लेखक की कलम

बिहार में ‘आसन’ और ‘सुशासन’ में ठनी

‘आसन’ और ‘सुशासन’

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार है। मुख्यमंत्री जद(यू) के नीतीश कुमार हैं लेकिन विधायक भाजपा के ज्यादा हैं। ऐसे हालात मंे तनातनी होना स्वाभाविक है। बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग नीतीश कुमार कर रहे हैं लेकिन पिछले साल अर्थात् दिसम्बर 2021 में डिप्टी सीएम और भाजपा की नेता रेणु देवी ने यह कहकर जद(यू) को चिढ़ाया था कि बिहार के लिए विशेष दर्जे की जरूरत ही नहीं। बहरहाल, यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने स्वयं यह बयान देकर मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया था कि एनडीए में कोई विवद नहीं है। यूपी में भाजपा को अकेले दम पर 255 विधायक भी मिल गये। इसका असर बिहार के भाजपा विधायकों पर पड़ा है। वे खुलकर नीतीश का विरोध करने लगे। विरोध का वाजिब कारण भी है। वहां विधानसभाध्यक्ष भाजपा का है और नीतीश कुमार उन्हें उंगली पर नचाना चाहते थे। विधानसभाध्यक्ष बिजय सिन्हा के क्षेत्र का मामला था लेकिन मंत्री वहां कुर्की जब्ती का ठीक से जवाब नहीं दे पाये। स्पीकर ने सवाल जवाब किया तो नीतीश कुमार आपा खो बैठे। इस प्रकार सुशासन कुमार और विधानसभा के आसन के बीच तनातनी ने विधानसभा मंे तमाशा खड़ा कर दिया। नीतीश की उठी उंगली भाजपा को नागवार गुजरी।
बिहार में बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के बीच सदन में बहस हुई तो उसके बाद से ही बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। इस बहस के बाद अब बीजेपी विधायक खुलकर विधानसभा अध्यक्ष के पक्ष में खड़े हो गए हैं। बीजेपी विधायक विनय बिहारी ने नीतीश कुमार पर खुलकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश ने सदन में जिन शब्दों का प्रयोग किया, आंख और उंगली दिखाकर जो बोल रहे थे, मुझे लगता है कि इतने वरिष्ठ राजनेता की ऐसी भाषा नहीं होनी चाहिए। विनय बिहारी ने कहा कि मुख्यमंत्री इस बात को स्वीकार करें या ना करें, लेकिन सारी दुनिया देख रही है, ये छोटी बात नहीं है। सदन के अंदर जो कुछ हुआ अच्छा नहीं हुआ। बीजेपी विधायक ने एक विवादित बयान भी दिया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के राज में विधायक हिजड़ा हो गए हैं, जो अपनी मर्जी से कुछ भी जनता की समस्या दूर करने के लिए नहीं कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद तुरंत ही बीजेपी विधायक ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि ये बयान उन्होंने अपने लिए दिया है दूसरे विधायकों के लिए नहीं।
बीजेपी विधायक के बयान पर जेडीयू ने भी पलटवार किया है। जेडीयू ने कहा कि नीतीश कुमार की आत्मा संविधान में बसती है और वो कोई ऐसा काम नहीं करते हैं, जो संविधान के विरुद्ध हो। सत्ता रहे या जाए नीतीश कुमार अपने सिद्धांत और संविधान से कोई भी समझौता नहीं कर सकते हैं। जेडीयू नीतीश कुमार के प्रति कोई भी अनर्गल बयान बर्दाश्त नहीं करेगी। कांग्रेस विधायक शकील खान बिहार सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के विवाद पर कहते हैं कि बीजेपी नीतीश कुमार को जान बूझ कर परेशान कर रही है। नीतीश जी को अब तय कर लेना चाहिए कि वो बीजेपी का साथ छोड़ कांग्रेस के साथ आ जाएं।
