सोनिया की डिनर पाॅलिटिक्स

(अशेाक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
विपक्षी दलों की एकता के लिए अब कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी सक्रिय हो गयी हैं। इसीलिए कर्नाटक के बेंगलुरू मंे कांग्रेस की मेजबानी में 17 व 18 जुलाई को होने वाली बैठक से पहले श्रीमती सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया है। डिनर का निमंत्रण आम आदमी पार्टी के संरक्षक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी भेजा गया है। केजरीवाल, इससे पहले पटना में 23 जून को हुई विपक्षी दलों की बैठक मंे शामिल हुए थे लेकिन उन्होंने दिल्ली सरकार के खिलाफ केन्द्र के अध्यादेश का विरोध करने की शर्त रखी थी। कांग्रेस का रुख अब तक साफ नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि सोनिया गांधी की डिनर पाॅलिटिक्स से कोई समझौता परक नतीजा निकल आए। केजरीवाल का पक्ष इसलिए भी मजबूत है क्योंकि ममता बनर्जी, एमके स्टालिन नीतीश कुमार और शरद पवार, उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव समेत कई नेता अध्यादेश का विरोध कर चुके हैं। कांग्रेस दिल्ली मंे अपना अलग अस्तित्व रखना चाहती है। हालांकि इस बार अध्यादेश का समर्थन करने से वह भाजपा के पक्ष मंे खड़ी मानी जाएगी। उधर, कांग्रेस के लिए दिल्ली की लड़ाई तेलंगाना जैसी ही है जहां राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस विपक्ष का हिस्सा नहीं होगी। चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की भी विपक्षी दलों की एकता पर ऐसी ही राय है।
लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने में लगे विपक्षी दलों की अगली बैठक कर्नाटक के बेंगलुरु में कांग्रेस की मेजबानी में 17 और 18 जुलाई को होगी। इसी बीच मीटिंग को लेकर कांग्रेस ने सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को आमंत्रण भेजा है। अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को इकट्ठा करने के मकसद से यह बैठक की जा रही है। इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, जिसमें 15 पार्टियों ने हिस्सा लिया था।
दावा किया जा रहा है कि इस बार की मीटिंग में 8 और पार्टियां भी शामिल होने वाली हैं। मीटिंग के लिए मरुमालारची द्रविड़ मुनेत्र काजगम, कोंगू देसा मक्कल काटची, विदुथलाई चिरुथैगल काटची, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया फॉर्वर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मनी) को भी आमंत्रित किया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी दलों को मीटिंग के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि पिछली बैठक सफल रही थी और कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। जरूरी है कि इस तरह की चर्चाएं आगे भी होती रहनी चाहिए। पटना में हुई मीटिंग में आप की तरफ से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा शामिल हुए थे। इस दौरान, केजरीवाल ने दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े मामले में केंद्र के अध्यादेश का मुद्दा उठाया था। निमंत्रण पर आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस ने कहा था कि मानसून सत्र शुरू होने से 15 दिन पहले हम सार्वजनिक तौर पर दिल्ली के असंवैधानिक अध्यादेश पर अपना रुख साफ कर देंगे, लेकिन अभी तक कांग्रेस ने रुख साफ नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश पर कांग्रेस अपना स्टैंड साफ नहीं करती है तो हमारी पार्टी विपक्ष की बैठक में शामिल होने पर विचार करेगी।
बिहार के पटना में 23 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में हुई विपक्षी दलों की मीटिंग में आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने दिल्ली के अध्यादेश का मामला उठाया था। उन्होंने इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मौजदूगी में कहा था कि अध्यादेश पर कांग्रेस रुख साफ करें। मीटिंग के बाद आप ने बयान जारी कर कहा कि पार्टी कांग्रेस के शामिल होने पर किसी भी बैठक का हिस्सा नहीं होगी। वहीं, कांग्रेस का कहना था कि ये मीटिंग का विषय नहीं है। ये संसद का मामला है। संसद सत्र शुरू होने से पहले बैठक करके हम रुख साफ करेंगे। अध्यादेश के खिलाफ समर्थन करने को लेकर केजरीवाल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नीतीश कुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार, पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कई नेताओं से मिल चुके हैं। इस दौरान इन सभी नेताओं ने केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा कि ये अध्यादेश संविधान के खिलाफ है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार केजरीवाल सरकार के पास है, लेकिन इसको देखते हुए केंद्र सरकार अध्यादेश ले आई। इसके पीछे बीजेपी ने तर्क दिया कि दिल्ली देश की राजधानी तो ऐसे में ये अध्यादेश जरूरी है।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के समस्तीपुर में कहा था कि विपक्षी एकता की हो रही कोशिशों को चुनावी लाभ तभी मिलेगा जब वह एक नैरेटिव के साथ आएंगे ना कि केवल अंकगणित पर निर्भर रहेंगे। उन्होंने कहा, विपक्षी एकजुट होकर काम तभी कर सकता है जब वो सत्ताधारी दल के खिलाफ नैरेटिव बनाने में सफल हांे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी एक आंदोलन किया और फिर आपातकाल लगाया गया। ऐसे ही बोफोर्स मामले ने लोगों का ध्यान खींचा था। फिलहाल कांगे्रस की भी कुछ मजबूरियां हैं। उसके वोट बैंक को जिन लोगों ने छीन लिया, उसे पाने का वह प्रयास कर रही है। यही कारण है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2 जुलाई को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनका रिमोट कंट्रोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है। कांग्रेस नेता ने तेलंगाना के सत्तारूढ़ दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को बीजेपी की बी-टीम बताते हुए इसका नया नामकरण बीजेपी रिश्तेदार पार्टी किया। राहुल गांधी ने सीएम केसीआर के खिलाफ आक्रामक होते हुए कहा कि कांग्रेस विपक्ष की ऐसी किसी भी बैठक का हिस्सा नहीं बनेगी, जिसमें बीआरएस को शामिल किया जाएगा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि तेलंगाना में मुकाबला सीधे कांग्रेस और बीजेपी की बी टीम बीआरएस के बीच है। उन्होंने कहा कि जैसे कांग्रेस ने कर्नाटक में बीजेपी को हराया, वैसे ही तेलंगाना में उनकी बी टीम को हराएंगे। गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि केसीआर और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों ने उन्हें (बीआरएस) बीजेपी के सामने झुकने को मजबूर कर दिया है। इसी तरह से केजरीवाल का मामला भी कांग्रेस के साथ उलझा है। (हिफी)