार ने वंचित समाज के लोगों का वर्गीकरण करके आरक्षण दिया है। इससे आने वाले समय में प्रदेश के गरीबों को फायदा होगा क्योंकि वंचित समाज के विकास तक देश की प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक में पहली कलम से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने वर्गीकरण करके अनुसूचित जाति के आरक्षण को दो भागों में बांटकर 10 प्रतिशत अनुसूचित वंचित वर्ग को देने का काम किया है। आज वंचित समाज का वह सपना पूरा हुआ है।
बहरहाल, हरियाणा की सैनी सरकार ने शपथ लेने के अगले ही दिन आरक्षण पर बड़ा फैसला लिया है। सीएम नायब सिंह सैनी की
अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में तय किया गया कि अनुसूचित जाति के आरक्षण में उप-वर्गीकरण किया जाएगा। पहली कैबिनेट मीटिंग में ही यह फैसला लिया गया है और हम इसे आज से ही लागू करते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में राज्यों को अधिकार दिया था। उन्होंने कहा कि अब अनुसूचित जातियों की जो जातियां विकास से वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। हरियाणा सरकार अब राज्य में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हमारी कैबिनेट ने सम्मान किया है, जो एससी में वर्गीकरण का मामला था। हमारी कैबिनेट ने उसे आज से ही लागू करने का फैसला लिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों फैसला दिया था कि राज्य सरकारों को अधिकार है कि वे एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण कर सकें। ऐसा उन जातियों के लिए किया जा सकता है, जो ज्यादा पिछड़ी रह गई हैं। उनके लिए कोटे के अंदर ही अलग से कोटा तय करने से उनका विकास हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दलितों के एक वर्ग ने भी विरोध किया था और अगस्त महीने में एक दिन का बंद भी रखा गया था।
आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान बेंच ने बहुमत से फैसला दिया कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों में वो सब कैटेगरी बना सकती हैं जिन कैटेगिरी को ज्यादा आरक्षण का फायदा मिलेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया था। दरअसल, सात जजों की बेंच ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए 5 जजों के फैसले को पलट दिया। वर्ष 2004 में दिये उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी में सब कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती। वहीं इस बार चीफ जस्टिस समेत छह जजों के बहुमत के फैसले में कहा गया है कि राज्य सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में वो सब कैटेगरी बना सकती है जिन कैटेगरी को ज्यादा आरक्षण का फायदा मिलेगा। जबकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने इस फैसले के उलट फैसला दिया। इस संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा हैं। कोर्ट ने 8 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तीन दिन सुनवाई की थी। (हिफी)