दोनों दलों मंे नोक झोंक होती रही है। दिसम्बर 2021 में बिहार प्रदेश भाजपा ने अपनी पार्टी के नेताओं की विभिन्न मुद्दों पर अलग राय के परिप्रेक्ष्य में सहयोगी जदयू के साथ किसी प्रकार के मतभेद की अटकलों को खारिज किया था। भाजपा नेताओं की विभिन्न मुद्दों पर अलग राय के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाराजगी जताई थी। दरअसल राज्य की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के उस बयान के बाद राजग गठबंधन में मतभेद की अटकलें लगायी जाने लगी थीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार को विशेष श्रेणी के दर्जे की जरूरत नहीं है। नीतीश कुमार ने रेणु देवी के उस बयान पर हैरानी व्यक्त की थी जब राज्य सरकार ने अपने योजना और कार्यान्वयन मंत्री बिजेंद्र यादव के माध्यम से नीति आयोग को एक पत्र भेजा था जिसमें रेखांकित किया गया था कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से राज्य के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
बहरहाल, कई मसलों पर अलग मत रखने वाली जदयू ने यूपी चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की बड़ी टेंशन कम कर दी थी। जातिगत जनगणना का मामला हो या पिछले वर्ष लागू कृषि कानून का मसला, दोनों मुद्दों पर वैचारिक मतभेद के बावजूद जनता दल (यूनाइटेड) यूपी विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ ही मिलकर लड़ा। इस बारे में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बातचीत हुई थी।
जदयू व भाजपा के बीच जातिगत जनगणना व कृषि कानून के मुद्दे पर मतभेद हैं। जदयू भाजपा की इच्छा के विपरीत जातिगत जनगणना की पक्षधर है। साथ ही पार्टी संसद में समर्थन के बावजूद कृषि कानून के मुद्दे पर भाजपा से मतैक्य नहीं रखती जदयू का कहना है कि भाजपा को कृषि कानून के मसले पर किसानों से बातचीत कर हल निकालना चाहिए।
अब एक बड़ा मामला फंस गया। बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्पीकर विजय सिन्हा के बीच जमकर कहासुनी हुई। मामला लखीसराय से जुड़ा था जहां कोरोना गाइडलाइन्स के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में सरस्वती पूजा के दौरान स्थानीय पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया था। ये मामला पिछले कुछ दिनों से तूल पकड़ चुका था और इस पर सियासी रंग चढ़ चुका था। गत 14 मार्च को जब यह मामला फिर उठा तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसमें हस्तक्षेप किया। सीएम नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को लेकर स्पीकर विजय सिन्हा को घेरा और कहा कि हम बैठकर पूरे मामले को सुन रहे थे, जब मंत्री बता रहे हैं कि मामले की पूरी इन्क्वायरी हो रही है तो ये हाउस का विषय नहीं है, मामला कोर्ट का है। हाउस में आपको जानकारी दी जा सकती है लेकिन आप हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सीएम ने स्पीकर को संविधान देखने की नसीहत दे दी। नीतीश कुमार इस मामले पर जमकर बरसे और कहा कि हम ना ही किसी को फंसाते हैं और ना ही बचाते हैं। कहा कि बार-बार इस तरह के सवाल सदन में करना गलत है और ऐसे सदन नहीं चलता है। जांच के बाद अगर रिपोर्ट संतुष्ट होने लायक नहीं होगी तो कोर्ट उस मामले को संज्ञान में लेगा, ये आपको अधिकार नहीं है। सीएम ने कहा कि आप संविधान निकालें, मुझे बहुत तकलीफ हुई है।
नीतीश कुमार ने कहा कि हमें ये किसी तरह से मंजूर नहीं है। वहीं स्पीकर बार-बार कहते रहे कि आपके मंत्री कुर्की जब्ती पर जवाब नहीं दे पाये। जबकि नीतीश कुमार ने कहा कि रिपोर्ट कोर्ट में जाएगी और आप बार-बार उसके बदले हस्तक्षेप करेंगे तो ये गलत है। सदन इस तरह नहीं चलेगा। इस पर स्पीकर ने भी जवाब देते हुए कहा कि आप ही बता दें सदन कैसे चलेगा। हमें आप सबने ही यहां बैठाया है। स्पीकर ने सीएम की नाराजगी के बाद कहा कि ये मामला मेरे क्षेत्र से जुड़ा है। आप हमसे अधिक संविधान जानते हैं लेकिन आसन को बार-बार हतोत्साहित और प्रभावित करने की कोशिश न हो। पारदर्शिता बने और मैं आपकी ही भावना को स्थापित कर रहा हूं। मुझे आप सबने मिलकर बैठाया है। (हिफी)

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